Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भीमा कोरेगांव मामला: उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकीय आधार पर वरवर राव को दी ज़मानत

राव ने चिकित्सकीय आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
 varvara rao
फाइल फोटो, साभार: द हिंदू

उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पी. वरवर राव को चिकित्सकीय आधार पर बुधवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कवि एवं कार्यकर्ता राव (82) को जमानत देते हुए कहा कि वह किसी भी तरह से इसका दुरुपयोग ना करें।

राव ने चिकित्सकीय आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

राव (83) अभी चिकित्सकीय आधार पर अंतरिम जमानत पर हैं। गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है।

पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं। मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दी गई थी। राव को 28 अगस्त 2018 को हैदराबाद स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था।

पुणे पुलिस ने आठ जनवरी 2018 को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं तथा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।

इसी मामले में देश के कई बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े , सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। यह सभी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं। हालांकि, पिछले साल दिसम्बर में सुद्धा भारद्वाज को जमानत दे दी गई थी।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest