Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

उत्तर प्रदेश: बेटी की मौत के गुनाहगारों को सज़ा दिलाने के लिए धरने पर बैठे एक पिता की संघर्षगाथा

भाजपा नेता के स्कूल के हॉस्टल में पांच महीने पहले संदिग्ध हालत में मृत पाई गई नाबालिग़ छात्रा के पिता का आरोप है कि रेप करके उसके कपड़े बदले गए और मामले को छिपाने के लिए उसकी हत्या की गई।
uttar pradesh
धरने पर बैठे प्रिया के पिता जसराम राठौर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित एक स्कूल के हॉस्टल में 13 साल की प्रिया राठौर की संदेहास्पद मौत के मामले का हाल भी कहीं बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड के जैसा ही न हो जाए। मृतक छात्रा के पिता बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए पिछले पांच महीने से संघर्ष कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई शुरू से ढ़ीली है क्योंकि स्कूल भाजपा के नेता का है। हालांकि एक तरफ मौत की गुत्थी सुलझाने का दावा करते हुए लखनऊ पुलिस ने अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है लेकिन उसकी इस अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं और एक बार फिर पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है।

क्या है पूरा मामला ?

जसराम राठौर की 13 वर्षीय बेटी प्रिया लखनऊ के बीकेटी स्थित एसआर ग्लोबल स्कूल में आठवीं की छात्रा थी और स्कूल के ही हॉस्टल में रहती थी। इलाके का यह स्कूल भाजपा एमएलसी का है। 20 जनवरी 2023 की रात हॉस्टल में ही प्रिया की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।

प्रिया का शव हॉस्टल परिसर में मिला था। पिता की तहरीर पर बीकेटी पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी जबकि हॉस्टल प्रबंधन व अधिकारी इसे हत्या मानने को तैयार नहीं थे। हालांकि उनकी थ्योरी बदलती गई कभी उन्होंने इसे हादसा बताया कभी खुदकुशी इसलिए शुरू से ही प्रिया की मौत सवालों के घेरे में रही। प्रबंधन ने पहले तो पुलिस को बताया कि वारदात की रात प्रिया हॉस्टल की मेस में गई थी। खाना खाने के बाद बिल्डिंग की छत पर टहलते समय अचानक गिर गई थी। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। पंचनामा में भी यही दर्ज है।

प्रिया राठौर मौत कांड में पुलिस कोई पुख्ता सुराग नहीं जुटा सकी है। स्कूल प्रबंधन शुरू से ही खुदकुशी का दावा करता रहा। पुलिस ने भी कई बार वही दोहराया और अंत में फाइनल रिपोर्ट भी उसी आधार पर लगा दी गई। इस फाइनल रिपोर्ट ने पुलिस की बड़ी नाकामी ही दिखाई। लेकिन परिवार हत्या के आरोप पर कायम हैं। प्रिया के पिता के मुताबिक उनकी बेटी की रेप के बाद ह्त्या कर दी गई क्योंकि सारे तथ्य और बातें इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

पुलिस खुदकुशी बता रही है लेकिन वजह नहीं तलाश पाई। ऐसे में मृतका के परिजन पुलिस की कार्रवाई से बेहद असंतुष्ट हैं। पुलिस ने पांच महीने तक विवेचना की। आखिर में उसी कहानी पर मुहर लगा दी, जिसको पहले दबी जुबान से बताया जा रहा था और वही दावा स्कूल प्रबंधन भी करता रहा था। ऐसे में पुलिस पांच महीने तक कोई पुख्ता साक्ष्य जुटाने के बजाय सिर्फ समय बिताती रही।

प्रिया के पिता के मुताबिक शुरू में स्कूल प्रबंधन ने कई गुमराह करने वाली जानकारियां दी। बाद में स्कूल प्रबंधन का कहना था कि प्रिया ने खुदकुशी की। पुलिस भी इसी पहलू पर जांच करती रही। इस बीच क्राइम सीन रिक्रिएट किया गया। प्रिया के पुतले बनाये गए जिन्हें ऊपर से फेंका गया। उनके मुताबिक यह भी पुलिस का नाकाम प्रयास था क्योंकि पुतले केवल दस किलो के बनाये गए जबकि प्रिया का वजन 35 किलो था। इसी तरह पुलिस ने धीरे-धीरे पांच महीने का वक्त बिता दिया और आखिर में केस की फाइल बंद कर दी। उसी थ्योरी पर पुलिस ने एफआईआर की जो स्कूल प्रबंधन कहता रहा।

धरने पर बैठने को मजबूर पिता

तपती दोपहरी, भीषण गर्मी और छलनी कर देने वाली इस लू के बीच लखनऊ के इको गार्डन में एक पिता अपनी बेटी की मौत का इंसाफ मांगने धरने पर बैठे हैं। पीड़ित पिता जसराम राठौर जालौन के रहने वाले हैं। उनकी केवल एकमात्र मांग है कि बेटी की मौत की सीबीआई जांच हो ताकि यह सच सामने आ सके की उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई है। जब यह रिपोर्टर उनसे मिलने ईको गार्डन पहुंची तो हजारों वर्ग फुट एरिया में फैले उस धरना स्थल के सन्नाटे के बीच जसराम एक पेड़ के तले बैनर बांधे अकेले बैठे हुए थे। हां कुछ दूरी पर पुलिस का जमावड़ा जरूर नज़र आ रहा था।

हमारी अभी उनसे बातचीत चल ही रही थी कि दो पुलिस वाले बाइक पर पहुंचते हैं और उन्हें किसी से मिलवाने की बात कहकर उन्हें उनके साथ चलने के लिए कहते हैं। वे किसी से भी मिलने के लिए बस एक ही शर्त पर तैयार होते हैं कि उनकी बेटी की संदेहास्पद मौत की सीबीआई जांच कराई जाए। उनकी यह बात सुनकर पुलिस वाले वापस चले जाते हैं। जसराम की नाबालिग बेटी प्रिया की मौत पांच महीने पहले स्कूल हॉस्टल में हो गई थी। प्रिया संदेहास्पद परिस्थिति में मृत पाई गई थी।

रुंधे गले से जसराम हमें बताते हैं कि बेटी की मौत के बाद पांच महीने की पड़ताल के बाद पुलिस कहती है की बेटी ने आत्महत्या की है लेकिन क्यों की, इसका उनके पास न तो कोई सबूत है और न ही कारण। वे आरोप लगाते हैं कि पुलिस भी हॉस्टल प्रबंधन की ही बात दोहरा रही है जबकि उसकी जांच शुरू से ही ढीली रही है। वे सवाल करते हैं कि हैं कि चूंकि यह स्कूल सत्तारूढ़ दल के एक ताकतवर नेता का स्कूल है तो क्या इसलिए मामले को दबाने का प्रयास हो रहा है।

सवालों के घेरे में पुलिस की जांच

पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर परिजनों ने एक्सपर्ट के हवाले से सवाल उठाए थे। तब पुलिस ने क्राइम सीन दोहराया था, जिसमें ऊंचाई से गिरने की बात सामने आई थी। फिर पुलिस ने प्रिया के कपड़े, खून के छींटे लगी जींस, हैंड राइटिंग का मिलान कराया व उसके पिता का मोबाइल फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था। इन सभी चीजों की रिपोर्ट से भी पुलिस कुछ हासिल नहीं कर सकी। सवाल है कि इस जांच से पुलिस को क्या सुबूत मिले, जिससे वह खुदकुशी का दावा कर रही है।

शव के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक प्रिया के यूटेरस में ढाई लीटर खून जमा था। उसकी कमर, गर्दन और हाथों की उंगलियों के टूटने के साथ ही दिल फटने की भी बात पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कही गई है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर जब वह दोबारा स्कूल पहुंचे और सीसीटीवी दिखाने की मांग की तो पता चला कि सीसीटीवी बंद है। वार्डन भी बयान बदल रही थी। 4 छात्राएं आईं बयान देने तो उनके बयान भी अलग-अलग थे। पिता जसराम ने यह भी बताया कि प्रिया के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला, उसकी हैंडराइटिंग मिलाने के लिए जब फोरेंसिक जांच की गई तो हैंडराइटिंग प्रिया की नहीं पाई गई। प्रिया के कमरे से जो पैंट मिली उसमें खून लगा हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रिया के साथ रेप करके उसके कपड़े बदले गए और मामले को छिपाने के लिए उसकी हत्या की गई है।

पिता के मुताबिक मौत से कुछ दिन पहले ही प्रिया घर आई थी और परिवार के साथ हंसी खुशी समय बिताया था। उसे न तो कोई परेशानी थी न वो तनाव में थी। पढाई और अन्य गतिविधियों में भी अच्छी थी। मौत से कुछ देर पहले ही उसकी अपनी मां से फोन पर बात हुई थी तब भी वो आम दिनों की ही तरह बातचीत कर रही थी। उसकी बातचीत से नहीं लगा की वो परेशान है अगर ऐसा होता तो क्या वो अपनी मां से नहीं कहती तो फिर आख़िर वह आत्महत्या क्यों करेगी। वो कहते हैं इसलिए वे अब सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। उनके मुताबिक उन्हें सीबीसीआईडी जांच का आश्वासन दिया गया है लेकिन उन्हें राज्य की किसी भी जांच एजेंसी पर उन्हें भरोसा नहीं रहा।

आंदोलन करते संगठन और आमजन

प्रिया राठौर की मौत की सच्चाई सामने लाने और सीबीआई जांच की मांग के साथ अब कई जगह धरने प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इको गार्डन में धरने पर बैठे प्रिया के पिता से मिलने और उनकी मांग को समर्थन देने रोज कई लोग आ रहे हैं। इसी बीच जालौन की जनता ने कैंडल मार्च निकाला तो लखीमपुर खीरी के मेगलगंज खीरी में सैकड़ों लोगों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग की। वहीं लखनऊ में महिला संगठन ऐपवा ने न्याय मार्च निकालकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया।

जालौन में कैंडल मार्च  निकालते लोग

मार्च का नेतृत्व कर रही ऐपवा जिला संयोजिका कमला गौतम ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि पांच महीने की तहकीकात के बाद पुलिस इसे आत्महत्या बता कर मामला रफा दफा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग करते हुए ईको गार्डन में धरने पर बैठे मृतका के पिता से जब ऐपवा के प्रतिनिधि मंडल की बात हुई तो उन्होंने वे सारे तथ्य बताये जो इस ओर इशारा करते हैं कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है। उन्होंने कहा मोदी और योगी एक ओर "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" का गला फाड़-फाड़कर नारा दे रहे हैं लेकिन योगी सरकार की नाक के नीचे पढ़ने वाली एक बेटी की हत्या कर दी जाती है और उस पर हद यह कि कितनी साफगोई से मामले को रफा दफा कर दिया जाता है क्योंकि वह स्कूल भाजपा से जुड़े कद्दावर नेता का है। वह कहती हैं कि इस मामले में हम देख रहे हैं कि किस तरह दोषियों को राजनैतिक संरक्षण दिया जा रहा है।

गौतम ने कहा कि जीरो टॉलरेंस के नाम पर योगी का बुल्डोजर मिर्जापुर के गरीबों की बस्तियों को ढहाकर इस भीषण गर्मी में उन्हें बेमौत मार डालने का काम कर रहा है लेकिन एक मासूम बच्ची के परिवार की करूणा मुख्यमंत्री को सुनाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि उनका संगठन ऐपवा प्रिया की संदेहास्पद मौत की सीबीआई जांच की मांग पूरा होने तक और मामला के पर्दाफाश होने तक पीड़ित परिवार के साथ खड़ा रहेगा और मांग पूरी होने तक उनका आंदोलन सिलसिलेवार चलता रहेगा।

ऐपवा का न्याय मार्च

न्याय मार्च में शामिल होने आई महिलाओं का गुस्सा फुट पड़ा। सबकी जुबान पर बस एक ही बात और सवाल था कि जब स्कूल के भीतर भी हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं तो आख़िर कहां सुरक्षित रहेंगी। मार्च में शामिल होने आई लक्ष्मी सवाल उठाते हुए कहती है कि एक नाबालिग बेटी की स्कूल परिसर में ही मौत हो जाती है और किसी को पता भी नहीं चलता कि ये कैसे हुआ जो बेहद विचलित कर देने वाली बात है।

सचमुच इससे ज्यादा पीड़ादायक बात और क्या होगी कि एक माता पिता अपनी हंसती खेलती संतान खो देते हैं और उन्हें यह तक पता नहीं चल पाता कि आख़िर उनकी बेटी की मौत कैसे हुई। प्रिया उनकी एकमात्र संतान थी। धरने पर बैठा एक पिता जब कहता है कि बेटी के जाने के बाद अब उनके भी जीने का क्या मकसद रह गया, तो बरबस ही आंसू निकल आते हैं।

जसराम कहते हैं, वह इको गार्डन में तब तक बेमियादी धरने पर रहेंगे जब तक मामले की जांच सीबीआई को नहीं दी जाती क्योंकि पुलिस पर से उनका भरोसा उठ चुका है। पुलिस मामले को दबा रही। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रपति, आदि सब जगह पत्र लिख कर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest