Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भीमा कोरेगाँव: सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसलों का अर्थ

दोनों ही निर्णय मामले का गुणात्मक स्तर पर विश्लेषण नहीं करते, लेकिन दोनों में ही आरोपियों को समय दिया गया।
bhima koregaon

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) के आदेश को गौतम नवलखा के ट्रांजिट रिमांड के मामले में किनारे करने के बाद, 28 सितंबर की महाराष्ट्र सरकार की टिप्पणियां बचकानी लगती हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को सही साबित किया है। उनका यह बयान रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देवकी जैन, सतीश देशपांडे और माया दारुवाला द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया था।

मूल याचिका में महाराष्ट्र सरकार से एक स्वतंत्र जांच, एक स्पष्टीकरण और लोकस स्टैंडी (कोर्ट तक जाने का अधिकार) के आधार पर सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरनॉन गोंसाल्विस, अरुण फेरेरा और वरवरा राव की रिहाई की मांग की गयी। इसके बाद, सभी पांच व्यक्तियों ने, जिनकी तरफ से याचिका दायर की गयी थी, इस मामले में खुद पेश हुए और याचिका में संशोधन किया।

संशोधित याचिका में भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में दायर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर न्यायालय की निगरानी के तहत स्वतंत्र जांच की मांग थी - जिसमें संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोट के खिलाफ एफआईआर की जांच भी शामिल है। याचिकाकर्ताओं ने छापे में जब्त किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संबन्ध में मांग की कि उनकी महाराष्ट्र के बाहर फोरेंसिक जांच की जाए और आरोपी व्यक्तियों की रिहाई के लिए निर्देश दिया जाए।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 2:1 में बंट गया था। बहुमत के फैसले ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि यह अभियुक्त द्वारा चुना जा सकता है कि कौन सी एजेंसी उनके खिलाफ आरोपों की जांच करेगी। बहुमत ने एकबोट और भिडे के खिलाफ एफआईआर के पहलू पर टिप्पणी नहीं की क्योंकि मामला पहले से ही बॉम्बे हाईकोर्ट में जांच के दायरे में है। हालांकि, आरोपियों की रिहाई के बारे में बहुमत ने कहा कि मामला उचित न्यायालय में उठाया जाना चाहिए। इसके लिए बहुमत ने आरोपी को उचित उपाय करने के लिए चार सप्ताह की नजरबंदी का आदेश दिया था।

दूसरी तरफ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई और पुलिस तथा गिरफ्तारी के संबंध में काफी आलोचना भरा और हमलावर था। हालांकि, उन्होंने आरोपियों को तीन सप्ताह की नजरबंदी और अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की बात कही थी। बहुमत निर्णय का उन लोगों ने स्वागत किया जो गिरफ्तार लोगों का विचारधारात्मक रूप से विरोध करते थे। जबकि भारतीय जनता पार्टी सरकार के विरोध में, न्यायमूर्ति चंद्रचुद की असंतोषजनक राय की सराहना की गई।

हालांकि बहुमत के निर्णय ने एसआईटी का गठन करने के लिए कोई निर्देश पारित नहीं किया, लेकिन उन्होंने आरोपी को उचित अदालत में उचित कानूनी उपाय करने के लिए चार सप्ताह की नजरबंदी का आदेश दिया। दूसरी तरफ, न्यायमूर्ति चंद्रचुद की असंतोषजनक राय ने आरोपी को तीन सप्ताह नजरबंदी और एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था।

यह सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के फैसले की रौशनी में ही था कि सोमवार को गौतम नवलाखा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से मुक्त कर दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश ने सीएमएम दिया गया ट्रांजिट रिमांड के आदेश को किनारे कर दिया था। यह इस आधार पर किया गया था कि पुलिस द्वारा पेश किए गए सभी दस्तावेज मराठी में थे, इसलिए यह स्पष्ट था कि सीएमएम उस सामग्री को पढ़ने में सक्षम नहीं थे। इसलिए, सीएमएम यह निर्धारित करने में भी असमर्थ थे कि ट्रांजिट रिमांड उचित है या नहीं और उनके खिलाफ यह पहली नज़र का मामला बनता भी है या नही। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जरूरी नजरबंदी को चार सप्ताह की अवधि के अर्थ आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब तक कि उचित उपाय प्राप्त नहीं किया जाता है, तब तक नवलाखा की हिरासत समाप्त की जाती है। महाराष्ट्र पुलिस को ट्रांजिट रिमांड के लिए एक नया आवेदन करने से रोकने के लिए आदेश नहीं किया गया।

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद थोड़ी खुशी है लेकिन मुश्किलभरी वास्तविकता यह है कि इससे कुछ ज्यादा नही बद्ला है। सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के फैसले और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश ने आरोपी को समय देने से ज्यादा कुछ नहीं दिया है। हालांकि, सरकार को भी इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए समय दिया गया है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest