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उत्तर प्रदेश: उप-चुनावों से पहले शिवपाल पर शिकंजा, सपा मीडिया सेल पर मामला दर्ज

शिवपाल सपा से अलग रहे तो बीजेपी ने पारिवारिक कलह का राजनीतिक लाभ लिया और अब जब वह अखिलेश के साथ हैं तो बीजेपी को नुक़सान का डर है। इसलिए अब शिवपाल पर शिकंजा कसा जा रहा है।
Shivpal Yadav security
फ़ोटो साभार: पीटीआई

उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे उप-चुनावों नज़दीक आ रहा रहा है वैसे-वैसे मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) पर शिकंजा कसता जा रहा है। शिवपाल यादव की सुरक्षा में कटौती के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर अभद्र-आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में सपा के मीडिया सेल पर मुक़दमा दर्ज किया गया है।

क्योंकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी दोनों चुनावी मैदान में नहीं हैं, इसलिए इन चुनावों में सीधा मुक़ाबला सपा और उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच होगा। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद यह पहला चुनाव है। यह उप-चुनाव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व की परीक्षा के साथ पार्टी के भविष्य का भी सवाल है। वहीं यह भी माना जा रहा है कि इन उप-चुनावों का असर 2024 के आम चुनाव पर भी पड़ेगा। यही कारण हैं की दोनों पार्टियां इन उप-चुनावों को लेकर गंभीर नज़र आ रही हैं।

सत्तारुढ़ बीजेपी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सपा अध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। उप-चुनावों के बीच क़द्दावर समाजवादी नेता शिवपाल यादव के ख़िलाफ़ शिकंजा कसता जा रहा है। शिवपाल की सुरक्षा की कटौती के बाद अब “रिवरफ्रंट घोटाले” में जांच की बात और उनके सरकारी आवास पर भी संकट दिखाई दे रहा है।

इसी बीच सपा के "वेरिफाइड मीडिया" सेल (ट्विटर अकाउंट) के ख़िलाफ़ लखनऊ में गुरुवार की शाम, संघ की शाखाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है। बीजेपी ने एक बयान में कहा की संघ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर अभद्र-आपत्तिजनक टिप्पणी, सपा मुखिया अखिलेश यादव के इशारे पर की गई है।

कब और कहां हैं चुनाव

प्रदेश में एक लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने जा रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम यादव की मृत्यु से मैनपुरी लोकसभा सीट ख़ाली हो गई थी। इसके अलावा रामपुर और मुज़फ़्फ़रनगर खतौली की विधानसभा सीटों पर वहां के विधायक आज़म खां और विक्रम सैनी क्रमशः: को “हेट स्पीच” के मामले में सज़ा होने की वजह से चुनाव हो रहा है।मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए 5 दिसंबर को मतदान और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। बता दें कि मुज़फ़्फ़रनगर खतौली में सपा की सहयोगी आरएलडी मैदान में है और रामपुर और मैनपुरी से सपा मैदान में हैं।

माना जा रहा है की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मैनपुरी लोकसभा सीट जीत कर “यादव” परिवार के गढ़ में सेंध लगाना चाहती है जिससे 2024 आम चुनावों से पहले यह संदेश दिया जा सके की मुलायम की मृत्यु के बाद अखिलेश, सपा के गढ़ जहां 1996 से यादव परिवार का क़ब्ज़ा है, वह कमज़ोर हो गए हैं।

बीजेपी को उम्मीद थी की उसको “यादव परिवार” में 2016 से चल रही कलह का फ़ायदा उप-चुनाव में मिलेगा। क्योंकि अगर शिवपाल के अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) (प्रसपा) के उम्मीदवार को मैदान में उतारते या बीजेपी के प्रत्याशी का समर्थन करते तो यादव बाहुल्य मैनपुरी सीट पर “यादव” वोट बट सकता था। ऐसे में इसका सीधा फ़ायदा बीजेपी के ग़ैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार रघुराज शाक्य को मिलता। क्योंकि उनको “शाक्य” समाज साथ बीजेपी को परंपरागत ब्राह्मण और ठाकुर समाज से भी समर्थन मिल रहा है।

एक हुआ यादव परिवार

लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी और पर्व संसद डिंपल यादव का नाम सामने आने के बाद “यादव परिवार” एक साथ बीजेपी के ख़िलाफ मुखर होकर खड़ा हो गया। शिवपाल यादव भी मैनपुरी में बीजेपी के ख़िलाफ़ खुल कर प्रचार कर रहे हैं। शिवपाल यादव अपनी बहू डिंपल यादव के पक्ष में मैनपुरी में ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं और गांव-गांव घूमकर वोट मांग रहे हैं। कहा जा रहा है की शिवपाल की घर वापसी बीजेपी को पसंद नहीं आई है। क्योंकि इससे उसके सियासी समीकरण बिगड़ सकते हैं। अब शिवपाल पर शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है।

शिवपाल पर शिकंजा

प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव के ख़िलाफ अब ताबड़तोड़ करवाई की तैयारी शुरू हो गई है। शुरुआत प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की सुरक्षा में कटौती के साथ की गई। उनकी सुरक्षा “ज़ेड” श्रेणी’ से घटाकर ‘वाई” श्रेणी’ कर दी गई। सूत्र बताते हैं जबकि प्रसपा के कई पदाधिकारियों की सुरक्षा भी वापस लेने की तैयारी की जा रही है।

सुरक्षा कम

शिवपाल सिंह यादव ने योगी सरकार पर उनकी सुरक्षा कम करने को लेकर जमकर हमला बोला है। शिवपाल ने कहा कि बीजेपी से उन्हें यही ‘उम्मीद’ थी और अब मैनपुरी उप-चुनाव में डिंपल यादव की जीत का अंतर और बढ़ जाएगा। पूर्व सांसद डिंपल के लिए प्रचार के लिए निकले शिवपाल से जब योगी सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा कम करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अब जनता और पार्टी के कार्यकर्ता मेरी सुरक्षा करेंगे।

सपा के जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव को लखनऊ स्थित वीआईपी इलाक़े लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर मिले बंगले के आवंटन पर संकट का बादल छाया है। विधायक के तौर पर आवंटित सरकारी आवास में प्रसपा का कार्यालय चल रहा है। अगर सूत्रों की माने तो योगी आदित्यनाथ सरकार अब शिवपाल सिंह यादव के आवास का आवंटन निरस्त करने पर विचार कर रही है।

रिवरफ्रंट घोटाला

वहीं तथाकथित रिवरफ्रंट घोटाले में भी ऐक्शन की तैयारी शुरू हो गई है। रिवरफ्रंट घोटाला मामले में सीबीआई ने अपनी पड़ताल शुरू की है। इस मामले में दो तत्कालीन आला अफ़सरों की भूमिका की जांच-पड़ताल शुरू हो सकती है। कहा जा रहा है कि तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की भूमिका की सीबीआई जांच कर सकती है।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई वर्ष 2017 से गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच कर रही है। सूत्र बताते हैं कि गृह विभाग ने बीते दिनों स‍िंचाई विभाग से गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण कार्यों के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय टास्क फ़ोर्स की बैठकों से जुड़े कुछ दस्तावेज़ मांगे हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द जांच में तेज़ी आ सकती है।

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना को लेकर अखिलेश सरकार ने 2014-15 में 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। इसको लेकर सपा सरकार के कार्यकाल में ही 1437 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए थे। स्वीकृत हुए बजट की 95 फ़ीसदी राशि जारी होने के बाद भी काम 60 फ़ीसदी तक भी पूरा नहीं हो पाया था। इस मामले की न्यायिक जांच के दौरान परियोजना को भ्रष्टाचार का पर्याय क़रार दिया गया।

सपा मीडिया सेल पर मुक़दमा

इसके अलावा बीजेपी के लीगल सेल के वकील प्रमोद कुमार पांडेय ने सपा मीडिया सेल पर संघ की शाखाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। वकील व स्वयं सेवक प्रमोद कुमार पांडेय ने अपनी तहरीर में कहा है कि सपा मीडिया सेल के "वेरिफाइड ट्विटर हैंडल" से बेहद आपत्तिजनक ट्वीट किए गए। ट्वीट पर संघ की शाखाओं पर अभद्र टिप्पणी की गई है।

शिकायतकर्ता के अनुसार आरएसएस से करोड़ों स्वयं सेवक जुड़े हैं, और सपा के ट्वीट से सामाजिक व सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का षड्यंत्र किया गया है। इस मामले में लखनऊ विभूतिखंड थाने की पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया है।

अखिलेश पर आरोप

बीजेपी ने भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की है और पार्टी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सपा के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल के द्वारा पिछले दिनों से लगातार अभद्रता, अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इशारे पर आरएसए के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सपा की ये टिप्पणी बर्दाश्त से बाहर है। सरकार ऐसे मामले में बहुत कठोर कार्रवाई करेगी।

सपा का आरोप

हालांकि सपा का आरोप है कि बीजेपी दूसरे प्रदेशों में चुनावों में विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग करती आई है और अब मैनपुरी उप-चुनाव में वह हार के डर से शिवपाल यादव को निशाना बना रही है। सपा के पूर्व विधायक सुनील सजन कहते हैं कि बीजेपी शिक्षा, स्वस्थ, कृषि संकट, विकास, भ्रष्टाचार और ग़रीबी आदि जैसे मुद्दों को छोड़कर पुलिस के बल पर चुनाव जितना चाहती है। पूर्व विधायक का कहना है कि, प्रदेश में 06 साल से बीजेपी सत्ता में है अभी तक जांच क्यों नहीं कर रही है। क्या अखिलेश-शिवपाल के दोबारा एक होने से बीजेपी में हार का भय हो गया है? सजन ने कहा, “सीबीआई चुनाव के साथ आती है और चुनाव ख़त्म होने के साथ वापिस चली जाती है।” “शिवपाल यादव के ख़िलाफ जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का उद्धरण है।”

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार

राजनीति के जानकार मानते हैं कि मैनपुरी उप-चुनाव को बीजेपी ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं बीजेपी का लक्ष्य सपा के गढ़ में सेंध लगाना है। वह आगे कहते हैं शिवपाल कोई पहले विपक्षी नेता नहीं है जिनको निशाना बनाया जा रहा, पहले भी बीजेपी ने विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया है।

सिन्हा मानते हैं जब तक शिवपाल सपा से अलग रहे तो बीजेपी ने पारिवारिक कलह का राजनीतिक लाभ लिया और अब जब वह अखिलेश के साथ हैं तो बीजेपी को नुक़सान का डर है। इसलिए अब शिवपाल पर शिकंजा कसा जा रहा है।

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