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बहरीन ने इज़रायली स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर नौ एक्टिविस्ट के फ़ोन हैक किए

कनाडा स्थित सिटीज़न लैब ने कहा कि उसने पेरिस स्थित फॉरबिडन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ उन नंबरों का सत्यापन किया है।
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कनाडा स्थित सिटीजन लैब ने मंगलवार 24 अगस्त को एक रिपोर्ट में पुष्टि की कि बहरीन ने देश के अंदर और बाहर कई एक्टिविस्टों के फोन हैक करने के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया।

"फ्रॉम पर्ल टू पेगासस" शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार बहरीन सरकार ने कम से कम नौ एक्टिविस्टों को लक्षित करने के लिए जून 2020 और फरवरी 2021 के बीच इज़रायल के एनएसओ समूह स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया। इन एक्टिविस्टों में वामपंथी समूह वाड (नेशनल डेमोक्रेटिक एक्शन सोसाइटी) के तीन सदस्य, बहरीन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के तीन सदस्य, यूके में निर्वासित जीवन जीने वाले दो एक्टिविस्ट और शीते अल वेफाक पार्टी के एक सदस्य शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार इन दो निर्वासित एक्टिविस्टों के फोन हैक करना बहरीन सरकार के लिए प्रमुख है और इसका मतलब है कि हो सकता है ऐसा करने के लिए उसने अन्य सरकार के साथ सहयोग किया है

पिछले महीने कई मीडिया समूहों ने दुनिया भर के बड़ी संख्या में एक्टिविस्टों, वकीलों, पत्रकारों, नेताओं, न्यायाधीशों आदि के फोन नंबरों की सूची प्रकाशित की जो पहले से ही पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से संक्रमित थे या संक्रमण के संभावित लक्ष्य थे। ये रिपोर्ट पेरिस स्थित फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के निष्कर्षों पर आधारित थी।

इस रिपोर्ट के मुताबिक बहरीन ने प्रभावित लोगों के आईफोन को हैक करने के लिए पेगासस के जीरो क्लिक आईमैसेज का इस्तेमाल किया।

इस रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बहरीन का अपनी राजनीतिक व्यवस्था में सुधारों के ढोंग के बावजूद देश में राजनीतिक असंतोष के दमन का क्रूर इतिहास रहा है। देश में अल-खलीफा राजशाही ने विशेष रूप से 2011 में देश में लोकतंत्र समर्थक विरोध के बाद राजनीतिक और मानवाधिकार समूहों पर प्रतिबंध लगाने और कई एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के साथ अपने राजनीतिक दमन को बढ़ा दिया है।

पिछले महीने के खुलासे में भारत, सऊदी अरब, रवांडा और हंगरी सहित दुनिया भर की दर्जनों सरकारों पर अपने नागरिकों की जासूसी करने के लिए इजरायली स्पाइवेयर का इस्तेमाल करने का आरोप है। हालांकि अधिकांश सरकारों ने इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है वहीं एनएसओ ने कहा है कि वह इसे निजी कंपनियों को नहीं बल्कि केवल सरकारों को बेचती है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली अधिकांश सरकारें तानाशाही या दक्षिणपंथी प्रकृति की हैं। इन खुलासों ने भारत जैसे देशों में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल पैदा कर दी है, जहां विपक्ष द्वारा सत्तारूढ़ दल पर राजनीतिक लाभ के लिए इजरायल के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।

Photo:

https://www.middleeasteye.net/news/bahrain-pegasus-spyware-targets-dissident-activists-home-abroad 

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