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चीन के स्पेस स्टेशन से एस्ट्रोनॉट पहली बार अंतरिक्ष में पैदल चले

जून में 3 अंतरिक्ष यात्रियों को शेंझू-12 स्पेसक्रॉफ्ट से चीन ने अपने स्पेस स्टेशन भेजा था। सात घंटे की यात्रा के बाद यह यात्री वहां पहुंचने में कामयाब रहे थे।
चीन के स्पेस स्टेशन से एस्ट्रोनॉट पहली बार अंतरिक्ष में पैदल चले
बाएं से चीनी एस्ट्रोनॉट तैंग होंगबो, नी हैशनेंग और लियू बोमिंग। तस्वीर सौजन्य: एपी

इस साल अप्रैल में चीन ने तियांगॉन्ग स्पेस स्टेशन को सफलता के साथ अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। पहली बार दो अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन से निकलकर 7 घंटे तक पैदल चले। लिऊ बोमिंग और तांग होंगबो ने अंतरिक्ष में अपनी पैदल यात्रा 4 जुलाई को सुबह 8 बजे (बीजिंग के समयानुसार) शुरू की थी। लिऊ, स्पेस स्टेशन के कोर मॉड्यूल- तियांहे (अंग्रेजी में इसका मतलब शांति होता है) से निकलने वाले पहले यात्री थे। उनके तीन घंटे बाद तांग बाहर आए।

इस साल जून में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को शेंझू-12 अंतरिक्ष यान में सात घंटे की यात्रा के बाद स्पेस स्टेशन पहुंचाया गया था।

इन तीन में से दो एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन के बाहर गतिविधियां करने के लिए निकले, वहीं तीसरा उन्हें अंदर से अंतरिक्ष में पैदल चलने के लिए सहायता दे रहा था। स्पेस स्टेशन के बाहर मौजूद दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को तियांहे के बाहर एक पेनोरेमिक कैमरा लगाने और स्टेशन के रोबोटिक हिस्से के परीक्षण की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रोबोटिक हिस्से के ज़रिए भविष्य में दूसरे मॉ़ड्यूल का हस्तांतरण किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्रियों ने चीजों को इकट्ठा करने का अपना काम इसी की मदद से किया है। इन लोगों को अंतरिक्ष में तीन महीने तक रहना है। यह चीन द्वारा यात्रियों वाला सबसे लंबा अंतरिक्ष मिशन है।

बता दें 2008 के बाद, यह पहली बार है जब चीनी अंतरिक्ष यात्री यान से बाहर निकले हैं। 2008 में झाई झियागांग ने इसी तरीके से चीन की तरफ से पहली बार अंतरिक्ष में पैदल यात्रा की थी। अमेरिका और सोवियत संघ के बाद ऐसा करने वाला चीन तीसरा देश बन गया था। चीन का यह मिशन पिछले पांच सालों में यात्रियों वाला, दुनिया का एकमात्र अंतरिक्ष अभियान है।

चीन की स्पेस एजेंसी ने अगले साल के अंत तक इस तरह के 11 लॉन्च की योजना बनाई है, जिसमें से तीन लॉन्च में यात्री सवार होंगे। स्पेस एजेंसी, स्पेस स्टेशन पर दो लैब मॉड्यूल्स और पहुंचाकर विस्तार करने वाली है।

तियांगॉन्ग स्पेस स्टेशन

तियांगॉन्ग, तियांगॉन्ग-1 और तियांगॉन्ग-2  अंतरिक्ष प्रयोगशालाओं का उत्तराधिकारी है, जिन्हें क्रमश: 2011 और 2016 में भेजा गया था। चीन के स्पेस स्टेशन को ISS के ढांचे पर ही बनाया गया है, जिसका संचालन अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी करते हैं।

तियांगॉन्ग में प्राथमिक तौर पर तीन हिस्से हैं- एक कोर मॉड्यूल और दो लेबोरेटोरीज़। कोर मॉड्यूल या कैप्सूल- 'तियांहे' एक बस के आकार का है। इसमें संचालन तंत्र के साथ-साथ जीवन रक्षक तंत्र उपलब्ध हैं। 20 टन का तियांहे कैप्सूल चीन द्वारा बनाया गया सबसे भारी स्पेसक्रॉफ्ट है।

तियांहे पहले ही अपनी कक्षा में पहुंच चुका है, 2022 तक तियांगॉन्ग स्पेस स्टेशन में बाकी दो हिस्सों के जुड़ने की उम्मीद है। इसके साथ ही स्पेस स्टेशन वैज्ञानिक और तकनीकी महत्व की अपनी पूरी क्षमताओं का विस्तार कर चुका होगा। स्पेस स्टेशन में 14 आंतरिक प्रयोग खंड और 50 बाहरी पोर्ट हैं। इन सबको मिलाकर, स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में अध्ययन कर सकेगा।

कोर मॉड्यूल तियांहे का वजन, ISS की तुलना में 20 फ़ीसदी है। यह एक वक़्त में तीन एस्ट्रोनॉट को जगह दे सकता है। इस कोर मॉड्यूल को 29 अप्रैल को हियानान द्वीप से लॉन्ग मार्च 5B रॉकेट के ज़रिए छोड़ा गया था।

चीन की स्पेस एजेंसी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट में एक कोर स्टेज और चार बूस्टर होते हैं। लॉन्ग मार्च 5B का वजन 940 टन है, इसमें एक फ्यूल टैंक है, यह 28 टन माल को अंतरिक्ष में ले जा सकता है। इस तरह के रॉकेट का इस्तेमाल चीन द्वारा मॉड्यूल और अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन पहुंचाने में किया जाएगा।

2022 में अपनी पूर्ण अवस्था में आने के बाद, चीन के स्पेस स्टेशन का कार्यकाल 10 साल का होगा। वहीं ISS का जीवनकाल 2028 या उसके पहले ख़त्म हो जाएगा।

शेंझू-12 स्पेसक्रॉफ्ट में यात्रियों के सफल लॉन्च के बाद, चीनी प्रशासन भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में ज़्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है, ताकि अंतरिक्ष की ज़्यादा समग्र वैज्ञानिक खोजबीन की जा सके।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Astronauts Conduct First Spacewalk on China's Space Station

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