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आपके यहां पालतू कुत्ता है? ज़रा बचकर! सरकार की नज़र आपकी जेब पर है...

उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में अब कुत्ता पालना महंगा होता जा रहा है।  लखनऊ नगर निगम की ओर से रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। प्रयागराज में हर साल 650 रुपये फीस ली जाएगी, जिसे नहीं भरने पर जुर्माना लगाया जाएगा। लेकिन आवारा कुत्तों के आतंक से बचाने की ज़िम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं।
dog tax

आपको याद होगा जब उत्तर प्रदेश की एक सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ये कह रहे थे, कि उनकी पुलिस लोगों को देखकर पहचान लेती है कि कौन मनचला है, कौन शरीफ है? आपको याद होगा जब भारतीय जनता पार्टी ने मवेशियों के आधार कार्ड बनवाने की योजना बनाई थी, हालांकि लोगों को भ्रमित करने वाले ये ऐलान कागज़ों तक इसलिए सीमित रह गए क्योंकि ऐसी बातों का कोई अस्तित्व नहीं होता, ये सिर्फ वोट बटोरने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैंतरे होते हैं।

अतरंगी कामों की धनी भारतीय जनता पार्टी और उसकी सत्ता वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का नगर निगम भी कम नहीं है। प्रयागराज नगर निगम की नज़र अब कुत्ता पालने वालों पर पड़ गई है, यानी अब आटा, दाल, चावल, सब्जी और गैस सिलेंडर की तरह कुत्ता पालना भी बहुत महंगा होने वाला है।

कहने का अर्थ ये कि जनता की जेब पर डाका डालने की भी एक हद होती है, दूध, दही, चीनी, गैस से लेकर पट्रोल-डीज़ल तक सरकार ने कुछ तो छोड़ा नहीं, अब कुत्ता पालने पर भी हर साल 650 रुपये नगर निगम के खाते में डालने होंगे। वहीं अगर कुत्ता मालिक ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 5000 रुपये ज़ुर्माना भी भरना होगा।

नगर निगम प्रयागराज का कहना है कि शहर में रहने वाले वो सभी लोग जो कुत्ता पालते हैं, उन्हें अपने कुत्ते का पशु चिकित्सा और कल्याण अधिकारी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा और वहीं से उन्हें एक टोकन मिलेगा जिसे उन्हें अपने कुत्ते के गले में पहनाना होगा। यह करना सभी कुत्ता मालिकों के लिए आनिवार्य है, जो भी ऐसा नहीं करेगा उसको 5 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। हालांकि प्रयागराज नगर निगम के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर ये बात ‘’कुत्ता कर’’ नाम से ट्रेंड करने लगी। जिसे लेकर यूज़र्स ने सरकार पर कटाक्ष करने शुरू कर दिए...

अफ्फान नाम के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट होता है कि कुत्ता कर भी भरना होगा अब अंधक्तों सोच लो अब नमक, तेल, दूध,दही,के बाद ये भी सौग़ात स्वीकार करे l

लेकिन एक सवाल जो राज्य के अंदर आवारा कुत्ते हैं उसका मालिक तो राज्य सरकार होती है तो क्या वो कर भरेगी या माफ़ रहेगा ?

तनवीर वारसी अपने ट्वीटर हैंडल से लिखते हैं कि "देख रहे हो विनोद"

बृजेश राजपूत ने एक ट्वीट किया कि कुत्ता कर की मार प्रयागराज में कुत्ता पालने पर। नगर निगम में कुत्ता कर प्रारम्भ हो गया है प्रति कुत्ता 600 रुपये टैक्स देना पड़ेगा एक वर्ष के लिए। मेनका जी मदद करें प्रयागराज वासियों की।

सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में अब कुत्ता पालना महंगा हो गया है। लखनऊ नगर निगम की ओर से रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत अब 500 रुपये की जगह 1000 रुपये शुल्क लिया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि इसको लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

आने वाली कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसको लागू कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में नगर निगम में 200, 300 और 500 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती है। इसको अब 1000 रुपये करने की तैयारी है। लखनऊ में करीब 5000 लोगों ने डॉग्स का रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे विभाग को करीब 20 लाख रुपये का राजस्व मिलता है।

अगर निगम 1000 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क करता है, तो आने वाले वित्तीय साल में विभाग का राजस्व 50 लाख रुपये पहुंच जाएगा। एक अप्रैल से 31 मार्च तक डॉग्स के रजिस्ट्रेशन का सत्र रहता है। ऐसे में इस साल जिसका रजिस्ट्रेशन हो गया है, उनको अतिरिक्त पैसा नहीं देना होगा। हालांकि, अगले साल उनकी जेब ढीली हो सकती है।

नगर निगम सूत्रों के अनुसार, अभी बहुत बड़े वर्ग ने अपने डॉग्स का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। ऐसे में 15 अगस्त के बाद सुबह और शाम नगर निगम की ओर से चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। इसमें अपार्टमेंट में खासकर इस अभियान को तेज किया जाएगा, ताकि विभाग का राजस्व बढ़ सके।

एक अनुमान के अनुसार, शहर में करीब 25 हजार से ज्यादा परिवार के पास पालतू जानवर हैं। अभी तक महज 20 फीसदी लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है।

दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर में भी पालतू डॉग्स की रजिस्ट्रेशन फीस 50 गुना बढ़ा दी गई है, अब तक रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ 2 रुपये लगते थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया गया है। वहीं नगर निगम में अभी तक सिर्फ 77 पालतू कुत्तों का ही रजिस्‍ट्रेशन हुआ है। नगर निगम जल्द ही रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराने वालों के खिलाफ अभियान चलाएगा। रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।

वैसे भी कुत्तों पर टैक्स लगाकर या रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाकर सरकार जितना मर्जी अपनी जेब भर ले, लेकिन नियम ये कहता है कि जो आवारा कुत्ते सड़कों पर घूमते हैं, उनकी देखभाल का ज़िम्मा राज्य सरकार का होता है, उन्हें पकड़ना भी राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी होती है। और फिर उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं का हाल कौन नहीं जानता। चाहे गाय हो, बैल हो या फिर कुत्ते। अब सवाल ये है कि क्या सड़क पर घूमने वाले आवार कुत्तों का टैक्स सरकार अपनी जेब से भरेगी?

दूसरी चीज़ ये कि जो पैसा सरकार लोगों के जेब से कुत्ता टैक्स के नाम से ले रही है, वो कहां खर्च हो रहा है, क्योंकि सड़कों पर आए दिन कुत्तों का आंतक देखने को मिल ही जाता है, अक्सर ख़बरे आती हैं, कभी बच्चों पर अटैक कर दिया, तो कभी राहगीरों पर।

उत्तर प्रदेश के बाकी शहरों का क्या ही कहा जाए, ख़ुद राजधानी लखनऊ में आवारा कुत्तों ने लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजाना 200 से ज्यादा लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहर में कुत्तों का ज्यादा आतंक है। यह आंकड़े सरकारी अस्पतालों में लग रहे रैबीज के इंजेक्शन बता रहे हैं। इंजेक्शन लगवाने वालों में 30 प्रतिशत बच्चे हैं।

लखनऊ शहर के 70 प्रतिशत इलाकों में कुत्तों का आतंक है। नगर निगम के आंकड़ों के विपरीत इन इलाकों में हजारों की संख्या में कुत्ते हैं। जिनसे लोग आतंकित हैं। लखनऊ में कुत्तों के काटने से जितने लोग जख्मी हो रहे हैं उससे ज्यादा कुत्ते के डर से गिरने की वजह से जख्मी हो रहे हैं। नगर निगम में जो शिकायतें आयी हैं उनमें से ज्यादातर ऐसी ही हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें बच्चों पर हमला की हैं। ढाई सालों में करीब 1034 शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर बच्चों के लिए की गई हैं।

कहने का अर्थ साफ है कि जब सड़क पर जनता सुरक्षित चल नहीं सकती, बच्चे खुलकर खेल नहीं सकते.. तो सरकार किस बात का टैक्स वसूल रही है। आपको बता दें कि ये सभी बदलाव हमें तब देखने को मिले हैं, जब लखनऊ की एक महिला को उसके ही पालतू कुत्ते पिटबुल ने नोंच-नोंच मार डाला था। इस खबर ने कुत्ता पालने वालों को चौंका दिया था। इसके बाद प्रशासन ने भी तमाम कुत्ता पालने वाले लोगों से गुजारिश की थी कि वह इस तरह का खतरनाक कुत्ता अगर पालते हैं तो सावधानी के साथ उसको रखें और समय-समय पर उसकी ट्रेनिंग कराते रहें।

ख़ैर... इस सरकार की नज़र जनता की हर उस चीज़ पर है, जिसके ज़रिए उसे वसूली की जा सकती हो। कभी छोटी-छोटी रोज़मर्रा की चीज़ों पर टैक्स लगातर, तो कभी कुत्ता कर जैसी योजनाएं बनाकर। जबकि आवारा कुत्तों से हो रही दिक्कतों की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? ये अब भी सवाल है।

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