बूलेट ट्रेन योजना से प्रभावित किसान : "ज़बरदस्ती ज़मीन लिए जाने की कार्यवाही पर रोक लगे "
17 मई को मुंबई के आज़ाद मैदान में महाराष्ट्र के हज़ारों आदिवासियों ने भूमी अधिकार आन्दोलन के झंडे तले बुलेट ट्रेन की योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया I महाराष्ट्र के पालघर से दहानु तक के इलाके से आये इन आदिवासियों की बुलेट ट्रेन योजना से ज़मीन जाने की संभावना है I आदिवासियों का आरोप है कि ग्रामसभा से बिना पूछे उनकी ज़मीन लिए जाने की कवायत शुरू हो गयी है और ग्राम सभा को भी कमज़ोर किया जा रहा है I
मुंबई के आज़ाद मैदान में जमा ये लोग नवम्बर 2017 में राज्यपाल के द्वारा जारी किए गए एक नोटिफिकेशन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं I इस नोटिफिकेशन में लिखा गया था कि राज्य सरकार अगर चाहे तो महत्त्वपूर्ण योजनाओं के लिए ग्रामसभा की अनुमति के बिना ही वह लोगों से उनकी ज़मीन ले सकती है I सरकार को इसके लिए सिर्फ उन लोगों से समझौता करना होगा जिनकी ज़मीने उन्हें चाहिए I ये नोटिफिकेशन Panchayat Act 1996 के खिलाफ खड़ा हुआ दिखाई पड़ता है जिसमें लिखा है कि आदिवासियों के ज़मीन लिए जाने से पहले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है I हमें याद रखना होगा कि इन आदिवासियों के लिए उनकी ज़मीन ही कमाई का सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया है I
बुलेट ट्रेन की इस पूरी योजना के अंतर्गत ये ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद तक चलेगी I इस योजना के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और दादर और नागर हेवली में 1400 हेकटेयर ज़मीन की ज़रुरत पड़ेगी I बुलेट ट्रेन का कोरिडोर कुल 508.17 km का है जिसमें से महाराष्ट्र में 155.642 km होगा और गुजरात में 350.530 km I इस पूरी योजना का कुल खर्च 1.08 लाख करोड़ है जिसके लिए केंद्र सरकार ने Japan International Cooperation Agency (JICA) से 88000 करोड़ का कर्ज़ लिया है I
भूमि अधिकार आन्दोलन के कुछ प्रतिनिधि राज्यपाल से मिले और उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वह इस नोटिफिकेशन को ख़ारिज कर दें I उनका कहना है कि आदिवासी इलाकों में जो किया जा रहा है वह संविधान की अनुसूची 5 के असली अर्थ के खिलाफ है I
दरअसल कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र के पालघर से दहानु के बीच के गाँवों में NHRC के लोग सर्वे के लिए आये थे I गाँवों में ये लोग ज़मीनों के नाप लेते हुए दिखाई पड़े थे, जिसके बाद कुछ जगह पर आदिवासियों ने इन लोगों का विरोध किया था I इसके बाद से ही ये विरोध प्रदर्शन बड़ा रूप लेता दिखाई पड़ रहा है I इससे पहले गुजरात के किसानों ने भी इसी तरह उनकी ज़मीन ज़बरदस्ती लिए जाने की कोशिश के खिलाफ विरोध किया था I
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