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अक्सर रेपिस्टों—आरोपियों के पक्ष में खड़े क्यों नज़र आते हैं भाजपा नेता और हिंदूवादी संगठन?

बीजेपी इस मसले पर शर्मनाक तरीके से राजनीति कर रही है। जिसकी शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। आईटी सेल तरह-तरह के नैरेटिव गढ़ रहा है।
manipur protest

मणिपुर में कुकी समुदाय की महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और बदसलूकी का वायरल वीडियो आपने देखा होगा। पूरा देश गहरे शोक में है और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हर जगह से अपराधियों को सख्त सजा दिए जाने की मांग उठ रही है। लेकिन बीजेपी के नेता, ट्रोल आर्मी और गोदी मीडिया क्या कर रहा है? बीजेपी इस मसले पर शर्मनाक तरीके से राजनीति कर रही है। जिसकी शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। आईटी सेल तरह-तरह के नैरेटिव गढ़ रहा है। कभी राजस्थान की बात उछाल रहे हैं तो कभी छत्तीसगढ़ का जिक्र कर रहे हैं। मैतई समुदाय पर हिंसा के वीडियो साझा करके इसे क्रिया की प्रतिक्रिया के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। इस जघन्य अपराध को न्यायसंगत बताने के प्रयास हो रहे हैं। ये सब शर्मनाक है।

लेकिन आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों के लिए ये कोई नई बात नहीं है। आइये, आपको पिछले कुछ सालों के उन जघन्य अपराधों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने पूरे देश को झकझोर दिया था। आपको ये भी बताते हैं कि उन मामलों पर बीजेपी के नेताओं और इससे संबद्ध कट्टर हिंदूवादी संगठनों का क्या रवैया और पक्ष था—

कठुआ रेप केस में आरोपियों के पक्ष में तिरंगा मार्च

जनवरी 2018 की बात है जब जम्मू-कश्मीर की 8 वर्षीय बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। पूरा देश कठुआ की पीड़िता बच्ची के लिए न्याय की मांग कर रहा था। उस वक्त कट्टर हिंदूवादी संगठनों के द्वारा आरोपियों के पक्ष में कार्यक्रम करते हुए तिरंगा मार्च निकाला जा रहा था। जिसमें जम्मू-कश्मीर के भाजपा के राज्य सचिव शामिल हुए थे।

हिंदू एकता मंच ने आरोपियों के पक्ष में एक और कार्यक्रम किया जिसमें भाजपा के दो राज्य मंत्री शरीक होकर गिरफ्तारियों का विरोध कर रहे थे। हिंदू एकता मंच के इस कार्यक्रम में भाजपा के फॉरेस्ट मिनिस्टर चौधरी लाल सिंह और कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्टर चंद्र प्रकाश शामिल हुए थे।

अप्रैल 2018 में इंडिया गेट पर 200 मीटर तिरंगे के साथ एक और कार्यक्रम किया गया, जिसमें भाजपा नेता कपिल मिश्रा शामिल हुए। उन्होंने एक तरफ तो कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए, दूसरी तरफ आरोप लगाया कि हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश रची जा रही है।

बिलक़ीस बानो मामले में दोषियों को माला पहनाई गई

वर्ष 2002 गुजरात दंगों में बिलक़ीस बानो के साथ गैंगरेप किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया। सालों केस चला और अंततः वर्ष 2008 में 11 लोगों को दोषी करार दिया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन 15 अगस्त 2022  में सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया। गौरतलब है कि इनकी रिहाई पर निर्णय लेने वाले पैनल में बीजेपी के दो नेता भी शामिल थे। जिनमें से एक का नाम सीके राउलजी है, जो गोधरा सीट से बीजेपी का विधायक हैं। रेपिस्टों की रिहाई पर सीके राउलजी ने बयान दिया था कि सभी 11 आरोपी ब्राह्मण हैं और अच्छे संस्कार वाले हैं। किसी ने बुरी नीयत के चलते इनको सजा दी है। मात्र इतना ही नहीं है बल्कि जब ये रेपिस्ट जेल से बाहर आए तो विश्व हिंदू परिषद ने इनका फूल माला पहनाकर स्वागत किया था।

हाथरस कांड में आरोपियों के पक्ष में सभा

वर्ष 2020 में हाथरस कांड हुआ। दलित लड़की की हत्या और कथित रेप के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उस वक्त यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हाथरस कांड के पीछे बड़ी साजिश है। देश और प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं और विकास रोकना चाहते हैं। आपको याद होगा कि पीड़िता की लाश तक परिजनों को नहीं सौंपी गई और परिवार को बेटी का अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया गया। रात को बंदूकों के साये में लड़की की लाश को जला दिया गया। पूरे गांव को सील कर दिया गया ताकि परिंदा भी पर ना मार सके।

उस वक्त भी भाजपा के हाथरस के पूर्व विधायक राजवीर पहलवान ने आरोपियों के पक्ष में सभा आयोजित की थी। इस कार्यक्रम में बजरंग दल, करणी सेना और आरएसएस जैसे कट्टर हिंदूवादी संगठनों ने हिस्सा लिया था।

ये पिछले कुछ सालों के राष्ट्रीय मामलों के उदाहरण हैं। बीजेपी और कट्टर हिंदूवादी संगठनों की आरोपियों और अपराधियों के पक्ष में खड़ा होने की परंपरा नई नहीं है। बृज भूषण का मामला आप देख ही रहे हैं। वो कितनी ठसक के साथ कैमरे के सामने रिपोर्टर के माइक तोड़ता घूम रहा है।

हैरानी की बात है कि बिना किसी जांच के ही भाजपा वाले आरोपियों को निर्दोष करार दे देते हैं और उनके पक्ष में लामबंदी करने लगते हैं। चालाकी पूर्ण ढंग से एक तरफ दोषियों को सजा देने और जांच करने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ गिरफ्तारियों का विरोध करने लगते हैं और आरोपियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। ये पूरी ताकत के साथ सरकार को जवाबदेही से बचाने में लग जाते हैं और तरह-तरह के नैरेटिव गढ़ने लगते हैं।

इसी तर्ज पर मणिपुर के मामले में भी शर्मनाक नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं। कोई राजस्थान और छत्तीसगढ़ का राग अलाप रहा है तो कोई मैतई समुदाय पर हिंसा के दर्दनाक वीडियो साझा करके इसे क्रिया की प्रतिक्रिया बताने की कोशिश कर रहा है। कुल मिलाकर बात ये है कि इनकी दिलचस्पी मणिपुर पीड़िता को न्याय दिलाने में कम और भाजपा सरकार व प्रधानमंत्री की रक्षा करने में ज्यादा दिखाई दे रही है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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