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क्यों गौतम थापर को उन्हीं की कंपनी से निलंबित किया गया?

क्या CG पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन लिमिटेड के चेयरमैन पद से गौतम थापर को कंपनी के निदेशक मंडल ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते हटाया है? या फिर निजी इक्विटी फर्म KKR इंडिया और उसके एक क़रीबी व्यक्ति द्वारा उठाए गए क़दमों से गौतम थापर को हटाए जाने का आधार तैयार हुआ? दो हिस्सों में न्यूज़क्लिक के लिए एक जांच।
गौतम थापर

इस पहले लेख में उन घटनाओं के बारे में चर्चा की गई है, जिनके चलते CG पॉ़वर के चेयरमैन गौतम थापर को उनके पद से हटाया गया है। दूसरे लेख में उन व्यक्तियों और औद्योगिक संस्थानों के बारे में बात की गई है, जिन्होंने गौतम थापर को हटाने में भूमिका निभाई।

गुरुग्राम: गौतम थापर की अध्यक्षता वाले "CG पॉवर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन लिमिटेड (पहले क्रॉम्पटन ग्रीव्स लिमिटेड)" को कर्ज देने वाले बैंक, "एकमुस्त कर्ज पुनर्गठन कार्यक्रम (वन टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग प्रोग्राम)" पर सहमत हो गए। इसके चलते प्रतिष्ठित ऊर्जा निर्माता कंपनी के अधिग्रहण के लिए मुरुगप्पा समूह को रास्ता मिल गया। 

एक वक़्त भारत के कुलीन और जाने-माने औद्योगिक नेतृत्वकर्ता रहे थापर आज परेशान क्यों हैं? उन्हें उस कंपनी से बाहर कर दिया गया, जिसके कभी वो मुखिया थे। वह देश नहीं छोड़ सकते। ऐसा क्यों है? इस बीच में क्या हो गया? क्या कुछ ताकतवर लोगों के समूह ने उन्हें CG पॉवर के चेयरमैन पद से हटाने के लिए साजिश रची?

कैसे यह बहुराष्ट्रीय कंपनी, जो कई तरह के विद्युत उपकरण बनाती है, जो कुछ वक़्त पहले तक बल्ब, पंखे जैसी घरेलू चीजें बनाने और बेचने के लिए विख्यात थी, आखिर उसकी ऐसी हालत कैसे हो गई?

कर्ज पुनर्गठन प्रक्रिया में 14 बड़े बैंकों के कंसोर्टिअम ने CG पॉवर के कुल 2,161 करोड़ रुपये कर्ज में 1,100 करोड़ रुपये के कर्ज का "हेयरकट" करने का फ़ैसला लिया। बैंकिंग प्रक्रिया में हेयरकट का मतलब "किसी संपत्ति के कुल मूल्य में कटौती" करना होता है। ताजा मामले में यह कटौती कुल मूल्य की लगभग आधी है।

कुछ महीने पहले, अगस्त में चेन्नई आधारित मुरुगप्पा समूह के ट्यूब इंवेस्टमेंट इंडिया (TII) लिमिटेड ने CG पॉवर में 56.61 फ़ीसदी हिस्सेदारी खरीदने के एवज में 700 करोड़ रुपये निवेश करने का फ़ैसला लिया। इस निवेश में से कंपनी को कर्ज देने वालों को 650 करोड़ रुपये मिलने थे। बचे हुए कर्ज को डिबेंचर्स में बदला जाना था और CG पॉ़वर की संपत्ति को बेचा जाना था। 

अचानक हुआ निलंबन

29 अगस्त, 2019 को कंपनी के निदेशक मंडल की उथल-पुथल भरी बैठक के बाद, अगली सुबह 3 बजे घोषणा में कहा गया कि गौतम थापर को CG पॉवर के चेयरमैन पद से हटा दिया गया है। क्या उन्हें इसलिए हटाया गया कि बोर्ड को कंपनी में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित्ताएं मिलीं? या संस्थानों के प्रतिनिधि, बड़े औद्योगिक खिलाड़ियों, जैसे केकेआर इंडिया, लार्सन एंड टर्बो, टेलीकम्यूनिकेशन दिग्गज सुनील भारती मित्तल (एयरटेल के मुखिया) द्वारा बनाई गई एक फर्म, उनके साथ यह प्रतिनिधि मिले हुए थे और इनकी योजना नियंत्रण करने की आड़ में थापर को उनकी कंपनी से निकालने की थी? 

यहां CG पॉवर में पर्दे के पीछे क्या हुआ, उसकी एक विस्तृत रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट दस्तावेज़ों, 20 से ज़्यादा जानकारों के साथ गहन साक्षात्कारों और ईमेल संदेशों के आधार पर बनाई गई है। इन जानकारों में से ज़्यादातर ने हमसे नाम ना छापने की शर्त पर बात की। हमारी जांच दो से ज़्यादा महीने तक चली।

आखिर क्यों हमसे बात करने वाले ज़्यादातर लोगों ने नाम ना छापने की शर्त पर हमसे बात की? कारण: क्योंकि वित्तीय अनियमित्ताओं के आरोप-प्रत्यारोप, सार्वजनिक पैसे की बेईमान निकासी (सायफनिंग) और एक कॉरपोरेट तख्ता पलट के आरोपों की जांच, देश के वित्तीय बाज़ारों का नियंत्रक, "द सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI)" और औद्योगिक मंत्रालय के तहत आने वाले "सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO)" के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।

CG पॉवर की वार्षिक बैठक (AGM)

19 अक्टूबर, 2020 को CG पॉवर की 'एनुअल जनरल मीटिंग (AGM)' में कंपनी के हिस्सेदारों ने थापर से प्रोमोटर/प्रायोजक का दर्जा छीन लिया। थापर और उनकी प्रोमोटर समूह कंपनियों की फिलहाल इस CG पॉवर में लगभग नगण्य हिस्सेदारी है।

फिलहाल आशीष कुमार गुहा CG पॉवर के निदेशक हैं। सुधीर माथुर को मई, 2019 में कंपनी का सर्वकालीन कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया था, अब उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्ति दी गई है। हमने दोनों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

TII लिमिटेड द्वारा कंपनी में 700 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CII) से सहमति मिलने के एक हफ़्ते के भीतर AGM में सारा घटनाक्रम हुआ। (CII भारत सरकार के तहत आने वाली एक नियामक संस्था है, जिसका काम प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना, प्रतिस्पर्धा पर नकारात्मक असर डालने वाले तौर-तरीकों को दूर करना, ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और बाज़ार में व्यापार की स्वतंत्रता बरकरार रखना है।)

मुख्य खिलाड़ी

CG पॉवर की कहानी में अहम किरादारों के बारे में कुछ जानकारी इस तरह है।

- 120 साल पुराना, 38000 करोड़ रुपये का मुरुगप्पा समूह अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाला बहुराष्ट्रीय औद्योगिक घराना है, जिसमें कार्बोरंडम यूनिवर्सल, कोलामंडलम फायनेंशियल होल्डिंग्स, चोलामंडलम इंवेस्टमेंट एंड फॉयनेंस कंपनी, चोलामंडलम MS जनरल इंश्योरेंस कंपनी, EID पेरी (इंडिया), शांति गियर्स, वेंड्ट (इंडिया) और TII जैसी कंपनियां शामिल हैं। समूह का ऑटो पार्ट्स, ट्रांसमिशन सिस्टम, बॉयसकिल्स, शक्कर, कीटनाशक, कृषि सामग्रियों, अपघर्षक, पौधारोपण के साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों में बाज़ार प्रतिनिधि होने का दावा है।

- CG पॉवर विद्युत ऊर्जा के उपयोग के लिए "पूर्ण समाधान" उपलब्ध कराती है और कंपनी ट्रांसफॉर्मर, स्विचगियर, सर्किट ब्रेकर, नेटवर्क प्रोटेक्शन और कंट्रोल गियर, पॉवर ऑटोमेशन प्रोडक्ट के साथ-साथ दूसरे उपकरण बनाती है। इंडियन रेलवे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाले विद्युत उपकरणों की आपूर्ति यही कंपनी करती है। कंपनी ने मुंबई में BMC हेडक्वार्टर में पूरी बिजली की व्यवस्था की है। यह कंपनी थापर के नेतृत्व वाले अवंथा समूह की प्रतिनिधि कंपनी थी। अवंथा समूह में बल्लारपुर इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (BILT), BILT ग्राफिक पेपर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (BGPPL) और अवंथा पॉवर शामिल हैं। अवंथा होल्डिंग्स लिमिटेड (AHL) समूह की एक इंवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी है, जिसका 31 मार्च, 2019 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में 17,500 करोड़ रुपये राजस्व था। 

- 2015 और 2016 में अवंथा समूह ने क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज़्यूमर इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के अपने ज़्यादातर शेयर इंटरनेशनल प्राइवेट इक्विटी फर्म, एडवेंट इंटरनेशनल (अमेरिका में स्थित) और तेमासेक होल्डिंग्स (सिंगापुर सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी) को 2000 करोड़ रुपये के बदले में सौंप दिए। अवंथा समूह की सबसे बेहतर कंपनी के तौर पर पहचानी जाने वाली क्रॉम्पटन-ग्रीव्स घरेलू विद्युत माल बनाती और बेचती है। कैसे इस पूरी प्रक्रिया ने अवंथा समूह पर प्रभाव डाला और KKR इंडिया की क्या भूमिका रही, इसके बारे में बाद में विस्तार से बताया जाएगा।

- लॉर्सन एंड टर्बो (L&T) भारत की प्रतिनिधि इंजीनियरिंग, निर्माण और वित्तीय सेवा प्रदान करने वाला औद्योगिक घराना है। इसकी स्थापना दो डच इंजीनियर्स ने की थी, जिन्होंने भारत में शरण ली थी। कंपनी की 30 से ज़्यादा देशों में हॉयड्रोकॉर्बन एंड पॉवर्स, प्रोसेस इंडस्ट्री और रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में मौजूदगी है। समूह का वार्षिक राजस्व 1,47,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा है। कंपनी की सहायक कंपनियों, ज्वाइंट वेंचर और अधीनस्थ कंपनियों की संख्या 180 से ज़्यादा है।

- सुनील भारती मित्तल को फोर्ब्स मैगजीन ने भारत का 6वां सबसे अमीर शख़्स बताया है, जिनकी कुल संपदा 11.6 बिलियन डॉलर की है। वे टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के मुखिया हैं, जिसकी एशिया और अफ्रीका के 18 देशों में मौजूदगी है। उनके समूह की बीमा, रियल एस्टेट, शिक्षा, मॉ़ल, सेवा क्षेत्र और कृषि व्यापार में भी मौजूदगी है। एयरटेल भारत की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। जून, 2016 में मित्तल इंटरनेशनल चेंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन बने थे। 

- अमेरिका स्थित कोह्लबर्ग क्रेविस रॉबर्ट्स की सहायक कंपनी KKR इंडिया फॉयनेंशियल सर्विस लिमिटेड फिलहाल रिज़र्व बैंक के पास एक "गैर ज़मा ग्रहणकर्ता", गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के तौर पर दर्ज है।

कर्ज़ पुनर्गठन

CG पॉवर और TII द्वारा दर्ज की गईं स्टॉक एक्सचेंज फॉइलिंग्स के मुताबिक़, कंपनी को कर्ज़ देने वाले पूर्व कर्ज़दारों ने एकमुस्त कर्ज़ पुनर्गठन पर सहमति जताई थी, जिससे मुरुगप्पा समूह द्वारा कंपनी के अधिग्रहण के लिए रास्ता बना। कर्ज पुनर्गठन का समझौता 20 नवंबर को अंतिम परिणिति पर पहुंचा, जिसमें "संतोषजनक स्थितियों में भरपाई" और "सिक्योरिटी सब्सक्रिप्शन एग्रीमेंट" में बताए गए पूर्वचलनों को लागू करने की शर्त थी। इन पूर्वचलनों में जिनमें बैंकों द्वारा एकमुस्त निपटारा, पोषित कारखानों का पुनर्गठन, कर्ज़ का दूसरे वित्तीय उपकरणों में बदलाव और संपत्ति की बिक्री शामिल थीं।

TII का लक्ष्य अगले साल CG पॉवर को कर्ज़ मुक्त करने का है। TII के प्रबंधक निदेशक एश वेल्लायन ने द हिंदू से कहा था कि CG पॉवर पर कुल 2161 करोड़ रुपये का कर्ज है। जिसमें से TII को मुख्य कर्ज़ से बैंकों द्वारा 1,100 करोड़ रुपये के "हेयरकट" का फायदा मिला है। CG पॉवर ने 650 करोड़ रुपये के टर्म लोन का पुनर्गठन, 200 करोड़ रुपये के NCDs(नॉन कंवर्टेबल डिबेंचर्स) और 150 करोड़ रुपये के "बैलेंस शीट आइटम" में किया। वेल्लायन ने बताया कि खरीददार के तौर पर TII और मुरुगप्पा समूह CG पॉवर के कर्ज को कम करने और इक्विटी पूंजी को कंपनी में डालने की कोशिश कर रह रहे थे।

बड़ा वित्तीय घोटाला?

अगस्त, 2019 में रिपोर्ट आई कि CG पॉवर एक वित्तीय घोटाले में शामिल है, जिसमें NBFCs और बैंक (यस बैंक, स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक, इंडस्लैंड बैंक और आदित्य बिरला फॉयनेंस लिमिटेज) शामिल थे। कहानी और भी ज़्यादा बदतर होती गई। कंपनी के निदेशक मंडल ने कहा कि उन्होंने कंपनी में "गंभीर खाता अनियमित्ताएं" पाई हैं। इन अनियमित्ताओं में देनदारियों की कमतर गणना (अंडरएस्टीमेशन) शामिल है, जिनके तहत संबंधित पक्षों को 1990 करोड़ रुपये का अग्रिम और असंबंधित पक्षों को 2806 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान शामिल है।

गलत तरीके से पैसे के विभाजन और निकासी के आरोपों की जांच करने के लिए कंपनी के निदेशक मंडल और CG पॉवर की "जोख़िम और लेखा परीक्षा समिति (RAC)" ने एक लॉ फर्म को नियुक्त किया। वैश एसोसिएट नाम की इस लॉ़ फर्म ने इसमें मदद करने के लिए जानी-मानी वित्तीय सलाहकारी कंपनी डेलॉइट की सेवाएं लीं। 26 अगस्त, 2019 को कंपनी के बोर्ड ने वैश एसोसिएट्स द्वारा बनाई गई एक प्राथमिक जांच रिपोर्ट और इससे CG पॉवर के वित्तीय स्टेटमेंट्स पर प्रभाव की रिपोर्ट को SEBI के पास जमा किया।

न्यूज़क्लिक ने पहले इस घटनाक्रम पर जानकारी दी थी।

SEBI के आदेश पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने MSA प्रॉब कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए फॉरेंसिक ऑडिट शुरू किया। ऑडिट रिपोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि CG पॉवर के तत्कालीन बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स के सदस्य वित्तीय अनियमित्ताओं के बारे में जानते थे, पर उन्होंने थापर की भूमिका पर चुप्पी बनाए रखी। इनमें से कुछ सदस्यों ने इस लेख के लेखकों से ऑन और ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत की, उन्होंने इन आरोपों को नकारा है।

बोर्डरूम की नौटंकी

वैश एसोसिएट्स द्वारा SEBI को सौंपी गई रिपोर्ट के तीन दिन बाद बड़ा ड्रामा हुआ। 29 अगस्त को CG पॉवर के बोर्ड ने थापर को निलंबित कर दिया। सुधीर माथुर ने थापर को कंपनी के प्रायोजक पद से हटाने का प्रस्ताव पेश किया, जिस पर ज़्यादातर बोर्ड के सदस्यों ने सहमति जताई। उस वक़्त बोर्ड के सदस्य रहे आशीष गुहा, ओंकार गोस्वामी, नारायण के शेषाद्रि, जे बालाकृष्णन उस वक़्त बोर्ड के सदस्य थे, इन सभी ने प्रस्ताव का समर्थन किया। उस वक़्त बोर्ड के चेयरमैन थापर, निदेशक के एन नीलकांत और रामनी निरूला ने कहा कि वे प्रस्ताव का हिस्सा नहीं बनेंगे। वे वोटिंग से अनुपस्थित हो गए। थापर समेत, जो समूह थापर का समर्थन कर रहा था, वह अल्पमत में था। 

एक नियमित खानापूर्ति में CG पॉवर ने कहा, "कंपनी द्वारा हाल में जिन स्थितियों का सामना किया जा रहा है, जिनमें 19 अगस्त, 2019 को कंपनी द्वारा हुए खुलासे शामिल हैं, इन्हें देखते हुए बोर्ड के सदस्यों ने गौतम थापर के बोर्ड के चेयरमैन पद से तत्काल निलंबन का फ़ैसला लिया है।"

अगले महीने SEBI ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें थापर के ऊपर पूंजीगत बाज़ार लेनदेन में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। CG पॉवर के दो पूर्व निदेशकों माधव आचार्य और बी हरिहरन और कंपनी के पूर्व चीफ फॉयनेंशियल ऑफ़िसर (CFO) वी आर वेंकटेश पर भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाए गए। सिक्योरिटीज़ एपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने भी बाद में SEBI के आदेश को बरकरार रखा।

SEBI ने अवंथा समूह की तीन कंपनियों पर अपने पैसे के विपथन या अपनी संपत्तियों की बिकवाली पर भी प्रतिबंध लगा दिया। SEBI ने CG पॉवर को आदेश दिया कि वो खुद पर बकाया कर्ज़ चुकाने के लिए कदम उठाए और निवेशकों के पैसे की सुरक्षा के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया चालू करे। मार्च, 2020 में SEBI ने थापर, आचार्य, हरिहरन और वेंकटेश पर लगाए प्रतिबंधों को हटाने से इंकार कर दिया। विश्वस्त सूत्रों ने हमें बताया है कि इन लोगों ने SAT में इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील दायर की है।

गोस्वामी के मुताबिक क्या हुआ था

जब हमने संपर्क किया, तो CG पॉवर के पूर्व निदेशक ओंकार गोस्वामी ने लेख के एक लेखक से यह कहा:

"24 अप्रैल, 2019 को CG पॉवर के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स ने कंपनी की जोख़िम और लेखा-परीक्षण समिति (RAC) की सलाह पर वैश एसोसिएट्स की सहायता लीं, जिसे बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स ने भी मान्यता दे दी। 20 जून को काम को विस्तार देने के लिए एक परिशिष्ट और जोड़ा गया। बोर्ड ने इसलिए एक कानूनी संस्था को लेनदेन की जांच के लिए चुना, क्योंकि 24 अप्रैल, 2019 के ठीक पहले, तत्कालीन CEO मिस्टर नीलकांत ने हमें यस बैंक के साथ उन लेन-देन की जानकारी दी, जिन्हें पहले कंपनी की ज़ोखिम और लेखा-परीक्षण समिति या बोर्ड को नहीं बताया गया था।"

(एक विश्वस्त सूत्र ने इस लेख के एक लेखक को बताया कि CG पॉवर के वित्तीय विभाग के एक उच्च अधिकारी ने इस मामले में व्हिसल ब्लोअर की भूमिका निभाते हुए नीलकांत को सावधान कर दिया। थापर के करीबी रहे एक सूत्र गोस्वामी के बताए हुए घटनाक्रमों से सहमत नहीं हैं। लेकिन इसके बारे में बाद में विस्तार से बताएंगे।)

गोस्वामी ने कहा:

"इन लेनदेन में मिस्टर गौतम थापर के नियंत्रण वाले अवंथा समूह के कर्ज शामिल थे। यह लेनदेन, जिनका CG पॉवर से कोई लेना-देना नहीं था, उनकी गारंटी CG पॉवर की तरफ से दिए गए चेक के ज़रिए दी गई, जिन पर तत्कालीन CFO मिस्टर वेंकटेश ने हस्ताक्षर किए थे, जिन्हें बाद में बोर्ड ने अवंथा समूह के CFO और CG पॉवर बोर्ड के गैर-कार्यकारी सदस्य मिस्टर हरिहरन के साथ निलंबित कर दिया गया।"

"इस तरह के 5 चेक पर हस्ताक्षर किए गए थे। जो हर तीन महीने के बाद हस्ताक्षरित थे। यह चेक यस बैंक को अवंथा समूह के कर्ज़ की गारंटी के तौर पर दिए गए थे, जिनकी गारंटी गलत तरीके से CG पॉवर द्वारा दी गई थी। ना तो बोर्ड के सदस्य और ना ही RAC को इस बारे में कोई जानकारी थी। ना ही इसके लिए CG पॉवर की नियम प्रक्रिया के तहत अनुमति ली गई थी।"

"फिर यह कंपनी की RAC और बोर्ड की नज़र में कैसे आया? दरअसल तत्कालीन CFO मिस्टर वेंकटेश तब बेल्जियम में अपने घर पर मौजूद थे, जहां वे रहते हैं और वहीं के वे नागरिक हैं। इसलिए जब 6वीं बार चेक पुनर्नवीकरण के लिए आया, तब मिस्टर वेंकटेश अनुपस्थित थे। तो चेक को तत्कालीन CEO मिस्टर नीलकांत के पास लाया गया, जिन्हें इस लेन-देन के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।

"यह एक बड़ा चेक था, जिसमें 210 करोड़ रुपये दर्ज थे। तत्कालीन CEO मिस्टर नीलकांत को इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। उन्होंने इसे RAC और बोर्ड के सामने रखा। तब तक हरिहरन बोर्ड से हट चुके थे और चेक पर एकमात्र हस्ताक्षरकर्ता मिस्टर वेंकटेश छुट्टी पर थे। समूह के CEO मिस्टर नीलकांत को पता नहीं था कि आखिर चल क्या रहा है। RAC और बोर्ड के लिए यहीं वह बिंदु था, जब उन्होंने स्वतंत्र कानूनी फर्म द्वारा जांच शुरू करवाने का फ़ैसला लिया।"

इनगवर्न की रिपोर्ट से उठे नए सवाल

CG पॉवर में ट्रायल और आपत्तिकरण पर 16 अक्टूबर को "इनगवर्न रिसर्च सर्विस प्राइवेट लिमिटेड" ने एक रिपोर्ट जारी की। यह संस्था खुद को "SEBI रजिस्टर्ड प्रतिनिधि स्वतंत्र प्रशासनिक विश्लेषक फर्म बताती है, जो सांस्थानिक निवेशकों की मदद करती है।" इस रिपोर्ट में MSA प्रॉब प्राइवेट कंसल्टिंग लिमिटेड द्वारा CG पॉवर में वित्तीय वर्ष 2015 से वित्तीय वर्ष 2020 के बीच की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर परीक्षण टिप्पणियां की गई हैं। यह रिपोर्ट 19 अक्टूबर को CG पॉवर की AGM से ठीक तीन दिन पहले जारी की गई थी।

इनगवर्न के प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यम ने न्यूज़क्लिक को बताया, "चूंकि कंपनी हस्तांतरण के स्तर से गुजर रही थी, तो हमने सोचा कि हम अल्पमत वाले शेयरहोल्डर्स को बता दें कि कंपनी में क्या हो रहा है।" श्रीराम के मुताबिक, लेकिन AGM में जो हुआ वह काफ़ी नीरस सी प्रक्रिया रही।"

मीटिंग में मौजूद एक व्यक्ति ने भी सुब्रमण्यम के साथ सहमति जताई और बताया कि सभी प्रस्ताव आरामदायक बहुमत के साथ पास हो गए।

जैसा पहले ही बताया है, SEBI ने BSE से 19 सितंबर, 2019 को एक स्वतंत्र विदेशी ऑडिट कराने को कहा था, जिसके बाद BSE ने MSA प्रॉब कंस्लटिंग की मदद ली थी, जिसकी रिपोर्ट इस साल 18 मार्च को जमा कर दी गई है। लेकिन यह CG पॉवर को 4 सितंबर को ही पहुंचाई गई।

विदेशी ऑडिट जांच के तहत खाता किताबों की "छेड़छाड़", वित्तीय स्टेटमेंट्स के "गलत प्रतिनिधित्व", कंपनी के पैसे की गलत निकासी समेत दूसरे मामलों की जांच की गई। इनगवर्न की रिपोर्ट कहती है कि "ऑडिट से कई ऐसे सवाल आगे आए, जिन्हें इनगवर्न ने उठाया था, जिसमें निदेशकों, प्रायोजकों, KMP (मुख्य प्रबंधक कर्मी), NBFC, बैंक और ऑडिटर्स की भूमिका से जुड़े सवाल थे।"

रिपोर्ट आगे कहती है: "फॉरेंसिक ऑडिट इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट बताती है कि प्रोमोटर के संस्थान, जिसमें अवंथा होल्डिंग्स लिमिटेड भी शामिल है, उनके साथ लेन-देन बोर्ड की जानकारी के साथ किया गया था, इसके अलावा ज़्यादातर निदेशकों, कुछ स्वतंत्र निदेशकों, मुख्य प्रबंधक अधिकारियों, जिसमें कानूनी शाखा के प्रमुख, पूर्व प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की जानकारी में यह बातें थीं। इनमें से कुछ लेन-देन होल्डिंग कंपनी द्वारा लिए गए बैंक कर्ज़ों और कुछ प्रायोजक समूह की कंपनियों के कर्जों को चुकाने के लिए किए गए।

इनगवर्न की रिपोर्ट ने वैश एसोसिएट्स और MSA प्रॉब की रिपोर्टों के अंतर को भी स्पष्ट किया है। इसके मुताबिक़:

"फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में खोजे गए तथ्य, वैश एसोसिएट्स की रिपोर्ट से अलग हैं। वैश एसोसिएट्स की रिपोर्ट में पिछले चार सालों के सबूतों पर ध्यान नहीं दिया गया। फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट, स्पष्ट तौर पर ईमेल और बोर्ड मिनिट्स, KMP द्वारा बोर्ड सदस्यों और बैंक व NBFCs के साथ किए गए व्यवहार से मेल खाती है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सभी लेनदेन बोर्ड से प्रमाणित थे, कुछ मामलों में बैंक या NBFCs ने स्पष्ट तौर पर इनका गठन किया था। प्रायोजक समूह की कंपनियों में पैसा स्थानांतरित किया गया, ताकि बैंकों में उनके बकाये को चुकाया जा सके। बोर्ड निदेशकों और स्वतंत्र निदेशकों से सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्यों उन्होंने सारे सबूतों और जानकारी को वैश एसोसिएट्स को नहीं सौंपा, जिसका नतीज़ा 19 अगस्त, 2019 को पहले स्टॉक एक्सचेंज डिसक्लोज़र के तौर पर निकला।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने जनवरी में वैश एसोसिएट्स द्वारा पेश की गई रिपोर्ट को "जाली" करार दिया था और कहा था कि वे CG से संबंधित रिपोर्ट को तभी ज़मा करने देंगे, जब ऐसी रिपोर्ट को किसी स्वतंत्र या सरकारी एजेंसी द्वारा बनाया गया हो।

वैश एसोसिएट्स/डेलॉइट और MSA प्रॉब की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में इन 9 तरह के लेनदेन पर परीक्षण किया गया था:

1) आदित्य बिरला फॉयनेंस लिमिटेड- महाराष्ट्र में नासिक और कांजुरमार्ग में ज़मीन बेचने के ऐवज में CG पॉवर की अधीनस्थ कंपनी एक्टन को अग्रिम भुगतान हुआ।

2) आदित्य बिरला फॉयनेंस लिमिटेड ने ब्लू गार्डन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को एक कर्ज़ की स्वीकृति

2) CG पॉवर द्वारा यस बैंक को अवांथा होल्डिंग लिमिटेड को दिए गए कर्ज़ के ऐवज में 210 करोड़ रुपये का पोस्ट-डेटेड चेक का जारी किया जाना

4) CG सिंगापुर द्वारा स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक से 44 मिलियन यूरो का कर्ज़

5) भारत में इंडस्लैंड बैंक द्वारा CG मिडिल ईस्ट को 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर का टर्म लोन, जो विदेशी मुद्रा में था, जिसकी गारंटी CG IBV ने दी थी

6) CG सिंगापुर के वेंडर को दिया गया "ऑउटस्टेंडिंग एडवांस"

7)CG मिडिल ईस्ट के वेंडर्स को दिया गया "ऑउटस्टेंडिंग एडवांस"

8) 108 करोड़ रुपये का व्यापारिक लेनदेन

9) इंडस्लैंड में बनाए गए फिक्स्ड डिपॉज़िट का इस्तेमाल कर अवंथा होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा 229 करोड़ रुपये का ज़मा लिया जाना

(क्रमश:)

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Why Was Gautam Thapar Sacked From His Company?

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