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छत्तीसगढ़ : जनता ने किया भाजपा को बेदख़ल, रमन सिंह ने इस्तीफा दिया

“इन चुनाव नतीजों से स्पष्ट है कि आम जनता ने प्रदेश के कथित विकास के तमाम दावों को ठुकरा दिया है।”
raman singh

छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस भारी बहुमत से सरकार बना रही है। बीजेपी के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे दिया है।

चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर सभी नतीजे घोषित नहीं किए हैं लेकिन अब तक आए रूझानों में कांग्रेस को दो-तिहाई से अधिक बहुमत मिल गया है यहां 15 साल बाद कांग्रेस का वनवास खत्‍म हुआ हैजिसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्‍त उत्‍साह है। वहीं बीजेपी के लिए यह बड़ी हार हैजो 90 सदस्‍यीय राज्‍य विधानसभा में महज 14 सीटों तक सिमटकर रह गई है। 2013 के चुनाव में बीजेपी को राज्‍य में 49 सीटें और कांग्रेस को 39 सीटें मिली थीं।

छत्‍तीसगढ़ में सभी 90 सीटों के रूझान आ गए हैं। यहां कांग्रेस क्‍लीन स्‍वीप करती नजर आ रही है। पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज कर ली है और 64 सीटों पर आगे हैजबकि बीजेपी महज 16  सीटों पर आगे चल रही है। वहीं बसपा 4 सीट पर  और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ 4 सीटों पर आगे है। 

कांग्रेस को कुल मत का तकरीबन 43 फीसदी, भारतीय जनता पार्टी को तकरीबन 32.2 फीसदी मिला।

न्यूज़क्लिक ने अपने अनुमानों में लगभग इन्हीं नतीजों की संभावना जताई थी।

(छत्तीसगढ़ चुनाव : किसान-आदिवासी रमन सिंह को करेंगे सत्ता से बेदख़ल?)

छत्तीसगढ़ में हालांकि 15 साल बाद कांग्रेस सरकार बनाने के लिए तैयार है लेकिन सीएम पद के कैंडिडेट को लेकर पार्टी में अभी असमंजस बरकार है। सीएम पद की रेस में तीन नाम- भूपेश बघेलवरिष्‍ठ नेता टीएस सिंह देव और चरणदास महंत- सामने आ रहे हैंजिनमें भूपेश बघेल को यहां सीएम पद के लिए प्रबल दावेदार बताया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मीडिया से कहा कि "मैं हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं।" उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया है। रमन सिंह राज्य में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे।
उधर सीपीएम राज्य सचिव मंडल ने एक बयान में कहा कि इन चुनाव नतीजों से स्पष्ट है कि आम जनता ने प्रदेश के कथित विकास के तमाम दावों को ठुकरा दिया है। हकीकत तो यही है कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों के कारण किसानों, मजदूरों और कर्मचारियों के हर तबके के जीवन स्तर में गिरावट आई है और प्रदेश में आर्थिक असमानता बढ़ी है। जब भी इन तबकों ने अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन किया है, उन्हें गैर-लोकतांत्रिक तरीके से बर्बरतापूर्वक कुचला गया है। चुनावों में आम जनता ने इसका माकूल जवाब दिया है। 

(कुछ इनपुट आईएएनएस)

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