उडुपी ग्राउंड रिपोर्ट : हिजाब के समर्थन में हैं कॉलेज की हिंदू लड़कियां, पर उन्हें मीडिया से बात करने की इजाज़त नहीं
कर्नाटक में हिजाब को लेकर रोका टोकी दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है, एक तरफ कर्नाटक हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन है, वहीं दूसरी तरफ कॉलेज प्रशासन की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि कोई भी मुस्लिम लड़की हिजाब पहनकर कक्षा में दाखिल नहीं हो सकती।
हिजाब को लेकर हंगामा 27 दिसंबर को शुरू हुआ था। हंगामा लगातार बढ़ता देख राज्य सरकार ने 5 फरवरी से 15 फरवरी तक उन सभी कॉलेजों को बंद कर दिया था जिनमें हिजाब को लेकर विवाद चल रहा था।
16 फरवरी को एक बार फिर से कई कॉलेज खुले लेकिन किसी भी कॉलेज में हिसाब पहनी हुई मुस्लिम लड़कियों को प्रवेश नहीं दिया गया।
इस पूरे मामले में उन लड़कियों की प्रतिक्रिया आनी सबसे ज्यादा आवश्यक है, जो लड़कियां इन मुस्लिम लड़कियों के साथ पढ़ाई करती हैं।
उन लड़कियों की प्रतिक्रिया लेने के लिए न्यूज़क्लिक की तरफ़ से लेखक उडुपी के कई गवर्नमेंट और प्राइवेट कॉलेजों में गए। 20 से 25 लड़कियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी लड़की इस मुद्दे को लेकर बात करने के लिए तैयार नहीं हुई।
लेकिन तभी हमारी मुलाकात डॉक्टर जी संकर फास्ट ग्रेड वोमेन कॉलेज की एक छात्रा से हुई, छात्रा का नाम कुसुम (बदला हुआ नाम) है। हमें नाम क्यों बदलना पड़ा इसका कारण हम आगे स्पष्ट करेंगे।
कॉलेज के आसपास पुलिस वालों और मीडिया का भरपूर जमावड़ा था, ज्यादातर लड़कियां कॉलेज के बाहर निकली हुई थी शायद लंच का समय रहा होगा। लगभग सभी लड़कियों ने हमसे बात करने से इनकार कर दिया था।
जिसके बाद हमारी की मुलाकात कुसुम से हुई, कुसुम का कहना है कि "मुस्लिम लड़कियां पहले भी हिजाब पहन कर आ रही थीं, अभी तक किसी को कोई समस्या नहीं हो रही थी। लेकिन अचानक पता नहीं क्या हो गया कि स्कूल प्रशासन के द्वारा हिजाब पर रोक लगा दी गई।"
कुसुम ने कहा कि हिंदू लड़के कभी भी भगवा गमछा पहन कर पहले नहीं आया करते थे शायद वह किसी के उकसावे में आकर भगवा गमछा पहन कर आ रहे हैं।
कुसुम ने आगे कहा, "मुस्लिम लड़कियां अगर यूनिफार्म के साथ हिजाब पहनकर आती हैं, तो हम लोगों को कोई प्रॉब्लम नहीं है, और किसी को प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए।"
हमारी बात कुसुम से हो ही रही थी कि अचानक अवधेश नाम के एक अध्यापक ने कुसुम को वापस बुला लिया, कुछ देर बाद कुसुम वापस आईं और कहा कि हमें मीडिया से कोई बात नहीं करनी है।
जब हमने पूछा कि आपको हमसे बात करने के लिए किसने रोका तब कुसुम ने अपने प्रिंसिपल भास्कर शेट्टी का नाम लिया।
शुरू में बात करते समय जब हमने कुसुम से पूछा कि क्या हम आपका असली नाम और फोटो छाप सकते हैं, तब कुसुम ने कहा था कि हमें कोई परेशानी नहीं है।
लेकिन जब कुसुम अपने प्रिंसिपल से मिलकर वापस आईं, तब उन्होंने अपना नाम और तस्वीर छापने से मना कर दिया। जिसकी वजह से हमें नाम बदलना पड़ा।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह का दबाव छात्राओं पर मीडिया से बात ना करने के लिए बनाया जा रहा है।
लेकिन सबसे विचित्र बात यह थी कि, हमारे पास ही कई सारे मुख्यधारा के टीवी चैनल लड़कियों से बात कर रहे थे, पर उन लड़कियों को किसी भी अध्यापक या प्रिंसिपल के द्वारा नहीं बुलाया गया जा रहा था।
जब हमने इस घटना की वजह जानने के लिए प्रिंसिपल भास्करण शेट्टी से मिलने की कोशिश की तब हमें गेट पर ही रोक लिया गया। और बताया गया कि प्रिंसिपल भास्करण शेट्टी कॉलेज में नहीं हैं आप अंदर नहीं आ सकते।
10 फरवरी को द क्विंट में छपी एक रिपोर्ट में महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज उडुपी में पढ़ने वाली छात्रा सम्हिता एस शेट्टी ने मुस्लिम लड़कियों द्वारा पहने जा रहे हिजाब का समर्थन किया था, और भगवा गमछा डाल कर आ रहे लड़कों का विरोध किया था।
रिपोर्ट में सम्हिता एस शेट्टी ने कहा था की "जो छात्र हिजाब का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने कुछ दिनों पहले से ही केसरी शॉल पहनना शुरू कर दिया है। मेरे मुस्लिम मित्रों सहित मुस्लिम छात्र कई वर्षों से हिजाब पहन रही है। मैं भगवा शॉल पहनने का समर्थन नहीं करूंगी। मैं मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के अधिकार का समर्थन करता हूं।"
लेकिन यह खबर छपने के बाद सम्हिता एस शेट्टी से किसी और मीडिया चैनल की कोई बात नहीं हुई, हमने भी सम्हिता एस शेट्टी से संपर्क करने की कई कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। शेट्टी कि कुछ दोस्तों ने बताया कि वह अब किसी मीडिया चैनल से बात नहीं करना चाहती हैं।
इस पूरे मामले को लेकर हमारी बात गवर्नमेंट पीयू कॉलेज उडुपी के वाइस प्रेसिडेंट यशपाल सुवर्णा से हुई।
यशपाल सुवर्णा गवर्नमेंट पीयू कॉलेज उडुपी के वाइस प्रेसिडेंट के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी भी हैं, सुवर्णा ने कहा, "मेरे और हमारे प्रशासन के द्वारा किसी भी छात्रा को मीडिया से बात करने के लिए नहीं रोका जा रहा है, सभी लड़कियां मीडिया से बात करने के लिए स्वतंत्र हैं।"
यशपाल सुवर्णा का कहना था, "हमारे कॉलेजों में कभी भी मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर कक्षा में नहीं बैठी हैं, कुछ लड़कियों के द्वारा इस मामले को तूल दिया जा रहा है और वह लड़कियां किसी उग्रवादी संगठन द्वारा प्रेरित लगती हैं।"
(शिवम चतुर्वेदी फ़्रीलांस पत्रकार हैं।)
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