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यूपी: ललितपुर बलात्कार मामले में कई गिरफ्तार, लेकिन कानून व्यवस्था पर सवाल अब भी बरकरार!

यह सिर्फ इसी मामले की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे देश की स्थिति है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है लेकिन जब मामले दर्ज होते हैं तो अदालतों में उन पर सुनवाई पूरी होने में सालों लग जाते हैं और उसके बाद भी बहुत ही कम मामलों में जुर्म साबित होता है और मुजरिम को सजा होती है।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश से आए दिन कोई न कोई बलात्कार की घटना सुर्खियों में बनी ही रहती है। महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर भले ही बीजेपी की योगी सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन वास्तविकता में प्रदेश की कानून व्यवस्था 'राम भरोसे' ही नज़र आती है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के ललितपुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। 17 साल की एक नाबालिग लड़की ने अपने पिता, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं सहित 28 लोगों पर बलात्कार का आरोप लगाया है। पीड़िता की शिकायत के आधार पर ललितपुर पुलिस ने मंगलवार, 12 अक्तूबर को मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी पिता और सपा जिलाध्‍यक्ष के भाई सहित चार को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

बता दें कि इस मामले से दो दिन पहले ही नौ अक्तूबर को आजमगढ़ में कथित सिस्टम की लापरवाही के चलते एक पीड़ित महिला ने अपनी जान दे दी थी। हैरानी की बात ये थी कि जो पुलिस महिला के जीवित रहते उसकी शिकायत तक सुनने को तैयार नहीं थी, उसके मरते ही आनन-फानन में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था।

इसे भी पढ़ें: यूपी: आज़मगढ़ में पीड़ित महिला ने आत्महत्या नहीं की, सिस्टम की लापरवाही ने उसकी जान ले ली!

क्या कहना है पीड़ित नाबालिग का?

बीबीसी की खबर के मुताबिक ललितपुर की नाबालिग़ लड़की ने शिकायत में कहा है कि जब वह सिर्फ़ छठी क्लास में पढ़ती थी तभी उनके पिता ने अपने मोबाइल में उन्हें जबरन पोर्न वीडियो दिखाने की कोशिश की। पीड़ित लड़की का आरोप है कि उसके बाद एक दिन उनके पिता उन्हें रात आठ बजे महेशपुरा के खेतों में ले गए और वहां कथित तौर पर उनसे रेप किया।

एफ़आईआर के अनुसार पिता ने लड़की को धमकी दी कि अगर इस बात की जानकारी मां और किसी और को दी तो वो उनकी मां को जान से मार देंगे। पीड़ित लड़की के मुताबिक उसके बाद वो बहुत डर गई और तभी से उनके पिता लगातार उसका शारीरिक शोषण करने लगे।

एफ़आईआर के अनुसार पीड़ित लड़की ने पिता पर ये भी गंभीर आरोप लगाया है कि उनके पिता अपने 'अन्य दोस्तों से भी उसका बलात्कार करवाने लगे।' पीड़ित लड़की का आरोप है कि शुरुआत में नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया जाता था।

पुलिस का क्या कहना है?

इस पूरे मामले पर ललितपुर के एसपी निखिल पाठक ने मीडिया से कहा कि बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पीड़िता का मेडिकल कराया गया है। 164 के तहत बयान भी दर्ज कराया जा रहा है। एफआईआर में अन्य लोगों के नाम भी है और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते में हुए अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। लड़की की सुरक्षा के लिए उसके आवास पर फोर्स तैनात कर दी गई है।

एसपी के मुताबिक, "यह बेहद संवेदनशील मामला है और हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं। पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई है। उसका बयान भी दर्ज किया गया है। पीड़ित की लिखित शिकायत के आधार पर ललितपुर पुलिस ने सपा ज़िला अध्यक्ष तिलक यादव, उनके भाई राजू और अरविंद यादव सहित नगर पालिका पार्षद और सपा नेता महेंद्र सिंघई, जेई महेंद्र दुबे, बसपा ज़िला उपाध्यक्ष नीरज तिवारी, बसपा ज़िला अध्यक्ष दीपक अहिरवार, सदर विधानसभा सीट के दावेदार सपा नेता राजेश झोजिया, प्रबोध तिवारी सोनू, पप्पू अग्रवाल, मुन्ना अग्रवाल, आकाश अग्रवाल सहित 28 लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की है। सभी लोगों के ख़िलाफ़ धारा 354, 120बी, 323, 328, 506, 376डी और 7/8 पॉक्सो एक्ट जैसी धाराओं में मामला दर्ज हुआ है।"

आरोपियों का क्या कहना है?

इस बीच समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष तिलक यादव ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि उन्हें और उनके भाइयों को मामले में झूठा फंसाया जा रहा है।

तिलक यादव ने बीबीसी से कहा, "मैं पॉलिटिकल लोगों में से हूं इसलिए कभी-कभी लड़की के पिता मेरे पास आते थे। उनकी पत्नी या बेटी को न मैंने कभी देखा है और न ही उनसे मेरा कोई लेना देना है। पति-पत्नी में किसी बात पर विवाद हो गया, जो भी कारण रहा हो, मुझे पता नहीं है। कुछ लोगों ने इस विवाद का इस्तेमाल करते हुए साज़िश के तहत हम जैसे लोगों पर एफ़आईआर करा दी. मेरे तीन भाइयों पर भी प्राथमिकी दर्ज हुई है।"

सपा-बसपा का क्या कहना है?

मीडिया में आई खबरों के अनुसार किशोरी के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए गए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्षों के बचाव में अबपार्टी मैदान में उतर आई है। बुधवार को समाजवादी पार्टी ने जोरदार प्रदर्शन कर एसपी व एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। कार्यकर्ताओं ने इसे चुनावों से पहले बीजेपी की साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की। वहीं बसपा ने कहा कि जांच पूरी होने तक किसी की भी गिरफ्तारी न की जाए।

महिला सुरक्षा के खोखले दावे

गौरतलब है कि प्रदेश में महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाली योगी सरकार के राज में यह कोई पहली बलात्कार की घटना नहीं हैं जो उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हो। आए दिन अनेकों मामले मीडिया की सुर्खी बने रहते हैं। निर्भया कांड के बाद जनता के फूटे गुस्से के चलते भारतीय दण्ड संहिता में हुए महत्वपूर्ण बदलाव के बावजूद देश में बलात्कार के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। आज भी परिस्थिति ज्यों कि त्यों हैं। राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो के 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर रोज़ 88 बलात्कार की घटनाएँ सामने आती हैं। अगर और ध्यान से इन आंकड़ों को देखें तो पता चलेगा कि स्तिथि इतनी भयावह है कि 88 महिलाओं में से 14 नाबालिग लड़कियां होती हैं। बलात्कार के मामलों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बाद, दूसरे नंबर पर है, जहाँ हर रोज़ करीबन 17 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएँ सामने आती हैं।

यह सिर्फ इसी मामले की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे देश की स्थिति दिखाने वाले आधिकारिक आंकड़े हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ते जा रहे हैं लेकिन जब मामले दर्ज होते हैं तो अदालतों में उन पर सुनवाई पूरी होने में सालों लग जाते हैं और उसके बाद भी बहुत ही कम मामलों में जुर्म साबित होता है और मुजरिम को सजा होती है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में रोज कम से कम 88 बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं लेकिन इनमें अपराध सिद्धि यानी कन्विक्शन की दर सिर्फ 27.8 प्रतिशत है।

यानी हर 100 मामलों में से सिर्फ 28 मामलों में अपराध सिद्ध हो पाता है और दोषी को सजा हो पाती है। इस मामले में सबूत पर्याप्त थे या नहीं और पुलिस की जांच विश्वसनीय या नहीं यह फैसला विस्तार से जारी होने के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन अभी इस मामले का अंत हुआ नहीं है। नाही अंत हुआ है महिलाओं के खिलाफ शासन-प्रशासन के लापरवाही भरे रवैए का, जो पीड़ित को शारिरीक के साथ साथ मानसिक कष्ट भी देती है।

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