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वैक्सीन को मान्यता देने में हो रही उलझन से वैश्विक हवाई यात्रा पर पड़ रहा असर

एक साझा वैक्सीन पासपोर्ट की कमी से उलझन पैदा हो रही है।
covid

अब जब वैश्विक स्तर पर कोविड-19 की स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आती लग रही है, तब अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन को धीरे-धीरे खोला जा रहा है। खासकर उन देशों में हवाई बाज़ार तेजी से खुल रहा है, जहां बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान चलाया गया था। हवाई यात्राओं की बढ़ती मांग से बड़े स्तर का टीकाकरण कराने वाले इन देशों से सबसे घनी आबादी वाले, जैसे- यूके-ब्रिटेन या भारत और उत्तरी अमेरिका व कुछ यूरोपीय देशों में चलने वाली उड़ानों पर दबाव बढ़ गया है। 

सबसे कम टीकाकृत देश अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में हैं, जहां हवाई उड़ानों पर अब भी महामारी का प्रभाव पड़ रहा है। कुछ पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड द्वारा भी अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा को पूरी तरह खोला जाना बाकी है। यह बताता है कि जब तक कोरोना वायरस वैरिएंट्स का प्रसार रुक नहीं जाता, तब तक लोगों की आवाजाही बाधित रहेगी।

महामारी में चलने वाली "बबल फ्लाइट", जो पिछले चार-पांच महीने से भारत से चल रही हैं, वे भारी दबाव महसूस कर रही हैं। एयर बबल दो देशों के बीच एक तात्कालिक प्रबंधन है, जिसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा बंद होने की स्थिति में व्यवसायिक यात्री सेवा को दोबारा चालू करना था। दोनों देशों की एयरलाइन्स को इस सेवा के तहत बराबर फायदे ही मिलते रहे हैं। 

वैश्विक हवाई यात्रा लगे प्रतिबंध

चूंकि प्रतिबंधों के हटने के बाद धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन कुछ देशों की वैक्सीन को मान्यता देने की समस्या बनी हुई है। जैसे- ब्रिटेन ने कुछ देशों के लिए उड़ाने चालू की हैं, जिनमें भारत भी है। लेकिन वहां भारत में लगाई जा रही कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी गई है। लेकिन भारत द्वारा मजबूत विरोध किए जाने के बाद पिछले हफ़्ते ब्रिटेन ने कोविशील्ड को अनुमति दिए गए वैक्सीनों की सूची में शामिल कर लिया। 

भारतीय यात्रियों को एक और मुश्किल से जूझना पड़ रहा है। स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन को अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता नहीं दी गई है। जबकि भारत बॉयोटेक द्वारा आपात उपयोग की अनुमति के लिए 6 महीने पहले आवेदन लगा दिया गया था। जहां कुछ देशों ने IATA (इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के यात्रा पास की व्यवस्था अपना ली है, लेकिन किसी समान डिजिटल वैक्सीन प्रमाणपत्र बड़े देशों में उपयोग नहीं किया जा रहा है। 

सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के लिए कुछ तरह के तंत्रों और आवेदनों का परीक्षण किया जा रहा है। इस तरह के वैक्सीन पासपोर्ट का परीक्षण किया जा रहा है, जो लोगों को उनके मोबाइल ऐप के ज़रिए उपलब्ध करवाए जा सकें। इसके लिए शुरुआत के तौर पर जो राष्ट्र आपस में बबल समझौते में हैं और एक दूसरे के लिए अपनी सीमा खोल चुके हैं, वे एक-दूसरे के वैक्सीन की पुष्टि इस तरह के यात्रा पास या मोबाइल ऐप से कर सकते हैं। वैक्सीन प्रमाणपत्र से संबंधित इस तरह के डिजिटल तंत्र को लाए जाने की सबसे ज़्यादा मांग एशिया और उत्तरी अमेरिका में हो रही है।

यूरोपीय संघ में एक बड़ी समस्या मौजूद है, जहां मुक्त आवाजाही, सदस्य देशों द्वारा महामारी में प्रवेश नियमों पर सौहार्द्र ना बनाए जाने से प्रभावित हो रही है। इसके चलते सीमाओं को खोले जाने से यात्रियों और व्यापारियों में उलझन पैदा हो रही है और आसान यात्रा से जो फायदे मिलने की उम्मीद थी, वो नहीं मिल रहे हैं।

IATA द्वारा हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में गैर-यूरोपीय देशों के टीकाकृत लोगों को प्रवेश की अनुमति देने पर भी अंतर है। यूरोपीय देशों में से 41 फ़ीसदी "श्वेत सूची" में शामिल गैर-यूरोपीय देशों को प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहे हैं। छोटी चीजें, जैसे- पैसेंजर लोकेटर फॉर्म को 45 फ़ीसदी ईयू सदस्य ऑनलाइन लेते हैं, जबकि 33 फ़ीसदी कागज़ और ऑनलाइन तरीकों से लेते हैं। लेकिन 11 फ़ीसदी देश सिर्फ़ कागज पर ही इस फॉर्म को ज़मा करवाने की मान्यता देते हैं, जबकि यूरोपीय संघ के 11 फ़ीसदी देशों में तो यह फॉर्म ही उपलब्ध नहीं है। IATA ने यूरोपीय देशों ने अपने नियमों में सौहार्द्र लाने की मांग की है, जिसमें यात्रियों के एयरपोर्ट पर पहुंचने से पहले वैक्सीन प्रमाणीकरण को डिजिटल तरीके से करने की मांग शामिल है।

IATA ने इन देशों से पैसेंजर लोकेटर फॉर्म को आपस में एक स्टेट पोर्टल से जोड़ने की भी मांग की है। फिलहाल 80 फ़ीसदी यूरोपीय देशों में ऐसा नहीं होता। IATA, यूरोप के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राफाएल श्वार्ट्जमैन कहते हैं, "यूरोप में ग्रीष्म ऋतु के अनुभव से पता चलता है कि सामान्य डिजिटल सर्टिफिकेट पर्याप्त नहीं है: कोविड-19 से जुड़ी यात्रा प्रक्रियाओं को भी आपस में सरल बनाने और एक-दूसरे के साथ सौहार्द्रपूर्ण बनाए जाने की जरूरत है। हम यूरोपीय देशों से इन समस्याओं को हल करने और पहले से ही दिक्कतों में चल रहे यात्रियों को उनकी यात्रा योजनाओं पर निश्चित्ता उपलब्ध कराए जाने की मांग करते हैं।"

हालिया घटनाक्रम

अब तक करीब़ दो दर्जन देशों ने पूरी तरह टीकाकरण करवा चुके लोगों के लिए कोविड प्रतिबंधों को पूरी तरह या आंशिक तरीके से ह़टाया है। इस बात के वैज्ञानिक सबूत मिले हैं कि टीकाकरण से ना केवल लोगों को सुरक्षा मिलती है, बल्कि वायरस के प्रसार को भी रोकता है। जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन में सरकारी एजेंसियों के अध्ययन में पता चला है कि टीकाकृत यात्री अब वायरस के प्रसार में बड़े स्तर पर शामिल नहीं हैं और स्थानीय आबादी को उनसे ज़्यादा ख़तरा नहीं है।

जर्मनी में किए गए एक अध्ययन ने तो यहां तक बताया है कि वैक्सीन से वायरस प्रसार का ख़तरा, रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना पुष्टि के "फाल्स नेगेटिव" आने की संभावना से भी कम हो जाता है। यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा भी ऐसी ही वैज्ञानिक सलाह दी गई है। सेंटर ने प्रस्तुत सबूतों के आधार पर कहा, "टीकाकृत व्यक्ति द्वारा वायरस प्रसार की संभावना फिलहाल बहुत ही कम मापी गई है। यूएस सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी ऐसी ही बातें कही हैं।

IATA ने हाल में कुछ अंतरराष्ट्रीय शहरों में एक पोल करवाया, जिसमें पता चला कि इन शहरों में से 89 फ़ीसदी ने वैश्विक कोविड-19 टेस्ट और वैक्सीन प्रमाणीकरण का समर्थन किया। पोल में डिजिटल समाधान का मजबूती से समर्थन किया है और इसमें पाया गया कि 84 फ़ीसदी यात्री अपने यात्रा स्वास्थ्य जानकारियों को प्रबंधित करने के लिए ऐप की जरूरत महसूस करते हैं।

जो बाइडेन प्रशासन द्वारा हाल में नवंबर की शुरुआत से टीकाकृत लोगों को अमेरिका में प्रवेश देने के फ़ैसले, बशर्ते यह लोग यात्रा के पहले कोरोना टेस्ट में नेगेटिव आए हों, इससे 33 देशों को फायदा मिला है, जिनमें ब्रिटेन, आयरलैंड, सेशेगन देश, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन शामिल हैं।

अमेरिका के फ़ैसले का स्वागत करते हुए IATA के डॉयरेक्टर जनरल विली वाल्श ने कहा, "यह कोविड-19 से जुड़े जोख़िम को प्रबंधित करने में एक बड़ा बदलाव है, जहां किसी देश के नागरिकों को पूरी तरह मान्यता देने के बजाए, व्यक्तिगत जोखिम को प्राथमिकता बनाया गया है। अगली चुनौती ऐसी व्यवस्था बनाने की है, जो उन यात्रियों का जोख़िम प्रबंधित करते, जिन्हें वैक्सीन तक पहुंच नहीं मिल पाई है। आंकड़े टेस्टिंग को एक समाधान के तौर पर देखते हैं। हमें ऐसी स्थिति पर पहुंचना होगा, जहां यात्रा करने की आज़ादी सभी को उपलब्ध हो।"

डिजिटल वैक्सीन पैमानों में सौहार्द्र बनाए जाने की जरूरत उड्डयन सेवाओं को सुरक्षित तरीके से फिर से संचालित करने, एयरपोर्टों पर गैरजरूरी भीड़ जमा होने से रोकने और यात्रियों को सुलभता का अनुभव करना के लिए जरूरी है। इसके उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित तरीके से खोलने से लेकर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को चालू करवाना है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, ICAO (इंटरनेशनल सिविल एविऐशन ऑर्गेनाइज़ेशन), एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल, IATA और सरकारी एजेंसियों को एक साझा वैश्विक डिजिटल वैक्सीन पैमाने बनाने होंगे। इससे एयरलाइन्स, सीमा प्रशासन और सरकारों को यात्रियों के डिजिटल वैक्सीन सर्टिफिकेट की पुष्टि करने में सहूलियत होगी और जोख़िम कम होगा। 

(अमिताभ रॉयचौधरी का आंतरिक सुरक्षा, रक्षा और नागरिक उड्डयन पर पीटीआई के लिए काम करने का लंबा अनुभव है। यह उनके निजी विचार हैं।)

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

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