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अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट

इस बीच मोदी सरकार ने मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
US drops 121 Bombs everyday

ट्रम्प प्रशासन में अमेरिकी सरकार हर 12 मिनट में कथित तौर पर एक बम गिराती है जिसका मतलब है कि एक दिन में 121 बम गिराए जाते हैं और हर साल 44,096 बम गिराए जाते हैं। पेंटागन के आंकड़ों से पता चलता है कि जॉर्ज डब्लू बुश के कार्यकाल के आठ वर्षों के दौरान प्रति दिन 24 बम गिराए गए यानी प्रति वर्ष 8,750 बम गिराए गए। ओबामा के समय में उनकी सेना प्रति दिन 34 बम गिराती थी यानी प्रति वर्ष 12,500 । इससे पता चलता है कि सभी अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध अपराधी (war criminals) हैं और ट्रम्प इनमें सबसे ज़्यादा क्रूर हैं।

राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सेना ने 70,000 बम पांच देशों में गिराया। ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन “563 हमले मुख्य रूप से ड्रोन हुए थे जिसमें पाकिस्तान, सोमालिया और यमन को निशाना बनाया गया था।"

प्रत्येक नए अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल में देखा गया है कि विदेशी सैन्य हमले में वृद्धि हुई है। अमेरिकी मीडिया के लिए ओबामा उदार लोकतंत्र का नायक थे। मानवता के ख़िलाफ़ उनके अपराधों के बारे में कभी भी ज्यादा कोई चर्चा नहीं की गई। हालांकि ट्रम्प की आलोचना उनकी मुखरता को लेकर की जाती है, उन्हें अक्सर एक अप्रिय विदूषक के रूप में चित्रित किया जाता है। लेकिन फिर भी मीडिया आसानी से बम और ड्रोन हमलों की उपेक्षा करता है।

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के अनुसार केवल 2016 में अमेरिका ने सात देशों में क़रीब 26,172 बम गिराए। इसी साल ट्रम्प प्रशासन ने पदभार संभाला था।

US drops 121 bombs everyday

उपर्युक्त चार्ट में अमेरिका द्वारा वर्ष 2016 में किए गए बमबारी का विवरण है।

पत्रकार विटनी वेब ने फरवरी में लिखा था, "आश्चर्य है कि मारे गए 80 प्रतिशत से अधिक लोगों की पहचान कभी भी नहीं की गई है और सीआईए के खुद के दस्तावेजों से पता चलता है कि वे इस बात से भी अवगत नहीं हैं कि वे किसकी हत्या कर रहे हैं -स्ट्राइक ज़ोन में दुश्मन लड़ाकू के रूप में इन सभी का नाम लेकर आम लोगों की मौत की रिपोर्ट करने के इस मुद्दे से परहेज करना।"

इसका तात्पर्य यह है कि तथाकथित स्ट्राइक जोनों में हुए हमले इस तथ्य के आधार पर पीड़ितों का दावा करते हैं कि वे स्ट्राइक जोन में होते हैं, हालांकि, मृतकों में से अधिकांश को भी पहचाना नहीं गया है, उसे पता लगाने का कोई तरीका नहीं है जो मरे थे वह नागरिक या दुश्मन लड़ाके।

अमेरिका की बमबारी के बारे में एक रिपोर्ट में पत्रकार और कार्यकर्ता डेविड डे ग्रॉ ने कहा, "सीआईए के अपने दस्तावेजों के मुताबिक़ 'हत्या की सूची' में 'ड्रोन' से लक्षित लोगों को निशाने से हुई मौत केवल 2% ड्रोन हमलों के कारण हुई।"

जिसका मतलब है कि मारे गए लोगों में से अधिकांश निर्दोष नागरिक होंगे।

इस बीच मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प को आमंत्रित किया है।

यह ध्यान में रखना चाहिए कि अमेरिकी सैन्य हमले कोई नई घटना से नहीं है; दुनिया भर में अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए घोर अत्याचार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जापान में परमाणु बम गिराकर, लैटिन अमेरिका में कठपुतली सरकारें चलाना, कोरिया, वियतनाम, चीन, इराक के ख़िलाफ़ आक्रामक हमले करना, अफगानिस्तान में सोवियत के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए आतंकवादी समूहों को वित्त पोषित करना, मध्य पूर्व में राजनीतिक अस्थिरता सुनिश्चित करना, इसके अलावा इस सूची में और भी घटनाएं हैं। क्या भारतीय उन लाखों लोगों का साथ देते है जिनकी ज़िंदगी अमेरिका ने बर्बाद कर दी है, या वे स्वेच्छा से अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करेंगे?

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