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अमेरिकी साम्राज्यवाद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा : पल्लव सेन गुप्ता

"शीत युद्ध के खात्में के बाद अमेरिका द्वारा प्रचारित किया गया कि दुनिया में शांति होगी लेकिन आज भी दुनिया में युद्ध जारी है। सीरिया, यूक्रेन इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।"
Pallav Sen Gupta

अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन (ऐप्सो) का नौवां बिहार राज्य सम्मेलन, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ भवन, जमाल रोड पटना में संपन्न हुआ। सम्मेलन की शुरुआत में बिहार ऐप्सो के महासचिव ब्रजकुमार पांडे ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा, "ऐप्सो का मकसद विश्व में महायुद्धों के मंडराते खतरे से बचना है। यह दुनिया के सभी देशों में युद्ध के ख़िलाफ़ एक प्रेशर ग्रुप के रूप में काम करता है। यह हमारे देश में अलगाववादी शक्तियों और युद्ध समर्थित विचारों के ख़िलाफ़ दुनिया में शांति के लिए प्रयासरत रहता है। बिहार ऐप्सो का नवजागरण 2007 में तब हुआ जब स्व. फणीश सिंह के नेतृत्व में पटना में शानदार राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था। हमारा बिहार ऐप्सो बौद्धिक रूप से काफी मजबूत है और यह लगातार मजबूत हो रहा है।"

विश्व शांति परिषद के महासचिव व अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय महासचिव पल्लव सेन गुप्ता को भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडे और ब्रजकुमार पांडे समेत बाकी लोगों ने सामूहिक रूप से अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देखर सम्मानित किया। पल्लव सेन गुप्ता ने सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया।

उद्घाटन वक्तव्य में पल्लव सेन गुप्ता ने कहा, "यह संगठन दुनिया भर में युद्ध के ख़िलाफ़ और शांति व भाईचारे के लिए वैचारिक लड़ाई लड़ता है। सोवियत संघ के पतन के बाद पूरी दुनिया में शांति चाहने वालों के बीच घोर निराशा छा गई थी। शीत युद्ध के खात्मे के बाद अमेरिका द्वारा प्रचारित किया गया कि दुनिया में शांति होगी लेकिन आज भी दुनिया में युद्ध जारी है। सीरिया, यूक्रेन इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। यूरोप में रोज़ हज़ारों लोग मारे जा रहे हैं। पूरा यूरोप युद्ध की मार से कराह रहा है। इसी के मद्देनज़र ऐप्सो दुनिया के 109 देशों में युद्ध के ख़िलाफ़ सक्रिय है।

भारत को विश्व शांति परिषद की जवाबदेही दी गई है, यह भारत के लिए बहुत बड़ी राजनीतिक ज़िम्मेदारी है। हम युद्ध के ख़िलाफ़ और शांति के विकल्प को लेकर अमरीका और यूरोप पर कूटनीतिक बातचीत के ज़रिए दबाव बनाते रहे हैं लेकिन दु:खद बात है कि कोई देश शांति की बात नहीं कर रहा है। आज सभी देश अपने आर्थिक हितों की बात कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ भी युद्ध के ख़िलाफ़ कोई पहल नहीं कर रहा है। आज भारत का नेतृत्व जिनके हाथों में है, वे भी आज शांति के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी शांति के लिए विश्व राजनीति में अपनी भूमिका से कोसों दूर हो चुके हैं।

एशिया में भी शांति के लिए भूमिका निभाने में नरेंद्र मोदी ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। हम इस बात में विश्वास करते हैं कि भारत अब उस दौर से गुज़र रहा है जब दुनिया में शांति व भाईचारा स्थापित करने के लिए भारत की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष जनता ऐप्सो के मंच पर एकजुट होगी और दुनिया का नेतृत्व करेगी।"

भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने शुभकामना संदेश देते हुए कहा, "ऐप्सो ने दुनिया में युद्ध के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा काम किया है। नरेंद्र मोदी आज गुटनिरपेक्ष राजनीति को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं इसलिए आज भारत दुनिया की राजनीति में अपनी पहचान खो चुका है। ऐप्सो के विचारों पर चलकर ही भारत अपनी खोई गरिमा वापस पा सकता है। ऐप्सो द्वारा जनजन तक सदस्यता अभियान चलाकर इसे मजबूत करना होगा। युवा काफी संख्या में संगठन से जुड़ रहे हैं। यह ऐप्सो के लिए अच्छे लक्षण हैं।"

बिहार ऐप्सो के सर्वोदय शर्मा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "बिहार ऐप्सो अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर लगातार अपनी प्रतिक्रियाएं देता रहा है। हमें संगठन को मजबूत बनाने के प्रति सक्रिय होने की ज़रूरत है।"

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रामबाबू कुमार ने कहा, "शांति कायम करना क्रांतियों का मुख्य नारा हुआ करता था। रुसी क्रांति का नारा था-'शांति, ज़मीन व रोटी', हमें शांति व एकजुटता कायम करने के लिए साम्राज्यवाद की गहरी राजनीति को पकड़ना होगा।”

उद्घाटन सत्र को ऐप्सो अध्यक्ष मंडल के सदस्य प्रो. नीरज सिंह ने भी संबोधित किया।

उद्घाटन सत्र के अंत में ऐप्सो के बिहार राज्य महासचिव अनीश अंकुर ने रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थिति पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया। इसके अलावा पिछले सम्मेलन से अब तक की गतिविधियों को क्रमवार रखा गया।

उद्घाटन सत्र का संचालन जयप्रकाश ने किया। सांगठनिक सत्र में कई प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख लोगों में थे-कटिहार के देवकुमार झा, जहानाबाद के दिनेश प्रसाद, मोकामा के कमलेश शर्मा, गया के सत्येंद्र कुमार, छपरा के सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, सारण के शिवजी दास, बेगूसराय के विनीताभ, पटना से श्रीनंदन मंडल, सीवान के अखिलेश पांडे आदि। अध्यक्ष मंडल की ओर से ब्रज कुमार पांडे ने जवाब दिया।

अंत में नए पदाधिकारियों-उपसचिव, उपाध्यक्ष, कार्यकारिणी का चुनाव किया गया। ब्रज कुमार पांडे, सर्वोदय शर्मा और अनीश अंकुर को नई कमिटी का महासचिव चुना गया, कार्यालय सचिव जयप्रकाश जबकि कोषाध्यक्ष कौशल किशोर झा को चुना गया।

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