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हिंदुत्व के नाम पर हो रहे नफ़रती भाषण और कार्यक्रमों पर रोक क्यों नहीं लग रही?

हिंदू राष्ट्र के लिए मरने-मारने के कई शपथ ग्रहण कार्यक्रमों के बीच युवा, महिलाएं और बुज़ुर्गों के साथ ही स्कूली बच्चे भी जाने-अनजाने हेट स्पीच का शिकार बन रहे हैं।
 Suresh Chavhanke

"...लड़ो, मरो, और यदि आवश्यक हो, तो मारो...।"

इन शब्दों के साथ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए देश भर में इस तरह के कई शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित होने की खबरें सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे इन वायरल वीडियो को खुद सुदर्शन न्यूज और इसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर किए हैं। इसमें युवा, महिलाएं और बुजुर्गों के साथ ही स्कूली बच्चें भी शामिल हैं, जो जाने-अंजाने हेट स्पीच का शिकार बन रहे हैं।

बता दें कि इससे पहले सुरेश चव्हाणके ने 19 दिसंबर को दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इसी तरह की शपथ दिलाई थी, जिसके वीडियो 22 दिसंबर को सोशल मीडिया पर सामने आए थे। हैरान करने वाली बात ये रही कि हिंदुत्व के नाम पर नफरती भाषण वाले इस इवेंट पर पुलिस के अभी तक किसी एक्शन की कोई खबर नहीं है। शायद इसी का नतीजा है कि अब देशभर में ऐसे इवेंट देखने को मिल रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने बुधवार, 29 दिसंबर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में एक अज्ञात व्यक्ति को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक स्कूल के छात्रों को भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए "लड़ो, मरो, और यदि आवश्यक हो, तो मारो" की शपथ दिलाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो का अंत "भारत माता की जय", "वंदे मातरम" और "जय हिंद" के नारों के साथ होता है।

वीडियो के साथ चव्हाणके ने हिंदू राष्ट्र को लेकर एक कैप्शन भी लिखा। उन्होंने लिखा, "हिंदुस्तान में जगह जगह ली जा रही #हिंदुराष्ट्र_की_शपथ यूपी के सोनभद्र में स्कूली बच्चों ने शपथ लेकर हिंदू विरोधियों को ललकारा।"

बताया जा रहा है कि ये वीडियो यूपी के सोनभद्र जिले के नेहरू पार्क में स्कूली बच्चों के शपथ का है। और इसे सुदर्शन टीवी के रिपोर्टर राजेश सिंह ने रिकॉर्ड किया है। वीडियो क्लिप पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनभद्र पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा कि संबंधित पुलिस अधिकारी को मामले से अवगत करा दिया गया है और वीडियो की जांच की जा रही है।

मालूम हो कि सुदर्शन न्यूज ने मंगलवार, 28 दिसंबर को शेयर किए गए पहले वीडियो में भारत-नेपाल बॉर्डर के पास एक छोटे से शहर रूपैडीहा में एक अज्ञात व्यक्ति को 12 लोगों को शपथ दिलाते हुए देखा जा सकता है।

इससे पहले मंगलवार को ही शेयर किए गए एक अन्य वीडियो में एक अज्ञात महिला को नागपुर में कई लोगों को शपथ दिलाते हुए दिखाया गया है। अंत में लोगों ने "भारत माता की जय", "वंदे मातरम", "जय श्री राम" और "छत्रपति शिवाजी महाराज की जय" के नारे भी लगाए।

गौरतलब है कि हालही धर्म संसद में दिए गए विवादित बयानों को लेकर दिल्ली समेत देशभर में गुस्सा और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने 26 दिसंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमाना को इस संबंध में पत्र लिखा था। बावजूद इसके शासन-प्रशासन को कोई फर्क पड़ता नज़र नहीं आ रहा।

हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब चव्हाणके और उनका चैनल ने इस तरह से हेट स्पीच को बढ़ावा दिया हो, टिप्पणी की हो। इससे पहले भी चव्हाणके अल्पसंख्यकों के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं और वे अपने चैनल के जरिये इसी तरह के विषयों का प्रचार भी करते रहते हैं।

बीते साल सुरेश चव्हाणके ने अपने एक शो ‘बिंदास बोल’ के विवादित ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम के एक ट्रेलर को साझा करते हुए हैशटैग यूपीएससी जिहाद लिखकर नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ के षड्यंत्र का बड़ा खुलासा करने का दावा किया था। इस शो का प्रसारण 28 अगस्त 2020 को रात आठ बजे होना था, लेकिन जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उसी दिन इस पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद 9 सितंबर 2020 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को कार्यक्रम के प्रसारण की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे नोटिस भेजा था, लेकिन मंत्रालय ने प्रसारण रोकने से इनकार कर दिया था।

इसके बाद इस कार्यक्रम के प्रसारण के बारे में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने इस कार्यक्रम के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने सहित कई राहत मांगी थी। 15 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक चैनल द्वारा ‘बिंदास बोल’ के एपिसोड का प्रसारण करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का यह भी कहना था कि यह कार्यक्रम पहली नजर में ही मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाला लगता है। हालांकि चव्हाणके पर तब भी कोई खास कार्रवाई नहीं हुई थी और अब भी कोई उम्मीद नहींं है।

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