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मणिपुर में हिंसा जारी, लेकिन सरकार की नजरों में हालात सामान्य हैं : कांग्रेस

मणिपुर के पांचों घाटी जिले में एहतियाती उपाय के तौर पर मंगलवार शाम से एक बार फिर पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
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फ़ोटो साभार : AP

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के इस प्रदेश में हिंसा का दौर जारी है, लेकिन 'डबल इंजन' सरकार की नजरों में हालात सामान्य हैं।

कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर ऐसे समय में निशाना साधा है, जब मणिपुर के सभी पांच घाटी जिलों में मंगलवार शाम से एहतियाती तौर पर एक बार फिर पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "जी20 शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली में हो रहा है, जबकि इंफाल घाटी के सभी पांच जिले अगले पांच दिनों के लिए पूर्ण कर्फ्यू में रहेंगे। हिंसा का दौर चार महीने बाद भी जारी है, लेकिन मोदी सरकार की 'डबल इंजन' सरकार के लिए मणिपुर में हालात 'सामान्य' हैं।"

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में मई की शुरुआत में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

मणिपुर के पांच घाटी जिलों में एहतियाती उपाय के तौर पर पूर्ण कर्फ्यू लगाया गया

मणिपुर के पांचों घाटी जिले में एहतियाती उपाय के तौर पर मंगलवार शाम से एक बार फिर पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि चूराचांदपुर से कुछ किलोमीटर दूर बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में 'कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी' (सीओसीओएमआई) और उसकी महिला इकाई द्वारा बुधवार को सभी घाटी जिलों के लोगों से सेना के एक बैरिकेड को हटाने के आह्वान के मद्देनजर बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल वेस्ट और इंफाल ईस्ट में कर्फ्यू के घंटों में दी गई ढील समाप्त कर दी गई है।

इन जिलों में रोजाना सुबह पांच बजे से लेकर शाम छह बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई थी।

जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में राज्य के सूचना एवं जन संचार मंत्री सपम रंजन ने कहा, "सरकार ने सीओसीओएमआई से छह सितंबर को तोरबुंग के पास फौगाकचाओ इखाई में सेना के बैरिकेड पर धावा बोलने की प्रस्तावित योजना को वापस लेने की अपील की है।"

सपम ने सभी से "सरकार द्वारा उठाए गए सुरक्षा कदमों का समर्थन करने" का भी अनुरोध किया।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य, बिजली, पीएचईडी, पेट्रोल पंप, स्कूल/कॉलेज, नगर पालिका, मीडिया और अदालत जैसी आवश्यक सेवाओं से संबंधित व्यक्तियों तथा हवाई यात्रियों को कर्फ्यू के दौरान आवाजाही की छूट दी जाएगी।

सीओसीओएमआई के मीडिया समन्वयक सोमेंद्रो थोकचोम ने कहा कि समिति ने पहले सरकार और संबंधित अधिकारियों से 30 अगस्त तक बैरिकेड हटाने का आग्रह किया था।

लोगों से बैरिकेड पर धावा बोलने का आह्वान करते हुए थोकचोम ने कहा कि अगर कुछ अप्रिय घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

स्थानीय लोगों ने कहा कि फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड के कारण वे तोरबुंग में अपने घर नहीं जा पा रहे है, जिसे उन्होंने तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद खाली कर दिया था।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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