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कोरोना वायरस संकट के बीच उत्तर-पूर्व के लोगों पर हो रही है नस्लवादी टिप्पणी

"भले ही आसपास चीनी लोग हों, लेकिन यह नस्लभेद का एक कारण नहीं होना चाहिए। नस्लभेद अस्वीकार्य है। कोरोना हमें नीचे दबाने का एक और बहाना साबित हो रहा है।"
Notheast student
प्रतीकात्मक तस्वीर

रविवार रात 9 बजे जैसे ही जनता कर्फ्यू समाप्त हुआ वैसे ही दूसरे लोगों की तरह रमेश्वरी भी किराने का सामान ख़रीदने के लिए उत्तरी दिल्ली के विजय नगर में अपने एक मंज़िला अपार्टमेंट से बाहर निकलीं। घर वापस जाते समय उन्हें एक व्यक्ति ने रोका और कथित तौर पर उन पर भद्दी टिप्पणी की। जैसे ही उन्होंने इस पर आपत्ति जताई तो 50 वर्षीय उस व्यक्ति ने उन पर थूका, उन्हें 'कोरोना' [वायरस] कहा और अपने दुपहिया वाहन से भाग गया। रमेश्वरी का कहना है कि इस घटना ने उन्हें भयभीत कर दिया है।

पी़ड़िता ने न्यूज़क्लिक को बताया, "पान मसाला का थूक मेरी टी-शर्ट, गर्दन पर फेंक दिया और इसके छींटे मेरी आंखों में भी चले गए। यह खतरनाक हो सकता था। मैं घबरा गयी थी।" मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 509 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और फिलहाल जांच की जा रही है।

हालांकि, यह इस तरह की पहली घटना नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्वोत्तर छात्र एसोसिएशन की अध्यक्ष क्रिस्टीना एरिंग ने कहा कि कुछ ही दिनों पहले, पुरुषों के एक समूह शोर किया कि, “ये देखो कोरोना जा रही है!”ये बात उनकी ओर इशारा करते हुए कहा।

एरिंग ने कहा, "यह घटना कई लोगों के सामने हुई लेकिन किसी ने रोका तक नहीं। यह अपमानजनक था।"

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र ने इस बारे में बताया कि किस तरह उसे और उसके दोस्तों को हाल ही में "चीन" का होने को लेकर मजाक उड़ाया गया। उन्होंने कथित तौर पर कहा: "आप असली कोरोना वायरस हैं और लोगों को आपसे दूर रहना चाहिए।"

नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, "मैंने मेट्रो के अधिकारियों से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।"

नोवल कोरोना वायरस के डर के बीच नस्लवाद और जेनोफोबिया (विदेशियों का नापसंद करने) की एक नई घटना सामने आई है। एरिंग का मानना है कि इस वायरस ने लोगों को नस्लवादी टिप्पणी करने का मौका दे दिया है। एरिंग ने न्यूज़क्लिक को बताया, "ऐसा नहीं है कि नस्लवाद कोरोना के कारण शुरू हुआ है। हमें पहले से ही मोमोज, चिंकी आदि कहा जाता था। यह अब एक नया बहाना है।"

भारत में अब तक COVID-19 के 400 से ज्यादा मामले और दस मौत सामने आए हैं। ये वायरस चीन से दुनिया में फैला है। पूर्वोत्तर भारत के कई लोगों का "कोरोनो वायरस के वाहक" के रूप में मजाक उड़ाया गया है और उनके शारीरिक संरचना को लेकर "चीन" का बताया जाता है।

एक दिन पहले ही नागालैंड से संबंध रखने वाली छह महिलाओं और तीन पुरुषों को इस बीमारी के कोई लक्षण न होने के बावजूद गुजरात में 24 घंटे तक क्वारेंटीन में बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। इनमें से किसी ने विदेश की यात्रा नहीं की थी और न ही COVID-19 संदिग्ध के संपर्क में आने का कोई इतिहास था। स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि ये घटना "नस्लीय" कारणों के चलते हुई थी।

इन घटनाओं ने पूर्वोत्तर के लोगों में काफ़ी चिंता पैदा कर दी है।

एरिंग ने कहा, "मैं समझती हूं कि जब वे हमसे सवाल पूछते हैं तो लोग आम तौर पर चिंतित होते हैं। हम बुरा नहीं मानते हैं क्योंकि हम समझते हैं कि वे उस समाज से आते हैं जो वंचित हैं और शिक्षा से वंचित हैं और वे वास्तव में जानना चाहते हैं। लेकिन ऐसे लोग हैं जो शिक्षित हैं, जो सभी सूचनाओं से अवगत हैं फिर भी वे अभी नस्लवादी तरीके से व्यवहार कर रहे हैं।"

इस बीच, गृह मंत्रालय (नॉर्थ ईस्ट डिवीजन) ने कानून-लागू करने वाली सभी एजेंसियों को पूर्वोत्तर लोगों के खिलाफ उत्पीड़न के मामले में उचित कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए एक अधिसूचना जारी किया है। अधिसूचना में लिखा है," यह मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि देश में COVID-19 की घटना सामने आने के बाद नॉर्थ ईस्ट के लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें एथलीटों और खिलाड़ियों सहित नॉर्थ ईस्ट के लोगों को COVID-19 से जोड़कर परेशान किया गया है। यह नस्लीय टिप्पणी भेदभावपूर्ण, असुविधाजनक और उनके लिए दर्दनाक है।”

एरिंग ने कहा, "स्वतंत्र भारत के इतने वर्षों में अब तक लोगों को पता होना चाहिए कि भारत में एक हिस्सा ऐसा है जिसमें पूर्वोत्तर के लोग शामिल हैं, जो उनसे थोड़ा अलग दिखते हैं। भले ही आसपास चीनी लोग हों, लेकिन यह नस्लभेद का एक कारण नहीं होना चाहिए। नस्लभेद अस्वीकार्य है। ये कोरोना हमें नीचे दबाने का एक और बहाना है।"

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Amid Coronavirus Outbreak, People from Northeast Battle Racist Slurs and Xenophobia

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