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अर्जेंटीना का एलीट वर्ग मिलाग्रो साला के ख़िलाफ़ युद्ध क्यों लड़ रहा है?

टुपैक अमारू नेबरहुड एसोसिएशन की नेता पुराने शासन के ख़िलाफ़ लड़ाई का प्रतीक हैं।
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Image Courtesy : Luciana Balbuena

चिली और बोलिविया की सीमाओं के पास अर्जेंटीना के उत्तर-पश्चिम में सुदूर में एक जुजुय प्रांत है। यहां, कुछ साल पहले ही ग़रीबों और देशज/स्वदेशी लोगों की एक प्रमुख राजनीतिक ताक़त उभरी थी। इसे टुपैक अमारू नेबरहुड एसोसिएशन (ऑर्गनिज़ेकिन बार्रियल टुपैक अमारू) कहा जाता है। नाम टुपैक अमारु-अपने आप में पूरे इलाक़े में कंपकंपी फैला देता है। टुपैक अमारू प्रथम (1545-1572) और टुपैक अमारू द्वितीय (1738-1781) दोनों ही स्पेनिशों से लड़े थे, प्रथम इंसास के अंतिम राजा के रूप में और द्वितीय औपनिवेशिक राज्य के ख़िलाफ़ विद्रोही के रूप में लड़ा था। टुपैक अमारू द्वितीय को बड़े पैमाने पर छेड़े गए विद्रोह के इल्ज़ाम में पकड़ लिया गया था, और फिर उनकी ख़ूनी और हिंसक ढंग से हत्या कर दी गई। इसलिए टुपैक अमारु नाम में, विद्रोह है और अभिजात वर्ग ग़रीबों और स्वदेशी लोगों से घृणा करते हैं और उनके प्रति द्वेष रखते हैं। टुपैक अमारू नेबरहुड एसोसिएशन, जो जुजुय में सत्ता के क़रीब पहुंच गया था, को टुकड़ों में तोड़ दिया गया था।

टुपैक अमारू नेबरहुड एसोसिएशन की करिश्माई नेता मिलाग्रो साला की उम्र 55 वर्ष है। वे ट्रेड यूनियनों में अपने काम के माध्यम से पेरोनिस्ट आंदोलन के ज़रिये, और स्वदेशी आंदोलन में नेतृत्व से उभरी हैं। पिछले 10 वर्षों में, रैडिकल सिविक यूनियन के नेता - जो जुजुय को नियंत्रित करते हैं - ने साला और टुपैक अमारू समूह द्वारा बनाए गए जन आधार को कमज़ोर करने और उसे नष्ट करने के प्रयास किए हैं। उन्होंने समूह के सदस्यों-और ख़ासकर साला पर हत्या के प्रयास और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। जब 2015 में रैडिकल सिविक यूनियन के गेरार्डो मोरालेस-को गवर्नर चुना गया था, तो उन्होंने आरोप लगाया कि एसोसिएशन प्रांत में हिंसा फैलाएगी। जब साला ने इसका खंडन किया, और इसके जवाब में एसोसिएशन ने जुजुय में प्रदर्शन शुरू किया, तो मोरालेस ने साला को गिरफ़्तार कर लिया। यह उनके बुरे वक़्त की शुरुआत थी।

श्वेत पुरुषों की तानाशाही 

ब्यूनस आयर्स में सितंबर में एक दिन में, मैं साला के वकील एलिजाबेथ गोमेज़ अलकोर्टा से मिला, जिन्होंने मुझे इस मामले और इसके नतीजों के बारे में बताया। साला के ख़िलाफ़ राज्य द्वारा लगाए गए आरोपों में काफ़ी तेज़ी से वृद्धि हुई है – उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से लेकर उनकी हत्या तक के प्रयास किए गए हैं। उन पर लगाए गए आरोप जंगली और भद्दे हैं। 2018 में, जुजुय की आपराधिक अदालत ने साला पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2007 में अल्बर्टो कार्डोज़ो की असफल हत्या का आदेश दिया था। जब साला ने अदालत के फ़ैसले को सुना, तो उन्होने कहा कि यह "आशा की एक छोटी सी झलक है।" साला ने आशा एक कुंजी है की बात की थी। जेल में उन्होंने कई बार ख़ुद को मारने का प्रयास किया था। शुक्र है अंतर-अमेरिकी मानवाधिकार आयोगों और मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ आयोग के हस्तक्षेप का, कि वे अब घर में नज़रबंद हैं। अन्य आरोप खड़े हुए हैं। वे सभी आरोप उन्हे चारों ओर घेरे हुए हैं, और उन्हें उनसे घुटन होती है। 

अलकोर्टा एक तेज़ और हिम्मतवाली वकील हैं। उनके पास आधे-अधूरे उपायों के लिए वक़्त नहीं है। उसने मुझसे कहा कि, अर्जेंटीना, "गोरे लोगों की तानाशाही है।" वे इस महिला के ख़िलाफ़, इस स्वदेशी महिला के प्रति प्रतिशोध की गहरी भावना के साथ काम कर रहे हैं। साला पर इतना कठोर हमला उनके संगठन की वजह से है। बड़े पैमाने पर दमन के कारण पिछले तीन वर्षों से जुजुय में कोई विरोध नहीं हुआ है। गोमेज़ अलकोर्टा ने मुझे बताया कि साला की गिरफ़्तारी अर्जेंटीना को एक संदेश भेजती है कि स्वदेशी लोगों के विरोध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हम बंधक हैं

पिछले कुछ वर्षों में, अर्जेंटीना में विभिन्न स्वदेशी समुदायों द्वारा किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं। उदाहरण के लिए, पेटागोनिया में, मापुचे समुदाय के लड़ाकों ने अपनी भूमि की रक्षा और उसकी पुनः प्राप्ति के लिए संघर्ष किया है। मौरिसियो मैक्री के राष्ट्रपति काल के दौरान, जो संभवतः अक्टूबर में चुनाव हार जाएंगे, मेपूचे द्वारा लड़ी गई भूमि के शोषण के लिए और उसे कृषि व्यवसाय और खनन फ़र्मों को हवाले करने के लिए से वादे किए गए हैं। मैक्री की सरकार ने कार्यकर्ताओं का कठोर दमन किया है। इस दौरन सैंटियागो मालडोनाडो और राफ़ेल नहुएल की हुई मौतों ने इस त्रासदी के सबसे घातक स्वरूप चित्रित किया है। माल्डोनैडो और नाहुएल दोनों की मापुचे भूमि की रक्षा करते हुए मृत्यु हो गई थी, माल्डोनैडो पुफ़ लूफ़ेन रेसिस्टेंसिया समुदाय के साथ मिलकर लुसियानो बेनेटन (इतालवी कपड़ों की कंपनी) के ख़िलाफ़ लड़े और मारे गए और नाहुएल लाफकेन विंकुल मापू समुदाय के साथ लड़े और मारे गए।

मेक्री (और उनके सुरक्षा मंत्री पेट्रीसिया बुलरिच) जैसे लोगों के पास मापुचे के लिए कोई समय नहीं है। वे उन्हें आतंकवादी के रूप में देखते हैं। बुलरिच कहते हैं, "वे हिंसक समूह हैं, जो संविधान, राष्ट्रीय प्रतीकों को स्वीकार नहीं करते हैं।" मापुचे की भाषा का उपहास उड़ाया जाता है, उनकी संस्कृति को त्याग दिया गया है। अर्जेंटीना, मैक्री जैसे पुरुषों के तहत है, जो लंबे समय से मेपुचे जैसे समूहों के प्रति एक नरसंहारपूर्ण रवैया रखे हुए हैं। मापुचे नेता लोनको जुआना कैल्फुनाओ ने मैट यूकी से कहा, "हम उन राज्यों के बंधक हैं जो हमारी मापूचे राष्ट्रीयता को नहीं पहचानते हैं।"

गोमेज़ अलकोर्टा ने कहा, "अर्जेंटीना में सत्तारूढ़ वर्ग के लिए, मैड्रिड ला पाज़ की तुलना में ब्यूनस आयर्स के क़रीब है।" जहां तक मेक्री जैसे पुरुषों का सवाल है, तो उनके लिए मापुचे समुदाय का "कोई अस्तित्व ही नहीं हैं।" साला - गोमेज़ अलकोर्टा ने कहा, "देशज/स्वदेशी लोगों पर हमला- चाहे जूनायु में मापुचे या जूजी में हो, वह युद्ध उनके ख़िलाफ़ है जो उनके मुताबिक़ आस्तित्व में ही नहीं है।

मिलाग्रो को आज़ाद करो 

मिलाग्रो साला ने कहा है कि जुजुय के गवर्नर और उनके मुख्य विरोधी गेरार्डो मोरेल्स चुनाव में उनका सामना करने से डरते हैं। साला पूर्व राष्ट्रपति और अब उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार क्रिस्टीना फर्नांडीज़ डी किर्चनर की क़रीबी हैं। जबकि मोरालेस, मैक्री के क़रीबी हैं। मिलाग्रो साला का उत्पीड़न क़ानूनी मामले से ज्यादा एक राजनीतिक मामला है। अदालतों के सामने आरोप और तर्क जारी रहेंगे। लेकिन यह केवल अदालतों का सवाल नहीं है। अगर क्रिस्टीना चुनाव जीत जाती हैं, तो साला के भविष्य का सवाल सामने होगा।

साला के वकील गोमेज़ अलकोर्टा का कहना है कि चार ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से साला नहीं हारीं। सबसे पहले, उन्हें जेल पूर्व परीक्षण से उनके घर ले जाया गया। दूसरा, वह ज़िंदा हैं — कोई अकारण बात नहीं जब अगर आप माल्डोनाडो और नहुएल की हत्याओं पर विचार करें तो। तीसरा, सरकार ने टुपैक अमारू एसोसिएशन और उसके सदस्यों के, 8,000 घरों, तीन स्कूलों और एक स्वास्थ्य केंद्र को नष्ट कर दिया। दमन के इस स्तर ने जुजुय समुदाय के बीच इस भावना को कम नहीं किया है कि साला उनकी नेता हैं। चौथा, मामला ठंडा नहीं हुआ है। पूरे अर्जेंटीना में साला के पोस्टर और चित्र देखे जा सकते हैं। उन पर "मिलाग्रो को आज़ाद करो" लिखा है।

गेमाग्रो अलकोर्टा कहती हैं, "मिलाग्रो साला की कहानी समाप्त नहीं हुई है। जब वे रिहा होंगी, तो मिलाग्रो साला एक बार फिर अपने क्षेत्र के नेता के रूप में उभरेगी और अब-केस मुक़दमे की वजह से - पुराने शासन के ख़िलाफ़ लड़ाई के प्रतीक के रूप में उभरेगी। अगर मिलाग्रो साला- एक देशज/स्वदेशी महिला- जेल से अर्जेंटीना की राजनीतिक दुनिया की ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हैं, तो यह एक ज़बरदस्त जीत होगी।

विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह स्वतंत्र मीडिया संस्थान की परियोजना, Globetrotter में एक लेखक और मुख्य संवाददाता हैं। वह Leftword Books के मुख्य संपादक और ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं।

सौजन्य: Independent Media Institute

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