CAA-NRC : सरकार की बेचैनी और पुलिस के दमन के बीच लगातार बढ़ता विरोध
नागरिकता क़ानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, और लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में सरकार ने दिल्ली के शाहीन बाग़ के प्रदर्शन को हटाने की कोशिश तेज़ कर दी है लेकिन दिल्ली सहित देश में कई शाहीन बाग़ बन गए हैं।
ऐसा ही एक इलाक़ा पूर्वी दिल्ली का खुरेजी है जहाँ महिला, बच्चे और नौजवान दिन रात सड़क पर हैं, और नागरिकता क़ानून, एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। शाहीन बाग़ की तरह ही इस प्रदर्शन का भी नेतृत्व मुख्यत: महिलाएं कर रहीं हैं। यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन सोमवार से और भी तेज़ हो गया है।
मंगलवार रात को यहाँ महिलाओं, बच्चों समेत हज़ार से अधिक लोग एक स्थानीय पार्क में एकत्र हुए। यह लोग ‘आज़ादी', 'इंक़लाब ज़िंदाबाद’, ‘आवाज़ दो, हम एक हैं’ के नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही नागरिकों ने कविता, गीत नारों से अपना विरोध प्रदर्शन जताया।
प्रदर्शनकारी कह रहे थे, "हम काग़ज़ नहीं दिखाएंगे!"
इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में मंगलवार देर रात दिल्ली पुलिस की ज़बरदस्ती की एक घटना देखने को मिली। लोगों ने बताया है कि देर रात ढाई बजे पुलिस ने प्रदर्शन के लिए लगाए गए टेंट उखाड़ दिये।
(पुलिस हमले के बाद खुरेजी धरना स्थल की तस्वीर )
प्रदर्शनकारी और प्रत्यक्षदर्शी सदफ़ ख़ान ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "किसी को दिक़्क़त न हो इसके लिए हमने रात को साउंड बंद कर दिए थे, हम शांति से नारे लगा रहे थे। ऐसा कुछ भी नहीं था कि पुलिस इस तरह की कार्रवाई करे। पुलिस की संख्या अचानक बढ़ने लगी तो हमने साथियों से पूछा कि क्या हो रहा है तो उन्होंने कहा कि वो हमसे बात करने आए हैं। लेकिन अचानक सभी लाइटें बंद कर दी गईं। यह घटना क़रीब ढाई बजे की है। इसके बाद पुलिस अधिकारी ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को कहा आप लोग दो दिनों से यहाँ बैठे है और अब आप लोग चले जाइये। पुलिस से बातचीत चल ही रही थी तभी पुलिस के कुछ लोगों ने हमारा टेंट गिरा दिया और और उसे फाड़ दिया। लेकिन हम इससे घबराए नहीं बल्कि उसके तुरंत बाद हमने फिर से तंबू गाड़ा और धरने पर बैठ गए।"
प्रदर्शनकारियों ने इसे दिल्ली पुलिस की ज़ालिमाना कार्रवाई कहा और आरोप लगाया कि पुलिस ने लोगों का टेंट गिराया है। इसको लेकर एक प्रदर्शनकारी ने फ़ेसबुक लाइव किया जिसमें वो लगातार पुलिस अधिकारियों से कह रहे हैं कि आप ने ग़लत किया आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। जबकि पुलिसवाले कह रहे हैं हमने कुछ नहीं किया है।
पूरा लाइव यहाँ देखिए
खुरेजी के एक स्थानीय दुकानदार ने बताया, ‘‘मैं कल भी आया था और आज भी। हमारी मांग है कि सरकार सीएए को रद्द करे और एनआरसी के विचार को त्याग दे।’’
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहा यह आंदोलन अब सिर्फ शाहीन बाग़, जामिया या फिर खुरेजी तक सीमित नहीं है। दिल्ली के अन्य इलाक़ों में भी इसका असर दिख रहा है। जब पुलिस खुरेजी में दमन की कार्रवाई कर रही थी उसी समय उससे कुछ दूरी पर शास्त्री पार्क की लालबत्ती पर भी लोग छोटा सा त्रिपाल लगाकर धरने पर बैठे थे। वहाँ भी उसी तरह सीएए और एनआरसी विरोधी नारे लगाए जा रहे थे। शास्त्री पार्क का प्रदर्शन भी बिल्कुल शांति से चल रहा था लेकिन बुधवार सुबह क़रीब साढ़े आठ बजे पुलिस ने लोगो को वहाँ से हटा दिया। इस दौरान पुलिस ने कुछ लोगो को हिरासत में भी लिया है।
(दिल्ली के शास्त्री पार्क की मंगलवार रात की तस्वीर)
इसी तरह से लोग दिल्ली के तुर्कमान गेट पर भी सैंकड़ों की संख्या में लोग सड़क पर रात भर बैठकर अपना शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं।पुलिस यहाँ भी लोगों को हटाने की कोशिश कर रही है लेकिन प्रदर्शनकारी अब भी डटे हुए हैं।
(दिल्ली के तुर्कमान गेट की मंगलवार रात की तस्वीर)
इस तरह पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में भी महिलाएँ लगातार शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही हैं। इन सभी आंदोलनों की एक ख़ासियत है कि यह सभी अनुशासित और पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण है। इसलिए पुलिस को भी इन्हें हटाने से पहले कई बार सोचना पड़ रहा है। इसीलिए पुलिस कोई भी कार्रवाई करने के लाइट बंद करने जैसी हरकतें कर रही है।
इसके साथ ही इन सभी आंदोलनों में बड़ी संख्या में आम लोगों की हाज़िरी है। और सभी आंदोलनों का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं। प्रदर्शन में शामिल सारा जावेद चावला जो सेंट्रल दिल्ली में रहती है लेकिन कुछ दिनों से खुरेजी में ही इस पुरे आंदोलन का हिस्सा बनी हैं।
सेंट्रल दिल्ली में रहने वाली सारा जावेद चावला खुरेजी के प्रदर्शन में लगातार शामिल हो रही हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "यह देश एक पितृसत्तामक देश है और यहाँ अगर इंक़लाब आएगा तो महिलाओं की बदौलत ही आएगा।"
सारा जावेद चावला की न्यूज़क्लिक से पूरी बातचीत सुनिए
सरकार की साज़िश और पुलिस के दमन के बावजूद नागरिकता क़ानून का विरोध देश भर में शांतिपूर्ण तरीक़े से जारी है। देश की जनता लगातार यह संदेश दे रही है कि जब तक सरकार इस क़ानून को वापस नहीं लेगी, जनता पीछे हटने वाली नहीं है।
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