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रूस की खेरसॉन से वापसी के पीछे की रणनीति क्या है?

क्रीमिया की सुरक्षा, संचार, पानी, आदि के मामले में किसी भी ख़तरे को रोकना सबसे बड़ा उद्देश्य है।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले का मानना है कि मॉस्को को दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन शहर में तैनात लगभग 30,000 रूसी सैनिकों की वापसी को पूरा करने में कई सप्ताह लगेंगे। लेकिन रूस ने घोषणा की है कि सैनिकों और 5,000 से अधिक भारी उपकरण की ये वापसी दो दिनों में सफलतापूर्वक पूरी हो गई थी।

ज़ाहिर है, वापसी के आदेश को पूरा करने में बहुत पहले योजना बनाई गई थी। रूसी सैन्य कमान ने इस सप्ताह की शुरुआत में वास्तविक घोषणा से कुछ सप्ताह पहले इस वापसी पर काम करना शुरू कर दिया था।

केवल आठ दिन पहले यूक्रेन ऑपरेशन के लिए पहले थिएटर कमांडर के रूप में जनरल सर्गेई सुरोविकिन की नियुक्ति के तुरंत बाद उनके 18 अक्टूबर का असाधारण साक्षात्कार संभवतः खेरसॉन क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी की गंभीरता के बारे में जनता की राय को संवेदनशील बनाने के लिए तैयार किया गया था।

साक्षात्कार के निम्नलिखित अंश यहां प्रासंगिक हैं:

"एक मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है। दुश्मन जानबूझकर खेरसॉन में बुनियादी ढांचे और आवासीय भवनों पर बमबारी करता है। एंटोनोव्स्की ब्रिज और काखोव्स्काया पनबिजली स्टेशन के बांध को एचआईएमएआरएस मिसाइलों से क्षतिग्रस्त कर दिया गया, वहां यातायात रोक दिया गया।

“परिणामस्वरूप, शहर में भोजन की आपूर्ति मुश्किल है, पानी और बिजली की आपूर्ति में कुछ समस्याएं हैं। यह सब नागरिकों के जीवन को बहुत जटिल बनाता है, लेकिन उनके जीवन के लिए सीधा ख़तरा भी है।

“यूक्रेनी सशस्त्र बलों का नाटो नेतृत्व लंबे समय से कीव शासन से खेरसॉन के ख़िलाफ़ आक्रामक कार्रवाई की मांग कर रहा है, भले ही हताहतों की संख्या चाहे सशस्त्र बलों की और नागरिक आबादी की हो।

"हमारे पास इस संभावना पर डेटा है कि कीव में शासन खेरसॉन शहर के क्षेत्र में युद्ध के निषिद्ध तरीक़ों का उपयोग करेगा, कखोव्स्काया पनबिजली बांध पर बड़े पैमाने पर कीव ऑपरेशन में मिसाइल हमला करेगा। इस शहर पर बिना किसी अंतर के बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले करेगा।

"इन कार्रवाइयों से एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के बुनियादी ढांचे के विनाश और नागरिक हताहत हो सकते हैं।

“इन परिस्थितियों में, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करना है। इसलिए, रूसी सेना सबसे पहले रूसी सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे पहले से घोषित पुनर्वास कार्यक्रम के अनुसार लोगों के सुरक्षित निकासी को सुनिश्चित करेगी।

“खेरसॉन शहर के बारे में हमारी आगे की योजनाएं और कार्य वर्तमान सैन्य-सामरिक स्थिति पर निर्भर करेंगे। मैं फिर दोहराता हूं कि आज यह पहले से ही बहुत कठिन है।

“किसी भी मामले में, जैसा कि मैंने कहा, हम जितना संभव होगा नागरिकों और अपनी सेना के जीवन की रक्षा की आवश्यकता से शुरूआत करेंगे।

"हम कठिन निर्णयों को छोड़े बिना सचेत रूप से और समयबद्ध तरीक़े से कार्य करेंगे।"

तीन बातें कही जा सकती हैं। सबसे पहले, खेरसॉन से पीछे हटने का फ़ैसला ऑपरेशन कारणों से किया गया था। इसका तर्क यूक्रेन में तैनाती बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित सैन्य कर्मियों (स्वयंसेवकों सहित कुल 400,000 सैनिकों के क़रीब) को शामिल करना प्रगति कर रहे कार्य को बाधित करने से यूक्रेनी बलों और विदेशी सैनिकों के किसी भी प्रयास को रोकना है।

क्रेमलिन ने खेरसॉन शहर को ख़ाली करने के कड़वे फ़ैसले के लिए 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने के लिए अधिक सावधानी बरती, जो कैथरीन द ग्रेट की ऐतिहासिक विरासत के हिस्से के रूप में रूसी राष्ट्रीय मानस में दर्ज है। दिलचस्प बात यह है कि खेरसॉन शहर में इंपीरियल रूस के ऐतिहासिक अवशेषों को सावधानी से बचाया गया है और सुरक्षित भंडारण के लिए ले जाया गया है।

रूस की जनता ने बड़े पैमाने पर सैन्य कमान के फ़ैसले को स्वीकार किया है, जिसमें चेचन नेता रमजान कादिरोव और रूसी सैन्य ठेकेदारों के वैगनर समूह जैसे 'कट्टरपंथी' भी शामिल हैं। सितंबर में खार्कोव में वापसी के मामले में ऐसा नहीं था।

सबसे महत्वपूर्ण, इसकी सुरक्षा, संचार, पानी, आदि के संदर्भ में क्रीमिया के लिए किसी भी ख़तरे को रोकने का इरादा है। पीछे हटने वाली रूसी सेना ने खेरसॉन शहर को नीपर के पूर्वी तट से जोड़ने वाले एंटोनिवका पुल के दो बड़े हिस्सों को नष्ट कर दिया है। रूसी नियंत्रण के अधीन ओब्लास्ट के 60% क्षेत्र के साथ खेरसॉन क्षेत्र में नीपर डी फैक्टो 'बफर ज़ोन' बन जाता है।
आगे बढ़ते हुए सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह एक सामरिक वापसी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ज़ोर देकर कहा है कि खेरसॉन रूस का हिस्सा है। इसका मतलब खेरसॉन शहर को पुनः प्राप्त करने की बाध्यता से है क्योंकि विशेष सैन्य अभियान जारी हैं।

दूसरा, रूसी सैन्य कमान निकट समय में ओडेसा की ओर किसी भी ऑपरेशन पर विचार नहीं कर रहा है। प्राथमिकता डोनबास क्षेत्र (जो विशेष ऑपरेशन का प्रारंभिक उद्देश्य था) के साथ-साथ ज़ापोरोज़े क्षेत्र (जो कि क्रीमिया को रूसी भीतरी इलाक़ों से जोड़ने वाले ज़मीनी पुल की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है) पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के लिए ऑपरेशन को पूरा करना होगा। डोनेट्स्क में भीषण लड़ाई जारी है।

तीसरा, निश्चित रूप से, बाइडेन प्रशासन के भीतर बातचीत के प्रति सोच में बदलाव के शुरुआती संकेत हैं। वे कितने प्रामाणिक हैं, यह अस्पष्ट है। (नवंबर 10 का मेरा ब्लॉग देखें न एंड इन व्यू फॉर यूक्रेन वार और 11 नवंबर का बाइडेन नॉड्स टू कम्प्रोमाइज इन यूक्रेन।)

सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, बाइडेन प्रशासन एक विभाजित गृह है। संकेत बताते हैं कि पेंटागन बातचीत पर ज़ोर दे रहा है। सीएनएन के अनुसार, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ़ स्टाफ़ के अध्यक्ष जनरल मिले का मानना है कि कूटनीतिक समाधान के लिए समय आ गया है, क्योंकि सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन दोनों का नियोकंजर्वेटिव विचार है मगर संदेहपूर्ण हैं।

रूसी बड़े पैमाने पर अपने विचार अपने तक ही रखते हैं लेकिन कुछ संकेत भी सामने आ रहे हैं। वाशिंगटन में रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने शुक्रवार को प्रकाशित इज़वेस्टिया के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे केवल मीडिया लीक को देखते हुए यह मान लेना सरल लगता है कि रूसी-अमेरिका संबंधों को एक नए रास्ते पर लाने की दिशा में भी कोई परिवर्तन चल रहा है। हमारा रिश्ता एक गहरे संकट का सामना कर रहा है और बदतर स्थिति को बेहतर करने के लिए अभी तक कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।”

उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने शुक्रवार को कहा कि बाली में जी20 से इतर रूस और अमेरिका के बीच विदेश मंत्री स्तर पर किसी तरह के बैठक की योजना नहीं है। पेसकोव ने शुक्रवार को कहा कि "यूक्रेन में संघर्ष अपने (विशेष सैन्य अभियान के) लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद या शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से समान लक्ष्यों को प्राप्त करने के माध्यम से जो भी संभव हो समाप्त किया जा सकता है। कीव वार्ता नहीं चाहता है। विशेष सैन्य अभियान जारी है।"

रूस की नज़र में, बाइडेन प्रशासन कीव पर कितना दबाव बनाने को तैयार है, यह विवादास्पद मुद्दा है। रयाबकोव ने कल अपनी टिप्पणी में इस महत्वपूर्ण पहलू को उजागर किया कि "मैं दोहरा सकता हूं कि हम बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत के लिए तैयार हैं। और हम कुछ समय के लिए तैयार हैं। अपने पश्चिमी संरक्षकों के निर्देश पर, कीव ने संवाद को तोड़ दिया जो सामान्य रूप से प्रगति कर रहा था और एक ख़ास दस्तावेज़ पर काम हो रहा था। अब ये गुज़रे ज़माने की बातें हैं। और आगे क्या होता है अब हम पर निर्भर नहीं है।

"मैं निश्चित रूप से यहां अपनी राय साझा कर सकता हूं कि अगर कीव को किसी निश्चित राजधानियों से आदेश दिया जाता है तो इस तरह की बातचीत के लिए शायद बेहतर मौक़ा होगा। लेकिन फिर, हमारे यहां कोई बाधा नहीं है और बातचीत के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं होनी चाहिए।"

बड़ा सवाल यह है कि नवंबर-दिसंबर में शुरू होने वाला रूसी आक्रमण आगे बढ़ेगा या नहीं। जैसा कि सीएनएन के एक विश्लेषण ने निष्कर्ष में पाया कि, "खेरसॉन में सफलता थके हुए यूक्रेनी इकाइयों को कुछ राहत दे सकती है... लेकिन रूस के पास युद्ध में भेजने के लिए बहुत सारे हथियार और हज़ारों नए सैनिक हैं और यूक्रेनी बुनियादी ढांचे के ख़िलाफ़ उसके अभियान ने कई क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति को बाधित कर दिया है। यूक्रेन धीरे-धीरे पश्चिमी मददगारों से उन्नत हवाई सुरक्षा प्राप्त कर रहा है लेकिन बचाने के लिए बड़ा क्षेत्र बाक़ी है।"

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Russia’s Kherson Withdrawal is Tactical

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