Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भाजपा और आप के बीच शह और मात का खेल : दिल्ली से गुजरात निशाना

नई शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों के ख़िलाफ़ आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को आगे कर दिया है। सिसोदिया के चरित्र को साफ़ दिखाने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उनके लिए भारत रत्न तक की मांग कर दी है।
bjp

पिछले एक दशक के भीतर देश की राजनीति में कई बड़े बदलाव आए हैं। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस लगातार हाशिये पर जाती रही तो आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी विपक्ष का विकल्प बनकर उभरती नज़र आई। आम आदमी पार्टी एक मात्र ऐसा क्षेत्रीय राजनीतिक दल है, जिसकी सरकार दो राज्यों में चल रही है। दिल्ली और पंजाब में। शायद यह आम आदमी पार्टी के बढ़ते प्रभाव का ही नतीजा है जो भारतीय जनता पार्टी को बहुत ज्यादा डराने लगा है। ख़ासकर आने वाला गुजरात चुनाव। ऐसा हम इसलिए भी कह सकते हैं क्योंकि भाजपा बड़ी तेज़ी से इस पार्टी की घेराबंदी करने में जुट गई है।

कहने का मतलब ये है कि सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी कर गुज़रने का ठेका पहले सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ने ले रखा था, अब उसी लाइन में अरविंद केजरीवाल की आदमी पार्टी भी खड़ी दिखाई पड़ रही है। यानी एक ओर जहां अपनी आदत के अनुरूप भाजपा ने सरकारी एजेंसियों का मुंह आम आदमी पार्टी के मंत्रियों की ओर मोड़ दिया है, तो आम आदमी पार्टी भी भाजपा को उसी तरह का जवाब दे रही है। हालांकि ग़ौर से देखने पर दोनों दलों के दावे बेहद राजनीतिक और किसी भी तरह सत्ता में रहने के मालूम होते हैं। कॉरपोरेट और कई अन्य मामलों को लेकर दोनों ही पार्टियों की विचारधारा भी लगभग एक जैसी कही जाती है। दोनों में कौन बड़ा हिंदू है, इसकी भी होड़ बनी रहती है। बिलक़ीस मामले में भी आप और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल की चुप्पी कई अहम सवालों को जन्म देती है।

समझने वाली बात यहां पर ये हैं, कि दोनों ही राजनीतिक दलों ने जितना हो-हल्ला अभी मचा रखा है, वो महज़ गुजरात चुनावों तक है। क्योंकि पंजाब में उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को तो सत्ता से बेदखल ही कर दिया था, बाकी राज्यों के लिए भी भाजपा और कांग्रेस को चेता दिया था। ऐसे में भाजपा ने चुनाव जीतने वाला अपना सबसे मज़बूत हथियार सरकारी एजेंसियों को सक्रिय कर दिया। दिल्ली में बढ़ते शराब कारोबार को मुद्दा बनाकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ईर्द-गिर्द सीबीआई की घेराबंदी कर दी गई है।

क्या है आबकारी नीति और सीबीआई के दावे

. सीबीआई ने दावा किया है कि आबकारी विभाग के रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर फर्जी एंट्री की गईं, ताकि सीधे लाभ पहुंचाया जा सके।

· सीबीआई ने ये भी दावा किया कि अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडेय ने सिसोदिया के साथ मिलकर लाइसेंस होल्डर्स से मिले अवैध फंड को डायवर्ट किया।

· हर लाइसेंस आवेदनकर्ता को एक वार्ड में कम से कम दो ठेके खोलने की शर्त जुड़वाई गई।

· नई एक्साइज पॉलिसी एलजी को भेजी गई, तो बताया गया कि इससे दिल्ली में शराब की अवैध लीकेज और असमान वितरण समस्या दूर हो सकेगी। सीबीआई का दावा है कि नियमों में बदलाव से लग रहा था कि पॉलिसी टेंडर के बाद लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है।

आपको बता दें कि दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने 5 आरोपियों को पूछताछ के लिए समन भेजा था। इस बीच, सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि नई एक्साइज पॉलिसी को उपराज्यपाल की मंजूरी के 6 दिन बाद ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसमें बदलाव किए थे। यह एलजी की जानकारी के बिना किया गया था। एलजी ने 24 मई 2021 को मंजूरी दी। मगर 31 मई 2021 को सिसोदिया के कहने पर इसमें कुछ नियम बदल दिए गए।

अब इस पूरे मामले में आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर उसी की शैली में राजनीतिक पलटवार करते हुए, ऑपरेशन लोटस समेत तमाम आरोप मढ़ दिए। यहां मनीष सिसोदिया ने ख़ुद कहा कि भाजपा की ओर से मुझे ऑफर था कि विधायकों को लेकर पार्टी से बाहर हो जाओ तो मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। सिसोदिया ने ये भी दावा कि इस ऑपरोशन लोटस के स्टिंग की रिकॉर्डिंग जल्द ही जारी करेंगे।

उधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पूरी आम आदमी पार्टी सिसोदिया के पक्ष में खड़ी हो गई और भाजपा को घेर लिया। आम आदमी पार्टी ने ऐसा माहौल खड़ा कर दिया है, कि लोग एक्साइज़ पॉलिसी घोटाले पर सीबीआई रेड को छोड़ दिल्ली की शिक्षा नीति के बारे में बात करने लगे हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था का हवाला देकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘’भारत रत्न’’ देने तक की मांग कर दी।

आपको बता दें कि भारत रत्न किसी को यूं ही नहीं दे दिया जाता, ये भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान होता है। यह उन्हें दिया जाता है जिन्‍होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के जरिए राष्ट्र सेवा की हो।

केजरीवाल ने इस बात को किसी विशेष कॉन्फ्रेंस में नहीं कहा बल्कि गुजरात दौरे पर चुनाव प्रचार में अपने भाषण के वक्त कहा। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल की सराहना की गई है।

अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात में भाजपा और कांग्रेस से ज्यादा सक्रिय नज़र आ रहे हैं, अरविंद केजरीवाल राज्य में लगातार बने हुए हैं, और रैलियां कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने 282 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की कई लिस्ट भी जारी कर दीं।

इसके अलावा केजरीवाल यहां भी अपना वहीं पुराना फ्री वाला दांव चलने के तैयार हैं। केजरीवाल ने मिशन गुजरात के लिए 3000 रुपये बेरोज़गारी भत्ता, युवाओं को रोज़गार की गारंटी और 300 यूनिट बिजली फ्री देने की बात कर रहे हैं।

हालांकि कुछ दिनों पहले अपने भाषण के ज़रिए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘’फ्री की रेवड़ी’’ जैसी लाइन का इस्तेमाल कर इसे ख़तरनाक बताया था। राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी वादों के दौरान मुफ्त में बांटे जाने वाले उपहारों पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसे अब बड़ी बेंच में भेजे जाने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि इसमें कुछ कल्याणकारी योजनाएं भी शामिल हो गई हैं, जिसकी वजह से इसपर फैसला आने में देर हो रही है।

आपको बता दें कि भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं को रेवड़ी कल्चर करार दिया है। लेकिन उनकी पार्टी आज तक हर चुनाव में फ्री की वैक्सीन, मुफ्त राशन वाला ढिंढोरा पीटती ज़रूर है। जबकि जनता को ये समझना होगा, कि किसी महामारी के दौरान सरकार का ये दायित्व होता है कि देश के हर नागरिक को लाभ मिले (जैसी जिसे ज़रूरत हो)। लेकिन ये दुर्भाग्य ही है कि इस दायित्व को भाजपा ने राजनीतिकरण कर दिया और अब ये चुनावों में इस्तेमाल होने लगा है।

भाजपा से पहले यही दांव खेलकर आम आदमी पार्टी भी दिल्ली की सत्ता में आई थी। आपको याद होगा अन्ना आंदोलन के बाद दिल्ली के गली मोहल्लों में केजरीवाल के छोटे-छोटे भाषण... जब वो कहते थे कि कांग्रेस ने आप को लूट लिया। लेकिन हम आपको फ्री में बिजली और फ्री में पानी देंगे। हालांकि यह कुछ भी मुफ़्त नहीं होता। एक कल्याणकारी राज्य में आम जनता को ये सब बुनियादी सुविधाएं हर हाल में देना सरकार की ड्यूटी है।

ख़ैर भाजपा और आप दोनों शह और मात का खेल, खेल रहे हैं। एक डाल डाल है, तो दूसरा पात पात। कौन जीता कौन हारा, ये तो गुजरात चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest