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दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे, ऊपरी राज्यों में बारिश की सूचना

भाषा |
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी से अत्याधिक भारी बारिश की आशंका जताई है।
yamuna water level
फ़ोटो : PTI

नयी दिल्ली : दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर शनिवार को खतरे के निशान से नीचे आ गया जो पिछले कुछ दिनों से खतरे के निशान 205.33 मीटर के आसपास बना हुआ था।

हालांकि, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में ताजा भारी बारिश की सूचना मिली है और इससे नदी के जल स्तर में फिर से वृद्धि हो सकती है। जलस्तर बढ़ने से दिल्ली के बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में पुनर्वास प्रयासों में और देरी हो सकती है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी से अत्याधिक भारी बारिश की आशंका जताई है।

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार सुबह नौ बजे जलस्तर गिरकर 205.29 मीटर पर आ गया जो शुक्रवार शाम छह बजे 205.34 मीटर पर था। अन्य राज्यों में ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश का प्रभाव स्पष्ट होने से पूर्व इसमें और गिरावट आ सकती है।

सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज से जल बहाव सुबह नौ बजे 1.47 लाख क्यूसेक था जो 13 जुलाई से सर्वाधिक है।

बांधों, नदियों और लोगों पर दक्षिण एशिया नेटवर्क के सह समन्वयक भीम सिंह रावत ने कहा, "ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश कम हो रही है और हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव 3 लाख क्यूसेक के निशान को पार नहीं करना चाहिए। सीडब्ल्यूसी हाइड्रोग्राफ में बाटा नदी को छोड़कर पहाड़ी इलाकों में नदियों के जलस्तर में अधिक वृद्धि नहीं दिखी है।"

ऊपरी जलग्रहण राज्यों, मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के बीच पिछले चार से पांच दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है।

दिल्ली के ऊपरी हिस्सों में भारी बारिश होने की स्थिति में, जल स्तर में वृद्धि से राजधानी के बाढ़ग्रस्त निचले इलाकों में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति धीमी हो सकती है और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है।

इसका असर शहर में पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है जिसमें स्थिति मंगलवार को ही सामान्य हो पाई। वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण चार से पांच दिनों तक स्थिति प्रभावित हुई थी।

यह पंप हाउस वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है।

दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं। शुरुआत में, आठ और नौ जुलाई को अत्यधिक बारिश से भारी जलभराव हुआ और इन दो दिनों में शहर में मासिक कोटे की 125 प्रतिशत बारिश हुई।

इस बीच यमुना नदी के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा समेत ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी बारिश से जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। जल के बहाव ने तटबंधों को तोड़ दिया और चार दशकों की तुलना में शहर के काफी अंदर तक घुस गया।

बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं, शहर में 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया। संपत्ति, व्यवसाय और कमाई के मामले में नुकसान करोड़ों तक पहुंच गया है।

दिल्ली में अभूतपूर्व बाढ़ के लिए विशेषज्ञ यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने को कारण बताते हैं।

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