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महानगरों में बढ़ती ईंधन की क़ीमतों के ख़िलाफ़ ऑटो और कैब चालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर

व्यावसायिक चालकों ने पेट्रोल, डीज़ल और सीएनजी की बढ़ती क़ीमतों के विरोध में अपनी वाहन सेवा को लंबित रखा।
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Image courtesy : PTI

उबर और ओला जैसे कैब उपलब्ध कराने वाले ऐप से जुड़े चालकों द्वारा सीएनजी कीमतों पर सब्सिडी और किराया दरों में संशोधन की मांग को लेकर बुलाई गई हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है।

हालांकि सोमवार को हड़ताल का हिस्सा रहे ऑटो-रिक्शा और पीली-काली टैक्सी यूनियन ने दिल्लीवासियों को राहत देते हुए अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है।

ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स से जुड़े चालकों का प्रतिनिधित्व करने वाले सर्वोदय ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन दिल्ली के अध्यक्ष रवि राठौर ने कहा कि हड़ताल जारी रखने या स्थगित करने पर फैसला शाम को लिया जाएगा।

ऑटो रिक्शा चालकों और कैब चलाने वालों की दिक्कतें दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं, क्योंकि हाल के महीनों में ईंधन की बढ़ती कीमतों ने उनके जेब में डाका डाल दिया है। सोमवार को व्यावसायिक चालकों ने कई बड़े शहरों में सड़कों पर आकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सरकारी प्रशासन और ऐप आधारित "एग्रीगेटर्स" कंपनियों के खिलाफ़ पर्याप्त सहायता उपलब्ध न कराने के लिए नारेबाजी की गई।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बढ़ती ईंधन की कीमतों के बीच सीएनजी पर सब्सिडी और किराये की दरों में बदलाव की मांग के साथ प्रदर्शन किया गया। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ इस दौरान अलग-अलग ऑटो, रिक्शा, कैब और टैक्सी यूनियन हड़ताल पर गईं। शहर में यात्रियों को कैब और ऑटो मिलने में सोमवार सुबह अच्छी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि ओला और उबर पर कार उपलब्ध थीं, लेकिन इनकार किराया बहुत ही ज़्यादा हो गया था।

इसी तरह लखनऊ में ऐप आधारित कैब सेवा उपलब्ध कराने वाले चालकों ने कहा कि वे दो दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं। सरकार से उनकी मांग है कि राज्य में ऐप आधारित कैब बाज़ार को नियंत्रित करने के लिए केंद्र द्वारा राज्यों को जारी दिशा-निर्देशों के तहत इन कंपनियों के लिए नीति बनाई जाए।

"इंडियन फेडरेशन ऑफ़ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आईएफएटी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन के मुताबिक़, हैदराबाद, मुंबई और कोलकाता में भी कैब चालकों के एक वर्ग ने हड़ताल में सहयोग किया। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि कुछ जगबों पर यह हड़ताल दो दिन के लिए रखी गई, जबकि कुछ जगह स्थानीय स्थितियों को देखते हुए यह आगे भी बढ़ाई जा सकती है।

चालकों द्वारा हड़ताल का यह फ़ैसला हाल में देश के भीतर पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों की बढ़ोत्तरी की पृष्ठभूमि में आया है। उदाहरण के लिए सीएनजी की कीमतों में हाल में राष्ट्रीय राजधानी में ढाई रुपये का इज़ाफा हुआ है। जबकि व्यावसायिक कैब वाले इसी ईंधन का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं। अप्रैल के महीने में यह तीसरी और 7 मार्च के बाद 11वीं बढ़ोत्तरी है। सीएनजी की कीमत अब 71.61 रुपये प्रति किलोग्राम है।

यूनियन लीडर ने बताया कि दूसरे शहरों में भी कीमतों में इसी तरीके के इज़ाफे के चलते टैक्सी चालकों की आय में कमी आई है। यह ज़्यादा चिंताजनक इस वज़ह से भी हो गया है कि अब तक कैब चालक महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन की मार से भी पूरी तरह नहीं उबर सके हैं।

सर्वोदय चालक संघ, दिल्ली के अध्यक्ष कमलजीत गिल कहते हैं, "चालक अपने परिवार के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम कई सालों से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। हम इस तरह आगे नहीं चला सकते।"

गिल का संगठन दिल्ली में ओला-उबर के चालकों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने ऐप आधारित कंपनियों पर ज़्यादा कमीशन दर लगाने का भी आरोप लगाया। उनके मुताबिक़, ऊंची कमीशन दर 25 से 30 फ़ीसदी तक होती है, जिसके चलते अगर किराया बढ़ भी जाए, तो भी कैब चालकों को अच्छी आय नहीं होती। हाल में उबर ने दिल्ली में कैब के किराये में 12 फ़ीसदी का इज़ाफा किया है।

दिल्ली टैक्सी-टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर एंड टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने न्यूज़क्लिक से कहा कि "चालकों की मांग बहुत सीधी है। हम सीएनजी दरों पर 50 फ़ीसदी सब्सिडी  और ऑटो व टैक्सी की दरों में बदलाव भी चाहते हैं।"

दिल्ली एयरपोर्ट टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया, "दिल्ली में ऑटो रिक्शॉ की कीमतों में आखिरी बार 2019 में बदलाव किया गया था, जिसकी आधिकारिक अधिसूचना 2020 में जारी की गई थी। फिलहाल शुरुआती दो किलोमीटर के लिए ऑटो का किराया 25 रुपये है, जिसके बाद हर एक किलोमीटर के लिए 8 रुपये लगते हैं। जबकि प्री-पेड टैक्सी (काली-पीली) के लिए मौजूदा दर सीएनजी की कीमत को 52 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से तय की हुई है।"

पिछले हफ़्ते दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने एक निश्चित समय में किराये में बदलाव पर विचार करने के लिए एक समिति के गठन का ऐलान किया था। शुक्रवार को एक ट्वीट में गहलोत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ऑटो और टैक्सी संघ की दिक्कतों को समझती है।

गिल ने कहा, "हमें कोई समिति की नहीं, बल्कि अपनी समस्या के समाधान की जरूरत है। हम चाहते हैं कि सरकार हमसे बात करे और तुरंत चालकों के जिंदगी को बचाने के लिए फ़ैसले करे।"

स्वतंत्र ऐप आधारित कैब और चालक संघ, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मोहम्मद आमि ने न्यूज़क्लिक से कहा कि लखनऊ शहर में तब किराये में बदलाव किया गया था, जब सीएनजी की कीमत 45 रुपये प्रति किलोग्राम थी। अब यह 80 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच चुकी है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से तुरंत ऐप आधारित कैब कंपनियों के नियंत्रण के लिए एक नीति बनाने की अपील की, जो केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी की गई "मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन्स" के मुताबिक़ हो।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश में अधिकारी ऐसी नीति बनाने की प्रक्रिया में हैं। इस नीति के तहत किसी भी ऐप आधारित सेवा देने वाली कंपनी को परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होगा और अगर नीति में बताए गए नियमों का पालन नहीं किया गया, तो इस लाइसेंस को रद्द या लंबित भी किया जा सकेगा।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

As Rising Fuel Prices Strain Wallets, Auto and Cab Drivers Stage Strike in Metropolitan Cities

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