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बिहार चुनाव: ज़्यादातर एग्ज़िट पोल में महागठबंधन को बढ़त, लेकिन क्या महागठबंधन का प्रदर्शन और बेहतर होगा?

फ़ैसला आना अभी बाक़ी है, क्योंकि 2015 के एग्ज़िट पोल में एक त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गयी थी, जबकि जो नतीजे सामने आये थे,उनमें महागठबंधन को भारी बहुमत मिला था और वह भविष्यवाणी पूरी तरह ग़लत साबित हुई थी।
बिहार चुनाव

एग्ज़िट पोल अक्सर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के प्रति पूर्वाग्रह दिखाते हैं। इसके बावजूद, 7 नवंबर को जारी बिहार विधानसभा चुनाव के ज़्यादातर एग्ज़िट पोल विपक्षी गठबंधन यानी महागठबंधन (MGB) की बढ़त को दिखाते हैं। शायद, इसका मतलब यह है कि महागठबंधन एक ऐसी स्पष्ट जीत की तरफ़ बढ़ सकता है, जो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले भाजपा-जदयू के उस शासन का अंत कर देगा, जो 15 वर्षों (2015-17 में दो साल का अंतर्काल) से सत्ता में बना हुआ था।

जैसा कि बिहार से लगातार हो रही न्यूज़क्लिक की रिपोर्टिंग से पता चलता रहा है कि नीतीश कुमार की यह हार हैरत पैदा करने वाली तो बिल्कुल नहीं है, ऐसा इसलिए, क्योंकि इस सूबे का ऐसा कोई हिस्सा और ऐसा कोई वर्ग नहीं था,जिनसे जुड़े लोग राज्य की बदतर स्थिति से असंतोष महसूस नहीं कर रहे थे।

लेकिन,जैसे ही 7 नवंबर को अंतिम चरण का मतदान शाम 6 बजे ख़त्म हो गया, वैसे ही सबसे पहले बहुत सारे एग्ज़िट पोल की एक झलक जारी हो गयी। 243 सीटों के मतों की वास्तविक गिनती 10 नवंबर को होगी।

इन सभी एग्ज़िट पोल में महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और तीन वामपंथी दलों को मिलाकर बने गठबंधन) के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से कहीं ज़्यादा बेहतर संभावना है। बहुमत पाने के लिए 122 सीटों की ज़रूरत है और चार एग्ज़िट पोल- न्यूज़18-टूडेज़ चाणक्या, एबीपी-सी-वोटर, इंडिया टुडे-एक्सिस और रिपब्लिक-जन की बात ने जो आंकड़े दिये हैं, उससे साफ़ दिखता है कि महागठबंधन इस बहुतमत की सीमा को आसानी से पार कर लेगा।

दो अन्य (TV9-भारतवर्ष और टाइम्स नाऊ-सी-वोटर) ने सही मायने में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की है और ये दोनों में से किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं देते हैं। दैनिक भास्कर महागठबंधन की हार की भविष्यवाणी करता है।

त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में ऐसा माना जा रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) या कुछ निर्दलीय और अन्य निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं,क्योंकि उन्हें दोनों ही तरफ़ से अपने-अपने गठबंधन में शामिल होने के लिए आकर्षित किया जायेगा। ऐसी स्थिति में जिस गठबंधन के पास सबसे ज़्यादा संसाधन होंगे,वह इसका फ़ायदा उठा लेगा।

जैसा कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे विभिन्न राज्यों में दिखा है कि  त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में बीजेपी की तरफ़ से ख़ास तौर पर पहल किये जाने की संभावना है, हालांकि सबसे ज़्यादा सीट पाने वाले चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने का पहला मौक़ा मिलेगा।

2015 का स्तब्ध कर देने वाला वाक़या

हालांकि, 2015 की उस स्तब्ध कर देने वाले वाक़ये को याद रखने की ज़रूरत है। सभी एग्ज़िट पोल (उस एक को छोड़कर, जिसे प्रसारित नहीं किया गया था) ने त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति या एनडीए और तत्कालीन उस मज़बूत महागठबंधन के बीच की क़रीबी टक्कर की भविष्यवाणी की थी, जो राजद, जेडी-यू और कांग्रेस से बना था।

कुछ एग्ज़िट पोल ने तो एनडीए को आसानी से बहुमत भी दे दिया था। जब नतीजे सामने आये थे, तो महागठबंधन को भारी जीत हासिल हुई थी और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था। (नीचे चार्ट देखें)

ज़ाहिर है, सभी जनमत सर्वेक्षण ग़लत साबित हो गये थे। एक्सिस के उस एक मात्र एक्ज़िट पोल को प्रसारित होने से रोक दिया गया था,जिसे सीएनएन-न्यूज़18 पर प्रसारित होना था और बाद में एक्सिस ने इसे अपनी वेबसाइट पर डाल दिया था। एक्सिस ने आख़िरी नतीजे की एकदम सही भविष्यवाणी की थी, उसने भाजपा और उसके छोटे सहयोगियों को मात्र 64 सीटें दी थीं और महागठबंधन को भारी बहुमत के साथ दिखाया था।

एक्सिस के उस एक्ज़िट पोल को क्यों नहीं प्रसारित किया गया था, इस बात को लेकर उस समय बहुत सारी अटकलें लगायी गयी थीं, लेकिन इतना तो साफ़ था कि या तो उसमें इसे प्रसारित करने की हिम्मत नहीं थी या फिर उन्हें ऊंचे पद पर बैठे लोगों की तरफ़ से कहा गया था कि वे नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ नहीं जायें। इस बात को याद दिलाना ज़रूरी है कि नवंबर 2015 में मोदी को 2014 में केंद्र में मिली अपनी ज़बरदस्त जीत हासिल किये हुए बमुश्किल से डेढ़ साल ही हुए थे। यह घटना उस माहौल को दिखाती है,जिसमें कोई एग्ज़िट पोल किया जाता है और प्रसारित किया जाता है।

इस पूर्वाग्रह को ध्यान में रखते हुए कई चुनावों में कोई क़रीबी लड़ाई या यहां तक कि किसी त्रिशंकु विधानसभा की संभावना की भविष्यवाणी भी ग़लत हो सकती है- दो चुनावों को देखते हुए ज़्यादा संभावित परिणाम यही है कि महागठबंधन जीत जायेगा।

बिहार के लिए अहम मोड़

मौजूदा तमाम एग्जिट पोल इस बात पर एकमत हैं कि लोजपा निर्दलीय और अन्य को बहुत ही कम सीटें मिलेंगी, ऐसी ही स्थिति उन विभिन्न छोटे दलों वाले महा धर्मनिरपेक्ष गठबंधन की भी रहेगी,जिसमें एआईएमआईएम जैसी छोटी-छोटी वे पार्टियां हैं, जो कि दोनों मुख्य गठबंधनों के साथ नहीं जा सकीं।

अगर ये एग्ज़िट पोल वास्तविक नतीजे के क़रीब हैं, तो सबसे बड़ा सबक तो यही है कि बिहार के लोग सूबे में ठीक से काम नहीं कर पाने वाली सरकार को वोट नहीं देकर कथित जाति विभाजन के सख़्त घेरे से ऊपर उठ गये हैं। इन चुनावों में बेरोज़गारी सबसे बड़ा इकलौता मुद्दा बन गया था और महागठबंधन के 10 लाख नौकरियों के वादे और आम लोगों के सरोकार से जुड़े अन्य वादों ने लोगों को साफ़ तौर पर आकर्षित किया है। इससे यह भी पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी का कथित 'जादू' अब बहुत काम नहीं कर पा रहा है।

10 नवंबर को मतगणना के बाद घोषित किये जाने वाले वास्तविक परिणाम, बिहार की राजनीति और देश के लिए शायद एक अहम मोड़ साबित हो।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar Elections: Most Exit Polls Give Edge to Grand Alliance, But Will it do Better?

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