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केंद्र ले मौजूदा कोरोना संकट की ज़िम्मेदारी, राज्यों के साथ साझेदारी की ज़रूरत : एआईपीएसएन

दिन में चुनावी रैली के बाद, प्रधानमंत्री ने शाम को कोरोना संकट से निपटने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। बैठक में केंद्र ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए राज्यों और जनता को दोषी ठहराया।
Modi meeting

देर से आए, फिर भी दुरुस्त नहीं आए। कल दिन में एक बड़ी “भीड़-भड़ाके” वाली रैली करने के बाद प्रधानमंत्री ने शाम में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को दुरुस्त करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई इस बैठक में मौजूदा कोरोना की दूसरी लहर के संकट के लिए केंद्र ने सारा दोष राज्य सरकारों और जनता पर मढ़ दिया।

यह रवैया से सिर्फ एक चीज साफ है कि केंद्र सरकार इस सूरते हाल में हो रही उसकी किरकिरी और विफलता से बचने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी से पलड़ा झाड़ना चाहती है।

पहली लहर के पूरे एक साल बाद भी केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ साझेदारी के साथ काम करने को महत्वपूर्ण नहीं समझा है। ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नैटवर्क (एआईपीएसएन) ने अपने जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों पर दोष डालने के बजाय साक्ष्यों पर आधारित जरूरी कदम उठाते हुए राज्य सरकारों का मार्गदर्शन करना चाहिए तथा उसे उन्हें वित्तीय व अन्य सहायता मुहैया करानी चाहिए।

एआईपीएसएन ने अपने बयान में आगे कहा, “सरकार को दूसरी लहर के कारणों और भविष्य में अपनायी जाने वाली सावधानियों के संबंध में पक्के निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए ज्यादा से ज्यादा महामारीवैज्ञानिकों और डॉक्टरों के मशवरे और विश्लेषण की जरूरत है।”

एआईपीएसएन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारत में संक्रमितों का जोर-शोर से टैस्ट करने, उन्हें ट्रेस करने, बाकी लोगों से अलग करने और उनका उपचार करने की जरूरत है। इसके अलावा टैस्टिंग को उल्लेखनीय तरीके से बढ़ाने की जरूरत है, जिसमें आरटी-पीसीआर टैस्टों पर जोर रहना चाहिए ताकि संक्रमणों का और तेजी से पता लगाया जा सके। कांटैक्ट ट्रेसिंग को अब मजबूत किए जाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। समुदाय की हिस्सेदारी के साथ, विकेंद्रीकृत साक्ष्य-आधारित नजरिए सबसे ज्यादा प्रभावी होंगे।

एआईपीएसएन आगे अपने बयान में कहता है, “अधिकारियों के बीच और कुछ टिप्पणीकारों के बीच भी एक भ्रमित प्रवृत्ति देखने को मिल रही है जो यह मानती है कि टीके को महामारी से निपटने तथा दूसरी लहर को खत्म करने के लिए रामबाण औषधि है। प्रतिव्यक्ति टीकाकरण के पैमाने से भारत, विश्व औसत से काफी नीचे है। कई राज्य, केंद्र से टीके की आपूर्ति में कमी पडने की भी शिकायतें कर रहे हैं। इसको दुरुस्त करने के साथ-साथ केंद्र सरकार को टीकाकरण अभियान को लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान चलाने की ज़रूरत है। टीके को लेकर जो हिचक बनी हुई है, उस पर भी काबू पाने की कोशिशें होनी चाहिए।”

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