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जेएनयू में फिर हिंसा: एबीवीपी पर नॉनवेज के नाम पर छात्रों और मेस कर्मचारियों पर हमले का आरोप

जेएनयू छात्र संघ ने एक बयान में कहा, “घृणा और विभाजनकारी एजेंडे की अपनी राजनीति का पूर्ण प्रदर्शन करते हुए एबीवीपी के गुंडों ने कावेरी छात्रावास में हिंसक माहौल बनाया है। वे मेस कमेटी को रात के खाने के मेन्यू को बदलने और सभी छात्रों के लिए सामान्य मांसाहारी भोजन को मेन्यू से बाहर करने के लिए मजबूर कर रहे थे और जब उसने ऐसा करने से इंकार किया तो हमला कर दिया।
JNU

रविवार 10 अप्रैल को एकबार फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में हिंसा हुई। एकबार फिर दक्षिणपंथी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर मारपीट का आरोप लगा। जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों ने छात्रों को छात्रावास में मांसाहारी भोजन खाने से रोका और ‘‘हिंसा का माहौल बनाया।’’ यह घटना के बाद कैंपस में छात्रों ने मुख्यद्वारा तक विरोध मार्च निकाला और संघ से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी को इस घटना के लिए ज़िम्मेदार बतया और वहीं पुलिस पर भी उनके साथ देने का आरोप लगाया।

वहीं, एबीवीपी ने इन आरोपों का खंडन किया और उल्टे लेफ्ट ग्रुप पर ही हिंसा का आरोप लगाया।

लेफ़्ट स्टूडेंट ग्रुप ने कहा कि एबीवीपी के 'गुंडों' ने कावेरी हॉस्टल मेस सचिव को आज (रविवार) करीब चार बजे पीटा। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके कई सदस्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

जेएनयू छात्र संघ ने एक बयान में कहा, “घृणा और विभाजनकारी एजेंडे की अपनी राजनीति का पूर्ण प्रदर्शन करते हुए एबीवीपी के गुंडों ने कावेरी छात्रावास में हिंसक माहौल बनाया है। वे मेस कमेटी को रात के खाने के मेन्यू को बदलने और सभी छात्रों के लिए सामान्य मांसाहारी भोजन को मेन्यू से बाहर करने के लिए मजबूर कर रहे थे और जब उसने ऐसा करने से इंकार किया तो हमला कर दिया। मेन्यू में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन हैं। छात्र अपनी पसंद का खाना खा सकते हैं। लेकिन एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने गुंडागर्दी कर हंगामा किया। साथ ही मेस के कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने मेस कर्मचारियों पर मांसाहारी भोजन नहीं बनाने का दबाव डाला ये अपने ब्राह्मणवादी वर्चस्व के आदर्शों को मजबूत करने के लिए कर रही है।

छात्र संघ ने आगे आरोप लगाया कि एबीवीपी के छात्रों ने मेस कमेटी को रात के खाने के मेनू को बदलने के लिए मजबूर किया और वामपंथी छात्रों और मेस से जुड़े लोगों पर हमला किया। इसके विरोध में छात्रों ने मार्च भी निकाला और आज सोमवार को प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

इस बीच, एबीवीपी ने दावा किया है कि वामपंथी छात्रों ने राम नवमी के अवसर पर पूर्व द्वारा आयोजित प्रार्थना अनुष्ठानों को “बाधित” करने की कोशिश की।

इस विवाद के बाद इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने नोटिस जारी कर कहा है कि कैंपस मेस में मांसाहारी खाने पर कोई पाबंदी नहीं है। इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई रोक नहीं है।

पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) मनोज सी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कुछ छात्रों को चोटें आई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल कोई हिंसा नहीं हुई है। विरोध प्रदर्शन किया गया जो समाप्त हो गया है। हम सभी यहां अपनी टीम के साथ तैनात हैं। विश्वविद्यालय के अनुरोध पर हम यहां आए हैं। हम शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि घटना का विवरण बाद में साझा किया जाएगा।

अभी इस मामले में पुलिस को शिकायत कर दी गई और सभी चोटिल छात्रों की एमएलसी हो गई है। किसी भी छात्र को गंभीर चोट नहीं आई है।

आपको बता दक्षिणपंथी समूह पिछले कई महीनों से दिल्ली और बाकी कई अन्य राज्यों में नवरात्र में मांसहार पर पाबंदी की बात कर रहा है। हाल ही में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने नवरात्रो में मांस के खरीद बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस नगर निगम में छात्र संगठन एबीवीपी के समर्थक भारतीय जनता पार्टी सत्ताधारी है। ये पूरी योजना तहत अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।

इसी का परिणाम है कि पिछले कुछ सालों में जेएनयू इनके निशाने पर रहा है क्योंकि जेएनयू ने ऐसी हर हरकत का प्रतिकार किया है। पिछले कुछ सालों में अपने विचार और बौद्धिक चर्चाओं के लिए जाने जाना वाला जेएनयू हिंसक घटनाओ का गवाह बन रहा है। इन सब में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। 2020 में हुई हिंसक घटना की जाँच कर रही दिल्ली पुलिस आजतक उसके गुनाहगारो को पकड़ नहीं पाई है।

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