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बिहार : न खाद्यान्न और न ईंधन उपलब्ध, छतों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में ज़िंदा रहने का संघर्ष करते बाढ़ पीड़ित

'हम क्या कर सकते हैं, बाढ़ के पानी में सबकुछ डूब गया है और गांव को जोड़ने वाली सड़क को भी बाढ़ ने बर्बाद कर दिया है। बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है। प्रखंड अधिकारियों ने उपलब्धता ना होने का हवाला देते हुए नाव की व्यवस्था करने से इनकार कर दिया है। हम अब तक ज़िंदा बचे हुए हैं, लेकिन अगर हमें खाने का सामान उपलब्ध नहीं कराया गया, तो हम भूखे मर जाएंगे।’
बिहार : न खाद्यान्न और न ईंधन उपलब्ध, छतों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में ज़िंदा रहने का संघर्ष करते बाढ़ पीड़ित

पटना: भिखारी राय पिछले हफ़्ते से मजबूर हैं। मुजफ्फरपुर जिले के बाशगाथा गांव स्थित उनके घर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद, भिखारी और उनका परिवार अपने छत पर फंसे हुए हैं। अब छत ही उनके परिवार के लिए सुरक्षित जगह बची है। राय स्थानीय प्रशासन से अपने परिवार को निकालने के लिए बोट उपलब्ध न करवा पाने को लेकर नाराज हैं।

इस तरह की व्यथा वाले राय अकेले शख़्स नहीं हैं। उनके पड़ोसी रामेंद्र सिंह ने अपने घर के बाहर रखे ट्रेक्टर-ट्रॉली को परिवार के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनाने का फ़ैसला किया। वह कहते हैं, "मेरे घर में छाती तक पानी घुस गया, मेरे पास अपने बच्चों को ट्रॉली तक पहुंचाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि वहां बाढ़ के पानी में डूबने की कोई गुंजाइश नहीं थी।"

इसी गांव के लालबाबू प्रसाद कहते हैं कि ज़्यादातर घरों में कमर तक पानी घुस गया है। लोगों को ज़िंदा रहने के लिए अपने छतों पर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। वह कहते हैं, "हम क्या कर सकते हैं, बाढ़ का पानी सब तरफ भर गया है और गांवों को जोड़ने वाली सड़क को भी इस पानी ने नुकसान पहुंचाया है। हमारे पास बाहर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। प्रखंड अधिकारियों ने बोट ना रहने की बात कहते हुए, बोट उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया है। हम अब तक ज़िंदा बचे हुए हैं, लेकिन अगर हमें खाने का सामान नहीं पहुंचाया गया, तो हम भूखे मर जाएंगे।"

राय, सिंह और प्रसाद तीनों ही बाढ़ पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि वे अब तक सूखे चावल, गुड़ और दूसरी चीजों के सहारे ज़िंदा हैं। यही उनका सूखा भोजन है, क्योंकि उनका रसोईघर पानी के भीतर डूबा हुआ है और खाना बनाने के लिए ईंधन उपलब्ध नहीं है। इन लोगों ने बताया कि इनके खेतों में भी पानी भर गया है, इससे धान की रोपाई भी बुरे तरीके से प्रभावित हुई है। इन लोगों को आशा है कि आगे वे दोबारा रोपाई कर पाएंगे। 

मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ से प्रभावित दो लाख लोगों में यह तीन की कहानी है। मुजफ्फरपुर भी बिहार के उन एक दर्जन ज़िलों में शामिल है, जिनमें बाढ़ आई हुई है। अब तक कितने गांव और लोग इस बाढ़ में प्रभावित हुए हैं, सरकारी संस्थानों द्वारा यह आंकड़ा निकाला जाना अभी बाकी है। राज्य में बाढ़ की स्थिति पर प्रतिदिन कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं होता, सिर्फ़ बाढ़ से बढ़ता जलस्तर और वर्षा का अनुमान बताया जाता है।

सोमवार को भी राज्य में बाढ़ की स्थिति ख़तरनाक बनी रही, क्योंकि उफान पर चल रही कई बड़ी नदियां कई जगह खुले मैदान में आ गईं। इसके चलते अलग-अलग ज़िलों में सैकड़ों गांव डूब क्षेत्र में आ गए। इसके चलते लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं, अब ऊंची जगहों पर स्थानांतरित होने के बाद उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। 

जबसे गांवों में बाढ़ का पानी घुसा है, हज़ारों लोग, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, तबसे सबसे बुरे तरीके से प्रभावित गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, दरभंगा, पूर्णिया, मधुबनी और कटिहार में लोगों को आसपड़ोस की ऊंची जगहों और हाईवे पर शरण लेनी पड़ रही है।

अब जब पानी बड़े भूमिखंडों को जलमग्न कर चुका है, तब कई लोगों ने पॉलिथीन सीट से अस्थायी तंबू गाड़ लिए हैं। बागमती, कोशी, लाखनदेई, गंडक, बूढ़ी गंडक और कमला बालन नदियों में जल स्तर बढ़ने के बाद, बाढ़ का पानी पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, अररिया, किशनगंज, सीतामढ़ी, श्योहर, मधुबनी और दरभंगा ज़िलों में हज़ारों गांवों के लिए ख़तरा बन चुका है।

उत्तरी बिहार के बाढ़ प्रभावित ज़िलों में ट्रेन सेवा बाधित हो गई है। कई ट्रेन रद्द हो गई हैं, कई ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़, पिछले हफ़्ते भारी बारिश के बाद बांधों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद तटबंधों पर दबाव बढ़ गया है। अब नदियों का जलस्तर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि कई जगह यह नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और तटबंधों को ख़तरा पैदा कर रही हैं।

हालांकि WRD ने आधिकारिक दावा किया है कि सभी बाढ़ सुरक्षा तटबंध सुरक्षित हैं।

इस साल मानसून आने के बाद से बिहार और पड़ोसी नेपाल में बड़ी नदियों के बहाव क्षेत्रों में अधिशेष वर्षा हुई है (430 मिलीमीटर से भी ज़्यादा, जो सामान्य वर्षा से 100 मिलीमीटर ज़्यादा है)। इसके चलते निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है।

भारतीय मौसम विभाग की पटना शाखा ने अगले कुछ दिनों में पूरे राज्य में मध्यम से भारी बारिश का अंदाजा लगाया है। इसके चलते राज्य सरकार ने 28 से 30 बाढ़ संभावित ज़िलों को आगाह कर दिया है। 

राज्य में अनुमान से परे वर्षा होने के चलते किसानों के लिए भी दिक्कत हो गई है। क्योंकि खेतों में पानी भरे होने से उनकी धान की बुआई पूरी तरह बर्बाद हो गई है। बताया जा रहा है कि गर्मी के मौसम में आने वाली, फिलहाल खेतों में खड़ी मक्के की फ़सल भी पिछले महीने भारी बारिश के चलते खराब हो गई थी। 

WRD की वेबसाइट के मुताबिक़, बिहार सबसे ज़्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है। देश के कुल बाढ़ संभावित हिस्से में बिहार की हिस्सेदारी 17।2 फ़ीसदी है। 94।16 लाख हेक्टेयर में से 68।80 लाख हेक्टेयर (76 फ़ीसदी उत्तरी बिहार और 73 फ़ीसदी दक्षिणी बिहार) बाढ़ संभावित क्षेत्र है। मौजूदा स्थिति में राज्य के 38 ज़िलों में 28 ज़िलों में बाढ़ का ख़तरा बना रहता है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Bihar: No Food or Cooking Fuel, Flood Victims Struggle for Survival on Rooftops, in Tractor-Trolleys

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