आर्यन खान मामले में मीडिया ट्रायल का ज़िम्मेदार कौन?
"जब तक किसी का अपराध साबित नहीं हो जाता, वो अदालत की नज़र में बेकसूर होता है"
कानून का ये बेसिक प्रिंसिपल कई मायनों में आज के मीडिया, शासन-प्रशासन की पूरी व्यवस्था से इतर एक अलग न्याय की तस्वीर पेश करता है। हमारा देश संविधान और कानून से चलता है, जिसकी रक्षा के लिए अदालतें बनाई गई हैं। लेकिन हाल के दिनों में अदालतों से पहले ही मीडिया अपना फैसला सुनाता नज़र आता है। बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान के मामले में भी बिलकुल ऐसा ही हुआ, यही वजह है कि अब जब आर्यन को क्लीन चीट मिल गई है तो मादक पदार्थों की तस्करी रोकने वाली एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। ज़्यादातर लोग इस पूरे मामले को आर्यन के मीडिया ट्रायल के रूप में देख रहे हैं, लेकिन वास्तव में ये उससे कहीं बड़े अपराध में भागीदारी का मामला है।
बता दें कि बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे पर ड्रग्स मामले में कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। इससे पहले एनसीबी ने दावा किया था कि आर्यन ख़ान आदतन ड्रग्स लेते हैं और नशीले पदार्थों की सप्लाई भी करते हैं। जब आर्यन ख़ान को गिरफ्तार किया गया था तब इस मामले ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी। कई दिनों तक न्यूज चैनलों ने आर्यन ख़ान पर खास प्राइम टाइम कार्यक्रम किए थे। टीआरपी की लालच में उन्हें नशेड़ी और ड्रग डीलर तक बताया गया। तथाकथित वाट्सएप्प चैट्स का इस्तेमाल कर उनकी इमेज को खराब किया गया। साथ ही आर्यन को न केवल बदनाम करने की कोशिश हुई थी, बल्कि उनको फंसाने में लगे लोगों को बचाने और उन्हें हीरो के रूप में पेश करने में भी मीडिया का बड़ा हाथ था।
राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह
मालूम हो कि जिस वक्त आर्यन की गिरफ्तारी हुई थी, उस समय एक ओर उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए माहौल गरमाया जा रहा था, हिंदू-मुसलमान नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही थी, तो वहीं दूसरी ओर डानी बंदरगाह पर ड्रग्स की भारी खेप पकड़ी गई थी। ऐसे में बहुत सारे लोगों का मानना था कि राजनीति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के चलते आर्यन को निशाना बनाया गया, ताकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रहे। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि क्योंकि आर्यन और उनके पिता एक धर्म विशेष से ताल्लुक रखते हैं, जो अति हिंदुत्ववादियों की आंखों में चुभता है। इसलिए ये उनके विरोधियों के लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गई थी। और शायद शाहरुख को सत्तारूढ़ पार्टी की तारीफ करने वाला अभिनेता भी नहीं माना जाता, ये भी मया नगरी, सिनेमा, ग्लैमर, स्कैंडल, ड्रग्स और क्राइम की मसालेदार खबर की एक वजह थी।
मीडिया के साथ ही एनसीबी को लेकर केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठे। इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत केस में भी मीडिया ट्रायल और एनसीबी का एजेंडा विवादों में था। रिया चक्रवर्ती का मामला भी महाराष्ट्र का था, लेकिन एक केस बिहार में दर्ज़ करवाकर जांच अपने हाथ में ली गई। मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियां की गईं। मीडिया ने सरकार की हर कार्रवाई को जायज़ और ज़रूरी ठहराया। और ध्यान रहे, वह वक़्त था बिहार के विधानसभा चुनाव का। उस समय भी मीडिया सत्ताधारियों का हथियार बनकर उनके लिए प्रोपेगंडा करती नज़र आई थी।
रिया चक्रवर्ती का मामला तो फिलहाल कोर्ट में है लेकिन आर्यन के ममामले में फिलहाल दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है। ऐसे में अब मीडिया की भूमिका को रेखांकित करते हुए लोग मीडिया को कोस रहे हैं, उससे माफ़ी मांगने के लिए कह रहे हैं। कई लोग ये भी कह रहे हैं कि ऐसे न्यूज़ चैनलों और उनके पत्रकारों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज़ किए जाने चाहिए, जिन्होंने बेगुनाह आर्यन ख़ान के ख़िलाफ़ न केवल दुष्प्रचार किया बल्कि कार्रवाई का एकतरफ़ा समर्थन करते रहे।
किसने क्या कहा?
एनडीटीवी से जुड़ी पत्रकार निधि राजदान ने ट्वीट कर लिखा, "रिया चक्रवर्ती की तरह कई टीवी चैनलों ने आर्यन ख़ान मामले की सनसनीखेज कवरेज से खुद को बदनाम किया है। जो लोग सोचते हैं कि ये एंकर माफी मांगेंगे वे मज़ाक कर रहे हैं। ये नया मीडिया है। निर्लज्ज और बेशर्म।"
Like with Rhea Chakravarty, many TV channels disgraced themselves with their sensational coverage of the Aryan Khan case. Leaks, innuendos etc. But those who think these anchors will apologise are kidding themselves. This is naya media. Brazen and shameless
— Nidhi Razdan (@Nidhi) May 27, 2022
पत्रकार निखिल वागले ने इस मामले में एनसीबी के अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, "क्लीन चिट काफी नहीं है. एनसीबी को आर्यन ख़ान से माफी मांगनी चाहिए और संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।"
Clean chit is not enough. NCB should apologise to #AryanKhan and take action against concerned Officers. #AryanKhanDrugCase
— nikhil wagle (@waglenikhil) May 27, 2022
इस मामले में लेखिका तवलीन सिंह ने लिखा, "आर्यन ख़ान का मीडिया ट्रायल नारकोटिक्स ब्यूरो के झूठे मामले की तरह की शर्मनाक और पक्षपातपूर्ण था। जिन पत्रकारों ने इसमें हिस्सा लिया उन्हें जवाब देना चाहिए।"
आर्यन ख़ान को लेकर एनसीपी के नेता नवाब मलिक के ऑफिस ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, अब जबकि आर्यन ख़ान और पांच अन्य लोगों को क्लीन चिट मिल गई है तो क्या एनसीबी समीर वानखेड़े की टीम और उनकी निजी सेना के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी? या फिर अपराधियों को बचाने का काम होगा।"
Now that #AryanKhan and 5 others get a clean chit.
Will #NCB take action against #SameerWankhede his team and the private army?
Or will it shield the culprits? @ANI @PTI_News #FarziwadaExposed#NawabMalik#TruthPrevails— Office of Nawab Malik (@OfficeofNM) May 27, 2022
मीडिया से बात करते हुए आर्यन ख़ान के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि शाहरुख़ ख़ान को राहत मिली है कि उनके बेटे का इससे कुछ लेना-देना नहीं है। एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "आख़िरकार, सच्चाई की जीत हुई है।"
I'm happy that NCB realised that they've no case, no incriminating material, no evidence of drugs on Aryan Khan. NCB filed the charge sheet that Aryan Khan is not an accused. I only regret that the arrest was hasty: Ex AG Mukul Rohtagi who represented Aryan Khan in the drug case pic.twitter.com/u9r5ELN1gT
— ANI (@ANI) May 27, 2022
क्या था पूरा मामला?
मामले की शुरुआत 2 अक्टूबर को हुई थी। जब आर्यन ख़ान मुंबई के बांद्रा में एक पार्टी में शामिल होने के लिए कॉर्डेलिया क्रूज़ेज़ एंप्रेस जहाज़ पर पहुंचे थे। एनसीबी के मुताबिक मुंबई यूनिट को यहां नशीले पदार्थ होने की जानकारी मिली थी जिसके बाद यूनिट की एक टीम भी यात्रियों के भेष में इस जहाज़ पर चढ़ गई थी। अधिकारियों ने जाँच शुरू की और रिपोर्टों के मुताबिक़ उन्होंने कोकेन, चरस, एमडीएमए जैसे अवैध पदार्थों को जहाज़ से ज़ब्त किया। मीडिया में ख़बर आई कि छापे में एक बॉलीवुड स्टार के एक बेटे सहित कुछ लोगों को हिरासत में लिया। फिर पता चला कि हिरासत में लिए जाने वाले व्यक्ति आर्यन ख़ान हैं। तीन अक्टूबर को आर्यन को गिरफ़्तार कर लिया गया।
मीडिया खबरों के अनुसार एनसीबी ने आर्यन पर अवैध पदार्थों के कथित तौर पर सेवन, ख़रीद-फरोख़्त का आरोप लगाया और उन पर नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज़ एक्ट या एनडीपीएस क़ानून के तहत धाराएँ लगाईं। एनसीबी ने दावा किया कि उसके छापे में 13 ग्राम कोकेन, पाँच ग्राम एमडीएमए, 21 ग्राम चरस और 22 एमडीएमए की गोलियों के अलावा 1.33 लाख रुपए नकद मिले।
मामले का राजनीतिकरण और एनसीबी की गिरती साख
इस केस में कई ट्विस्ट एंड टर्न्स देखने को मिले। कभी आर्यन के साथ सेल्फी मामले ने तूल पकड़ा, तो कभी बीजेपी कार्यकर्ता की भूमिका ने। इसी बीच एक प्रमुख गवाह ने आरोप लगाया कि मामले के सिलसिले में एनसीबी के कार्यालय में उन्हें "खाली कागजों" पर हस्ताक्षर करने के लिए "मजबूर" किया गया। मामले का राजनीतिकरण भी हुआ। नवाब मलिक इस मामले को महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड को बदनाम करने की कोशिश बताते रहे। कुछ समय बाद जांच के प्रभारी अधिकारी समीर वानखेड़े को ब्लैकमेल करने के आरोप सामने आने के बाद मामले से हटा दिया गया था। अब शुक्रवार, 27 मई को दायर आरोपपत्र में एनसीबी ने 14 आरोपियों को नामजद किया लेकिन आर्यन खान समेत छह अन्य लोगों को सबूत की कमी के कारण छोड़ दिया गया है।
गौरतलब है कि छले कुछ समय से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो काफी चर्चा में रहा है और इसके साथ ही मीडिया ट्रायल भी खुलकर सामने आया है। जाहिर है बीते समय में देखने को मिला है कि सरकार उन मीडिया संस्थानों को संरक्षण दे रही है जो उसके एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। इसके उलट उन मीडिया हाउसेस पर छापे पड़ रहे हैं, मुक़दमे हो रहे हैं जो सरकार की खिलाफत कर रहे हैं। बहरहाल, इन सब मामलों से मीडिया की विश्वसनीयता और छवि पर भट्टा तो लग ही गया है लेकिन अब उससे नैतिकता और मानवता की उम्मीद भी नहीं रह गई है। और इन सबसे बढ़कर मीडिया अपनी इस हालात का खुद जिम्मेदार है।
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