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शरणार्थियों के जबरन बेदखली का विरोध करने वाले लोगों पर पुलिस हिंसा को लेकर फ्रांस में नारज़गी

लोगों की ये नाराज़गी ऐसे समय में सामने आई है जब सरकार पहले से ही तथाकथित ग्लोबल सिक्योरिटी बिल के माध्यम से पुलिस को अधिक शक्ति देकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के आरोपों का सामना कर रही है।
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कई तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन पोस्ट किए जाने के बाद मंगलवार 24 नवंबर को बड़ी संख्या में लोगों ने सरकार के शरणार्थियों के साथ व्यवहार और पुलिस की हिंसा से निपटने पर फ्रांस के ख़िलाफ़ निंदा करते हुए नराज़गी व्यक्त की। इन तस्वीरों और वीडियो में पुलिस को पेरिस के प्लेस डे रिपब्लिका में शरणार्थियों के ख़िलाफ़ क्रूरता से बल प्रयोग करते हुए उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है। पुलिस द्वारा सोमवार को खाली कराने की कार्रवाई की गई।

सोशल मीडिया पर जारी की गई तस्वीरों और वीडियो में पुलिस उन लोगों की बेरहमी से पिटाई और पीछा करते हुए देखा जा सकता है जो इस बेदखली के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस को शरणार्थी टेंट गिराते और लोगों को वहां से हटाते और उन्हें ज़मीन पर गिराते हुए भी देखा जा सकता है। पुलिस ने वामपंथी ला फ्रांस इंसुमाइज पार्टी के एक काउंसिल मेंबर डेनिएले साइमोनेट को भी धक्का दिया जो पुलिस को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

यह घटना फ्रांस में ऐसे समय में हुई है जब संसद में ग्लोबल सिक्योरिटी बिल पेश करने को लेकर पहले से उथल पुथल बढ़ी हुआ जो पुलिस को अधिक शक्ति देता है। इस बिल को लेकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयासों के आरोप लगाए जा रहे हैं।

पेरिस की मेयर ऐनी हिडाल्गो ने पुलिस की हिंसा और शरणार्थी शिविर को तोड़ने की निंदा की। उन्होंने फ्रांस के इंटेरियर मिनिस्टर जेराल्ड डरमानिन को लिखे पत्र में इस कार्रवाई को "फ्रांस के मानवीय कर्तव्य से वंचित" करना बताया। डरमानिन ने बाद में इस घटना को एक "झड़प" करार दिया और मंगलवार को एक ट्वीट पोस्ट में कहा कि "अवैध प्रवासी शिविर के बिखराव की कुछ तस्वीरें चौंकाने वाली हैं"। उन्होंने इस मामले की जांच की भी घोषणा की।

ला फ्रांस इंसुमाइज पार्टी के अन्य सांसद एरिक कोकेरेल ने पुलिस कार्रवाई को एक दमनकारी कार्रवाई बताते हुए पूरी तरह से "अपमानजनक" और बिना किसी उकसावे वाला बताया है। गार्डियन इनके हवाले से रिपोर्ट प्रकाशित की है।

मध्य पेरिस में स्थित ये कैम्प एक चैरिटी संगठन यूटोपिया 56 द्वारा किए गए आह्वान पर लगभग 450 शरणार्थियों द्वारा विरोध के रूप में लगाया गया था। यह विरोध कुछ दिन पहले पेरिस के उपनगर सेंट डेनिस से शरणार्थियों के जबरदस्ती बेदखली के खिलाफ प्रदर्शन का एक प्रयास था साथ ही सरकार से सड़कों पर सोने के लिए मजबूर सभी शरणार्थियों को आवास मुहैया कराने की मांग करना था।

 

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