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कश्मीर यात्रा पर आए विदेशी राजनयिक ने कहा, ‘हम यहाँ बतौर टूरिस्ट आए हैं’

जब अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत से यह सवाल किया गया कि उन्होंने कहाँ देख लिया कि स्कूल खुले हुए हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में तो सर्दी की छुट्टियों के चलते स्कूल बंद पड़े हैं, तो राजदूत का कहना था, "हवाई अड्डे से यहाँ तक के रास्ते पर देखे हैं।"
‘We Are Here as Tourists
चित्र सौजन्य: कामरान यूसुफ

श्रीनगर : विदेशी दूतों का एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा पर है, और उनमें से एक राजदूत का कहना है कि उन्हें कश्मीर बेहद “ख़ूबसूरत” लगा और वे लोग इस क्षेत्र में एक “पर्यटक” की हैसियत से घूमने आए हैं।

जी हाँ, डोमिनिकन रिपब्लिक के दूत फ्रैंक हांस डैनबर्ग कैस्टेलानोस का अपनी यात्रा के बारे में कहना है कि "हम कश्मीर की यात्रा पर हैं .. यह एक बेहद ख़ूबसूरत जगह है और यहाँ पर हम मात्र पर्यटक की हैसियत से आए हैं।"

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दुनिया भर के विभिन्न देशों से 25 राजदूत जम्मू और कश्मीर जो कि अब दो केंद्र शासित प्रदेश हैं, के दौरे पर हैं। पिछले एक महीने से इस क्षेत्र में आने वाले विदेशी दूतों और सांसदों की यह दूसरी यात्रा हो रही है।

विदेशी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में फ़्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, हंगरी, नीदरलैंड और बुल्गारिया जैसे यूरोपीय देशों सहित किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ताज़िकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के मिशन प्रमुख शामिल हैं। इसके साथ ही इस यात्रा में कनाडा, न्यूजीलैंड, पोलैंड और अफ़्रीकी देशों जैसे युगांडा, नामीबिया और रवांडा और लैटिन अमेरिकी देशों में से गुयाना, डोमिनिकन गणराज्य और मैक्सिको के प्रतिनिधि भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।

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इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान के दूत नईम ताहेर कादरी भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जिनका कहना था कि उनकी हमेशा से यह चाहत थी कि कश्मीर की यात्रा पर जा सकें। राजदूत का कहना था, “मैंने देखा स्कूल खुले हुए हैं, लोग-बाग स्कूल जा रहे हैं और दुकानें खुली हुई हैं....यह दुनिया का वो हिस्सा है, जिसे देखने की मेरी दिली हसरत थी। इसलिये, कुल मिलाकर यह यात्रा बेहद शानदार रही।”

जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि उन्होंने स्कूलों को कहाँ खुला देख लिया, चूँकि सर्दी की छुट्टियों के चलते इस इलाक़े में तो सारे स्कूल बंद हैं तो राजदूत महोदय का कहना था कि, “एअरपोर्ट से यहाँ तक के रास्ते पर।"

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विदेशी राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर में क़रीब 11 बजे के आसपास पहुँच चुका था, जिसके बाद उन्हें श्रीनगर के होटल ललित में ले जाया गया। इसके बाद यह प्रतिनिधिमंडल शिकारे की सवारी के लिए डल झील गया, जहाँ क़रीब एक घंटे तक उन्होंने इसका आनंद लिया और इसके बाद वे सीधे अपने दल के साथ झील के पास अपने होटल की ओर लौट गए थे।

इस डेलीगेशन की मुलाक़ात नागरिकों के एक चुनिंदा समूह से कराई गई और उन्होंने यहाँ के दुकानदारों, व्यवसाईयों और पर्यटन के क्षेत्र में शामिल खिलाड़ियों के एक समूह के साथ यहाँ पर व्यापार और पर्यटन की स्थिति के सिलसिले में जानकारी हासिल की।

इस प्रतिनिधिमंडल का आज का दौरा शीतकालीन राजधानी जम्मू के लिए निर्धारित किया गया है जहाँ पर उन्हें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा ब्रीफ़ किया जायेगा और इसके साथ उनकी मुलाक़ात उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के साथ होनी तय पाई गई है।

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इस यात्रा के मद्देनज़र समूची घाटी और खास तौर पर श्रीनगर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात में बेहद चाक-चौबंद कर दिए गए थे, जिसमें पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सुरक्षाकर्मियों की शहर के सभी प्रवेश और निकास मार्गों पर भारी चौकसी शामिल है।

5 अगस्त 2019 को जबसे केंद्र सरकार ने धारा 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त कर दिया है, तबसे विदेशी प्रतिनिधिमंडलों का यह तीसरा कश्मीर दौरा हो रहा है। धारा 370 के निरस्तीकरण के बाद से इस क्षेत्र में भारी पैमाने पर तालाबंदी जारी है, आवागमन पूरी तरह से अवरुद्ध पड़ा है और दूर-संचार सेवाएं बुरी तरह से बाधित हैं।

पिछले साल अक्टूबर में और इस साल जनवरी में आयोजित दोनों यात्राओं में समय के चुनाव को लेकर और यात्रा के तरीकों को लेकर काफी विवाद देखने को मिला था और यह यात्रा सवालों के घेरे में रही थी। घाटी के कई लोगों का, जिसमें यहाँ के व्यापारी और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं, ने इन्हें "निर्देशित टूर" क़रार दिया था।

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यह यात्रा एक ऐसे समय में हो रही है जब कुछ दिन पहले ही सरकार ने कई क्षेत्रीय राजनीतिक नेताओं के ऊपर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) की धारा थोप दी है, जिनमें जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती भी शामिल हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

‘We Are Here as Tourists’, Foreign Envoy on Kashmir Visit

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