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ब्राज़ील की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लूला को दोषी ठहराने वाले न्यायमूर्ति पक्षपाती थे

लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में तख्तापलट करने वाली सरकार के दौरान दोषी ठहराया गया था और चुनाव लड़ने से वंचित किया गया था जिससे दक्षिणपंथी जैर बोलसोनारो की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
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फेडरल सुप्रीम कोर्ट (एसटीएफ) के दूसरे पैनल ने ऑपरेशन कार वाश मामले में वर्कर्स पार्टी (पीटी) के पूर्व राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला डा सिल्वा मामले में पूर्व न्यायमूर्ति सर्जियो मोरो द्वारा व्याप्त कदाचार की मंगलवार 23 मार्च को तीन मतों की तुलना में दो मतों से पुष्टि की। 8 मार्च को एक फैसले के बाद लूला की कानूनी लड़ाई में यह नवीनतम अध्याय है। इस फैसले ने पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ सजा को रद्द कर दिया और 2022 में उनके राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के लिए दरवाजे खोल दिए।

हाल का निर्णय मंत्री कारमेन लुइया के वोट में बदलाव के कारण था जिन्होंने लूला की रक्षा में प्रस्तुत बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के खिलाफ साल 2018 में जब मतदान शुरू हुआ था तब वोट किया था। हालांकि गत मंगलवार को उन्होंने सर्जियो मोरो के पक्षपात को मानते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण को स्वीकार कर लिया।

मंत्री ने निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किए जो मोरो के पक्षपात को प्रमाणित करते हैं: समन प्रक्रिया में अनियमितता; लूला के फोन कॉल और उनके परिवार व वकीलों की अवैध तरीके से टैपिंग का मामला; मंत्री एंटोनियो पालोस्की की सीलबंद बयान को मीडिया में लीक करना।

कैरमेन लुसिया ने कहा, "अधिकारों का श्रृंखलाबद्ध उल्लंघन था जो किसी का बचाव करना असंभव बनाता है"।

फेडरल सुप्रीम कोर्ट (एसटीएफ) के दूसरे पैनल ने साल 2018 में ट्रायल शुरू किया था और लूला और तटीय शहर गुआरुज़ा में तीन मंजिला अपार्टमेंट से जुड़े मामले के संबंध में मोरो के संदिग्ध व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए 9 मार्च को इसे फिर से शुरू किया। यह लावा जाटो ऑपरेशन के दायरे के तहत 13 वें संघीय न्यायालय कूर्टिबा द्वारा शुरु किए गए पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ अन्य सभी कार्यवाही के लिए भी लागू होगा।

मुकदमे की सुनवाई पहले रुक गई थी क्योंकि बोलसोनारो द्वारा नियुक्त किए गए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कासियो नूनेस मार्केस ने समीक्षा के लिए और समय मांगा था। गत मंगलवार की सुबह नूनेस मार्केस ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में वापस उठाया। थोड़ी ही देर बाद मंत्री गिल्मर मेंडेस ने मुकदमे को दोपहर में जारी रखने की मांग की।

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