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चलो दिल्ली किसान मुक्ति मार्च दिल्ली के राम लीला मैदान से संसद कि ओर शुरू

किसानों ने कल दिन भर पैदल यात्रा करने के बाद रामलीला मैदान में ही रात्री विश्राम किया | अब लाखों किसानों ने रामलीला मैदान संसद की ओर अपना मार्च शुरू कर दिया है |
farmers

इस रैली में देश भर से किसान आये हैं, ये किसान कल गुरुवार को ही देश के अलग हिस्सों से दिल्ली की चारों दिशाओ से दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्रित हुए थे । किसानों ने कल दिन भर पैदल यात्रा करने के बाद रामलीला मैदान में ही रात्री विश्राम किया | अब लाखों किसानों ने रामलीला मैदान संसद की ओर अपना मार्च शुरू कर दिया है |

इससे पहले आज सुबह से किसानो का जोश देखते ही बनता था अलग राज्यों से आए किसान अपने पारंपरिक ड्रेस के साथ अपने पारंपरिक क्रन्तिकारी गाने गा रहे थे | किसानों के जोश को देखकर लग ही नही रहा था कि 36 घंटे का सफर तय करके और कल पूरे दिन पैदल मार्च करके यहाँ पहुँच हैं । उन पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है  |

न्यूज़क्लिक से बात करते हुएपंजाब मनसा के 78 वर्षीय छोटा सिंह, कर्नाटक के रंगनाथ के साथ हाथ में हाथ डालकर खड़े "किसान सरकार के चेहरे पर एकजुटता की भावना हमारे संघर्ष को परिभाषित करती है।"

मध्यप्रदेश के आदिवासी किसान ने अपनी पारंपरिक वेश भूषा को धारण कर नृत्य करते हुए व् अपने संगीत के माध्यम से अपने पीड़ा को बताय किस तरह से उनकी जमीनों हड़प के पूंजीपतियों को दी जा रही है । तेलंगाना के किसानों ने अपनी समस्या को दिखाने  के लिए अनोखा ही तरीका अपनाया । यह दिखाने  के लिए कि उनके यहाँ रोज़ी रोटी का संकट है, उन्होने नर कंकालो के साथ अपना विरोध जताया  |


न्यूज़क्लिक से बात करते हुएमहाराष्ट्र के नासिक के देशपांडे ने कहा, "मैंने महाराष्ट्र से किसी  तरह  ट्रेन में 24 घंटों तक यात्रा कर पहुंची हैं । उन्होंने कहा हमारा संकट प्रभावित क्षेत्र हैहमारे पास पानी नहीं हैभोजन नहीं है और नहीं अब और काम करने के लिए ज़मीन, , हम तो केवल तभी खुश होंगे जब हमारी आवाज़ नरेंद्र मोदी के बहरे कानों तक पहुंचेगी। "

कल रात को भी किसानों ने रात भर सांस्कृतिक कार्यकर्म किया । इसमें अलग के प्रगतिशील सांस्कृतिक टीमों ने हिस्सा लिया और उन्हों पूरे रामलीला मैदान में समा बांध दिया था ।  किसान भी इनकी कर्न्तिकारी गीतों पर खुद को झुमने से न रोक सके | हरियाणा से आये किसान अपना हुका पानी सब घर से ही लेकर आये थे वो कल पैदल मार्च में भी हुका पिते हुए आये थे |

किसानों के समर्थन में एम्स ,एमयू के डॉक्टर के इनके साथ देश के अन्य डॉक्टर भी किसनो के आन्दोलन के समर्थन में रामलीला मैदान पहुंचे थे | वो वहां  मैजूद कई बुजुर्ग ,किसानो के साथ ही जिनको किसी भी तरह की बीमारी या कोई और शिकायत थी उसको हल करने की कोशिश कर रहे थे | डॉक्टरों का  कहना था कि वो यहाँ किसी और की नहीं  खुद की मदद करने आये हैं । उन्होंने कहा जब से हम पैदा हुए हैं और अब तक जो भी हमने खाया है इस शरीर का हर हिस्सा किसानों का कर्ज़दार है और जब यह अपना जीवन का संघर्ष कर रहे है तो हम भी उसमें भागीदारी हैं ।

रामलीला  मैदान के आसपास मैजूद सरकारी व निजी ऑफिस के कर्मचारी जो अपने काम  पर जा रहे थे वो भी खुद को किसानो के पास जाने से रोक न सके । कई दिल्ली के शहरी नौजवानों के लिए यह बिलकुल ही अलग अनुभव था ऐसे ही एक नौजवान ने न्यूज़क्लिक  से बात करते हुए बताया कि इस किसानों की रैली में आकर उसने पूरे भारत का दर्शन कर लिया है | उसने कहा उसे यहाँ आकर यह जानने का मौका मिला कि भारत के किसान आज किस पीड़ा में हैं  और यह सरकारें किस प्रकार से इन्हे बार बार मुर्ख बना रही है | अब इनका संघर्ष हमारा भी है |

 

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