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अलवर में छात्रों पर दमन की कहानी

SFI राजस्थान सचिव मंडल सचिव के सदस्य पवन बेनीवाल के अनुसार यहाँ 45 छात्रों के खिलाफ फ़र्ज़ी मुकदमें चल रहे हैं।
students protest

राजस्थान का अलवर ज़िला हाल में मॉब लिंचिंग की घृणित घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहा है। पिछले 1 साल में यहाँ पहलू खान ,रकबर और उमर खान की गाय के नाम पर हत्याएं हुई हैं और यहाँ अब भय का वातावरण बना हुआ है । लेकिन अलवर का यह ज़िला पिछले कुछ सालों से छात्र आंदोलन के दमन की एक कहानी भी सुना रहा है। 30 जुलाई को दमन की घटनाओं में एक और घटना जुडी।

सूत्रों के मुताबिक बी एस आर आर्ट कॉलेज के एक फर्स्ट ईयर छात्र पर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला किया। यह छात्र SFI से जुड़ा हुआ था इसीलिए इसने राजस्थान Student Federation of India (SFI) उपाध्यक्ष और अलवर SFI अध्यक्ष पंकज सांवरिया को इस घटना के बारे में बताया। सूत्रों ने बताया कि पंकज अन्य SFI के कार्यकर्ताओं के साथ इस घटना के खिलाफ कॉलेज के प्रिंसिपल को ज्ञापन सौपने गया। लेकिन मुख्य  द्वारा बंद कर दिया गया और उसे मिलने नहीं दिया गया। SFI के कार्यकर्त्ता बाहर ही प्रदर्शन करने लगे। कुछ देर बाद पुलिस वहाँ आयी और कार्यकर्तों को अंदर जाने से रोकने लगी। 

लेकिन फिर भी छात्र अंदर गए और प्रिंसिपल के चेंबर तक पहुँचे। सूत्रों ने बताया कि वहां प्रिंसिपल के साथ कुछ संघ विचारधारा से जुड़े शिक्षक मौजूद थे। प्रिंसिपल ने ज्ञापन लेने से मना कर दिया और कहा कि उन्हें इस मुद्दे से कोई मतलब नहीं है। पंकज के बार बार कहने पर भी वह नहीं माने। इसके बाद उन प्रोफेसरों और पुलिस के कॉन्स्टेबलों द्वारा पंकज और उनके कुछ साथियों को वहीं पर पीटा गया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक राज्यकार्य में बाधा डालने के आरोप में पुलिस ने पंकज , कपिल देव और पीड़ित लड़के के खिलाफ मामला दर्ज़  किया। इसके अलावा प्रिंसिपल का कहना है कि पंकज ने उनका कॉलर पकड़ा और उन्हें मारने की धमकी दी थी । 

SFI द्वारा इन आरोपों को सिरे से नकारा गया है। SFI के राज्य सचिव मंडल सदस्य पवन बेनीवाल का कहना है कि वहाँ मौजूद पुलिस कॉन्स्टेबल वही व्यक्ति है जिनसे पिछले साल भी एक फ़र्ज़ी केस में पंकज को जेल में पीटा था। इसी व्यक्ति के खिलाफ पंकज ने मुक़दमा भी दायर किया था। इस मामले में गिरफ्तार 3 लोगों में से एक युवक नाबालिग है और उसे गैरकानूनी तरीके से रात भर पुलिस कस्टडी में रखा गया। यह वही युवक है जिसने यह आरोप लगाया था कि उसे कॉलेज में पीटा गया था। SFI के मुताबिक उसे 30 जुलाई को बाकी कार्यकर्ताओं के साथ पीटा गया और फिर दोपहर 2 बजे गिरफ्तार किया गया। इसके बाद संगठन के द्वारा juvenile justice board में शिकायत की गयी और फिर बोर्ड के लोगों ने 31 जुलाई सुबह 11 बजे पुलिस थाने पर छापा मारकर उसे छुड़ाया। लेकिन अभी तक पंकज और कपिल को छोड़ा नहीं गया है। इसके खिलाफ 1 अगस्त को SFI ने राजयभर में प्रदर्शन किया और गृहमंत्री को ज्ञापन दिया। 

गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से इसी कॉलेज में लगातार SFI के कार्यकर्ताओं को चिन्हित करके निशाना बनाया जा रहा है। दरअसल अलवर का बी एस आर आर्ट्स कॉलेज अलवर ज़िले का एक महत्वपूर्ण कॉलेज है। यह मुख्यतः एक पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज है, जहाँ करीबन 5000 छात्र हैं। 2012 के बाद से यहाँ SFI की राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ती रही हैं और इसके बाद से ही दमन भी बढ़ता रहा है। 

27 अगस्त 2017 को SFI के पंकज सांवरिया ,शोएब अख्तर और गोलू पटेल को राज्यकार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कस्टडी में बुरी तरह पीटा गया। न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद SFI के गिरफ्तार किये गए छात्र पंकज की मेडिकल जांच कराई गयी।  इस  जाँच  से ये पता चला  कि उनके शरीर पर 9 चोटें आयी थी। उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि यह छात्र लिंग्दोह कमिटी की सिफारिशें मनवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। यह सभी  छात्र संघ के चुनावों में ज़रुरत से ज्यादा खर्च, बड़े होर्डिंग्स लगाने और गुंडागर्दी के खिलाफ प्रचार कर रहे थे। यह मामला अब तक कोर्ट में चल रहा है और इसमें CID ने हाल में चालान पेश किया है। 

छात्रों का आरोप है कि 2016 मे भी पुलिस और प्रशासन ने एक राजनेता के रिश्तेदार को जीतने  में मदद की थी। जब इसका विरोध किया गया तो 20 छात्रों पर मुक़दमे दायर कर दिए गए थे, जो आज तक चल रहे हैं। 

2014 में पहली बार इस कॉलेज में SFI अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर जीती। लेकिन प्रिंसिपल और शिक्षकों ने मनमानी करते हुए उन्हें यूनियन ऑफिस की चाबी तक इन छात्रों को नहीं दी। जब छात्रों ने इसका विरोध किया तो उनपर राज्यकार्य में बाधा डालने और अन्य आरोपों में फ़र्ज़ी मुकदमें दायर कर दिए गए। इस मामले में 12 छात्रों पर अब तक मुकदमें चल रहे हैं। 

SFI राजस्थान सचिव मंडल सचिव के सदस्य पवन बेनीवाल के अनुसार यहाँ 45 छात्रों के खिलाफ फ़र्ज़ी मुतादमें चल रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए माकपा की अलवर सचिव रईसा कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है। उनका कहना है कि अलवर बीजेपी का गढ़ रहा है और फिलहाल यहाँ बनवारी सिंघल विधायक हैं। यही वजह है कि जब इस ज़िले के एक बड़े कॉलेज में जब SFI ताक़तवर हो रहा है तो उसे तोड़ने की भी पूरी कोशिश हो रही है। जब भी चुनाव नज़दीक आते हैं ,यह लोग SFI को निशाना बनाने लगते हैं। इस कॉलेज में कुछ संध की विचारधारा से जुड़े प्रोफेसर हैं जिनके ज़रिये यह सबा किया जाता है। गौरतलब है कि कॉलेज में अगस्त में ही चुनाव होने वाले हैं। 

उनका आरोप है कि यह सब बनवारी सिंघल के इशारे पर ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि अलवर में हुई लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ भी SFI सबसे आगे रहा है , इसीलिए यह संगठन इनकी "आँखों में चुभ रहा है"। रईसा से जोर देकर कहा "वह नहीं चाहते कि अलवर , दूसरा सीकर बन जाए। " बता दें कि कि राजस्थान के सीकर में वामपंथी ताक़तें काफी मज़बूत हैं।

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