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आज लोग कहने लगे- घबराइये आप हरियाणा में हैं।

बेटी बचाओ....बेटी बचाओ..... हरियाणा की टैग लाइन बन गए हैं ये दो शब्द पढ़ कर लगता हैं कि बेटियों को चेतावनी दी जा रही हो कि हरियाणा से बेटियों को बचाओ।
Rape Case in Haryana
Image Courtesy: DailyO

बेटी बचाओ....बेटी बचाओ..... हरियाणा की टैग लाइन बन गए हैं ये दो शब्द पढ़ कर लगता ही नहीं की जो प्रदेश लिंग अनुपात की गंभीर समस्या से जूझ रहा हो, उसकी सरकार ने कोई कल्याणकारी लाइन बनाई है। लगता है बेटियों को चेतावनी दी जा रही हो कि हरियाणा से बेटियों को बचाओ।

आज मेरे हरियाणा की ये छवि हो चली है कि लोग हरियाणा में जाने से घबराने लगे है। ख़ासकर महिला मित्र। उनको लगता है हरियाणा में सब रेप करते हैं, छेड़खानी करते है।
क्या कीजियेगा, ये छवि नहीं बल्कि आजकल सच्चाई हो चली है। पिछले 8 दिनों में 7 रेप के मामले हरियाणा में दर्ज़ किये गए। बलात्कार की ख़बरों से अभी मेरा प्रदेश उभरा भी नहीं था कि हरियाणवी गायिका ममता का मृत शरीर खेत में पाया गया। ममता पिछले कुछ दिनों से लापता थी। पुलिस के मुताबिक ममता की गला रेत कर हत्या की गई थी।

हर तरफ से एक ही अवाज़ सुनाई दे रही है कि हरियाणा में महिलाओं का बलात्कार होता है, हत्याएँ होती हैं। ऐसा लगता है हरियाणा कोई प्रदेश नहीं बल्कि कोई गुप अंधेरे वाली सुनसान जगह है, जहाँ जाने से लोग घबराने लगे हैं। और ये क़तई गर्व करने वाली बात नहीं, जो यहाँ के आला अधिकारी बलात्कार को संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। शर्म आनी चाहिए ऐसे बय़ान देने वालों को। क़ानून नाम की चीज़ नहीं रह गयी हरियाणा में। और खट्टर जी के मंत्रीगण 'पद्मावती' जैसे मिथकीय पात्र को लेकर बच्चों की तरह रो रहे हैं।

जिस प्रदेश की महिलाओं का दम घूंघट ने घोट रखा है, शायद उनको बलात्कार जैसी घिनौनी हरकतों की ज़िम्मेदार भी वो मासूम लड़कियाँ ही लगती है, जिनका बलात्कार होता है। ख़ाप पंचायत कहती है कि लड़कियों को मोबाईल नहीं रखने चाहिए। दूसरी तरफ़ खट्टर सरकार महिला हेल्पलाइन जारी करती है। अच्छी बात है मगर पहले ये बताईये कि लड़कियाँ मोबाइल ही नहीं रखेंगी तो हेल्पलाइन का प्रयोग कैसे करेंगीं। अगर ख़ाप पंचायत गलत है तो सरकार क्यों नहीं इनको बैन करती।

सिर्फ़ ख़ाप पंचायत ही नहीं सामज के लोगों का लड़कियों के लिए ज्ञान भी एक अलग ही स्तर का होता है जैसे- लड़कियों को जींस नहीं पहननी चाहिए, लड़कियों को देर रात घर से बाहर नहीं रहना चाहिए। लड़कियों को ये नहीं करना चाहिए, वो नहीं करना चाहिए फलाना- ढिमकाना। क्योंकि ऐसा करने से ही बलात्कार होते हैं। मग़र उस तीन साल की बच्ची ने कौन से ख़राब कपड़े पहने थे, जो उसके गुप्तांगों को नुकीली वस्तु से काट दिया गया। किस सुनसान रास्ते पर गई थी वो या किस मंहगें मोबाइल से वो बात करती थी। जिसकी उस मासूम बच्ची को ये सज़ा मिली। इससे एक बात है तो साफ़ है कि समाज की दक़ियानूसी हिदायतें निहायती ख़ोखली हैं।

ऐसे कितने ही केस है जिनमें बलात्कार पीड़ित लड़कियों को समाज स्वीकार नहीं करता। पीड़ित लड़की के घर वालों ही अपनी ख़ोखली इज्ज़त बचाने के लिए उनको ज़हर दे देते हैं या फाँसी पर लटता देते हैं। और पुलिस आत्महत्या का मामला दर्ज़ कर देती है। आज जिस समय में लड़कियाँ पढ़-लिख कर ऊँचे-ऊँचे पदों पर काम कर रहीं है। सामज में अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। उस व़क्त मेरा प्रदेश बलात्कार का गढ़ बनने की कतार में खड़ा है। और ये बलात्कार की समस्या सिर्फ़ हरियाणा की नहीं है देश के बाकि राज्यों का हाल और भी भयावह है।

साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में कुल 36,657 रेप के मामले सामने आए। जिनमें मध्य-प्रदेश में 4,882 बलात्कार के मामले साल भर में सामने आए। वहीं उत्तर-प्रदेश में 4,816, महाराष्ट्र में 4,189, राजस्थान में 3,656, और ओड़िसा में 1,983 मामले सामने आए। 1,187 बलात्कार के मामले केवल हरियाणा से हैं। मेरे प्रदेश की इतनी डरावनी तस्वीर पहले तो नहीं थी । प्रदेश से मुँह ना मोड़ो मेरे दोस्तों। वहाँ की बुराई और समाज में फैली गंदगी से नफ़रत करो। और सरकारों से उनकी जनता का उनके वोटर का आदेश है कि प्रदेश में शिक्षा और क़ानून को पहले ठीक करो फिर किसी पद्मावती की लड़ाई में भाग लेना। पहले अपने घर की गंदगी तो दूर कर लें ये सरकारें।

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