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क्या वाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी से आपको डरने की ज़रूरत है?

नई प्राइवेसी पॉलिसी में वाट्सऐप ने फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों के साथ अपने यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात कही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये सोशल मीडिया ऐप्स आपके लिए सुरक्षित हैं?
Image Courtesy:  Social Media
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“Respect for your privacy is coded into our DNA… यानी आपकी निजता का सम्मान करना हमारे डीएनए में है।”

इन शब्दों से 20 जुलाई 2020 को अपडेट वाट्सऐप (WhatsApp) की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी की शुरुआत होती थी। लेकिन अब चार जनवरी, 2021 को वाट्सऐप द्वारा अपडेट की गई नई प्राइवेसी पॉलिसी में ‘निजता के सम्मान’ पर ज़ोर देते इन शब्दों की जगह डेटा प्रैक्टिस ने ले ली है।

कंपनी का कहना है कि हमारी प्राइवेसी पॉलिसी से हमें अपने डेटा प्रैक्टिस को समझाने में मदद मिलती है और इसलिए कंपनी अब अपनी “प्राइवेसी पॉलिसी” और “टर्म्स ऑफ़ सर्विस” अपडेट कर रही है। नई प्राइवेसी पॉलिसी में फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों के साथ वाट्सऐप ने अपने यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात कही है।

अब इसी बदलाव के तहत डेटा की सुरक्षा को लेकर यूजर्स में डर का माहौल है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को वाट्सऐप और निजता को प्रभावित करने वाले ऐसे दूसरे मामलों में तुरंत दख़ल देने की ज़रूरत है। तो वहीं कई जानकारों का कहना है कि वाट्सऐप जो कर रहा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। लगभग हर ऐप बिना हमारी मंज़ूरी के हमारा निजी डेटा एक्सेस कर लेते हैं।

क्या है वाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी?

प्राइवेसी के नए नियमों और नई शर्तों को मंज़ूरी दिए बिना आप आठ फ़रवरी, 2021 के बाद वाट्सऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकते। नए नोटिफ़िकेशन में साफ़ तौर पर बताया गया है कि अगर आप ‘यूरोपीय क्षेत्र’ के बाहर या भारत में रहते हैं तो वाट्सऐप आपके लिए अपनी प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों में बदलाव कर रहा है। आपको नए अपडेट्स को आठ फ़रवरी, 2021 तक स्वीकार करना होगा, यदि आप ऐसा नहीं करते तो आपका वाट्सऐप से अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा।

नई पॉलिसी को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स में जिस बात का सबसे ज्यादा डर बना हुआ है वो डेटा शेयरिंग। यानी नई प्राइवेसी पॉलिसी में जो फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों के साथ वाट्सऐप ने डेटा शेयर करने की बात का ज़िक्र किया है, उसे लेकर लोग चिंतित हैं।

आपको बता दें कि फ़ेसबुक ने साल 2014 में 19 अरब डॉलर में वाट्सऐप को ख़रीदा था और सितंबर, 2016 से ही वाट्सऐप अपने यूज़र्स का डेटा फ़ेसबुक के साथ शेयर करता आ रहा है। लेकिन वाट्सऐप की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में आपके पास ये आजादी थी कि आप अपने वाट्सऐप अकाउंट की जानकारी को फ़ेसबुक के साथ साझा होने से रोक सकते थे, मगर नई पॉलिसी में इस बात की गुंजाइश खत्म हो गई है। मतलब अब आपके पास इसके लिए ‘स्वीकार’ (Allow) या अस्वीकार (Deny) करने का विकल्प नहीं होगा।

अभी कुछ वक़्त पहले ही फ़ेसबुक मैसेंजर और इंस्टाग्राम डायरेक्ट मैसेज का आपस में विलय हो गया था। अब वाट्सऐप यूजर का डेटा भी फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे कंपनी के दूसरे प्रोडक्ट्स के साथ भी शेयर किया जाएगा। नई पॉलिसी में इस बारे में भी जानकारी है कि वाट्सऐप कैसे यूजर के डेटा को प्रोसेस करता है, और कैसे वाट्सऐप बिज़नेस फ़ेसबुक की सर्विसेज़ को इस्तेमाल करके अपनी चैट्स को स्टोर कर सकते हैं।

इसे भी पढ़ें : आख़िर लोग वाट्सऐप क्यों छोड़ रहे हैं?

WhatsApp Clarifies on Privacy Policy Update Amid Criticism, Says No Effect  on Individual Chats

फ़ेसबुक के पास आपकी क्या जानकारियां हो सकती हैं?

फ़ेसबुक के पास आपके वाट्सऐप अकाउंट के रजिस्ट्रेशन की जानकारी, जैसे आपका मोबाइल नंबर, वाट्सऐप पेमेंट का इस्तेमाल करके खरीदारी का ब्योरा, आप वाट्सऐप पर दूसरे लोगों या बिज़नेस अकाउंट से किस तरह बातचीत करते हैं, आपके मोबाइल फोन से जुड़ी जानकारी जैसे कि आपके फोन का हार्डवेयर मॉडल, ऑपरेटिंग सिस्टम, बैटरी लेवल, मोबाइल नेटवर्क, सिग्नल स्ट्रेंथ, टाइम ज़ोन, आपका IP एड्रेस (जो आपकी लोकेशन का पता बताता है) और वो हर तरह की जानकारी, जो आप वाट्सऐप को देते हैं, वो अब फेसबुक के पास भी होगीं।

पिछली प्राइवेसी पॉलिसी में ये लिखा हुआ था कि आप वाट्सऐप पर जो भी शेयर करते हैं, चाहे वो आपके मैसेज हों, फ़ोटो हों या अकाउंट की डीटेल, वो कभी भी फ़ेसबुक या फ़ेसबुक की दूसरी ऐप्लीकेशन पर दूसरों के देखने के लिए शेयर नहीं की जाएंगी और न ही इन दूसरी ऐप्स पर पोस्ट की हुई कोई भी चीज़ वाट्सऐप पर दूसरों के देखने के लिए शेयर की जाएगी। अब नई पॉलिसी में ये वाला हिस्सा गायब हो चुका है पर शायद इसकी वजह वाट्सऐप और फ़ेसबुक का स्टेटस साझा करने वाला फीचर है।

क्या वाट्सऐप आपके पर्सनल मैसेज फ़ेसबुक से शेयर सकता है?

अगर आप आम वाट्सऐप यूजर हैं तो इसका जवाब फिलहाल ना है। नई प्राइवेसी पॉलिसी में जो एक जरूरी बात लिखी है वो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की है। यानी आप जो मैसेज भेजते हैं, वो सामने वाले के पढ़ने से पहले वाट्सऐप के सर्वर पर जाता है। मगर उस पर एक ताला या कोड होता है जिसकी वजह से कोई तीसरा शख्स या खुद वाट्सऐप उस मैसेज को नहीं पढ़ सकता। जैसे ही आपका भेजा हुआ मैसेज सामने वाले को डिलिवर होता है तो ये सर्वर से डिलीट हो जाता है।

अगर किसी वजह से मैसेज सामने वाले को नहीं पहुंच पाता है तो वाट्सऐप उसे अपने सर्वर पर ज्यादा से ज्यादा 30 दिन तक स्टोर करता है। इसके अलावा अगर आप किसी मैसेज को फ़ॉरवर्ड करते हैं तो वाट्सऐप उसे अपने सर्वर पर टेम्पेरेरी तौर पर स्टोर कर लेता है। इससे फायदा ये होता है कि जब आप फिर से उसी मैसेज को (चाहे उसमें टेक्स्ट हो, फ़ोटो हो, ऑडियो हो या वीडियो हो) किसी दूसरे को भेजते हैं तो वो बड़ी जल्दी चला जाता है। यहां भी मैसेज सिर्फ स्टोर होता है, मगर इन्क्रिप्टेड फ़ॉर्म में यानी कि वाट्सऐप इसे पढ़ नहीं सकता। इसके बाद उसे हटा दिया जाता है। मतलब वाट्सऐप आपके मैसेज नहीं पढ़ सकता तो ऐसे में फ़ेसबुक से साझा भी नहीं कर सकता।

वाट्सऐप बिज़नेस से बात हो सकती है ख़तरनाक!

वाट्सऐप की नई पॉलिसी में ज्यादा ज़ोर बिज़नेस अकाउंट्स पर दिया गया है। वाट्सऐप बताता है कि वाट्सऐप बिज़नेस आपसे की हुई बातचीत को फ़ेसबुक के साथ साझा कर सकता है। कंपनी के अनुसार, जब आप किसी बिज़नेस चलाने वाले से वाट्सऐप पर बात करते हैं तो इस बात का ख्याल रखिए कि वो बातचीत उस बिज़नेस से जुड़े कई लोगों को नज़र आए। इसके साथ ही ऐसा भी मुमकिन है कि कुछ बिजनेस अपने कस्टमर से बातचीत करने के लिए किसी थर्ड पार्टी (जिसमें फ़ेसबुक भी शामिल हो सकता है) की मदद ले रहे हों।

आसान भाषा में समझें तो भले ही वाट्सऐप आपकी चैट शायद न पढ़ पाए, मगर आप जिससे बात कर रहे हैं वो ज़रूर ये काम कर सकता है। जैसे कॉल सेंटर में आपकी कॉल ट्रेनिंग यानी आंतरिक गुणवत्ता के नाम पर रिकार्ड की जा सकती है, वैसा ही कुछ वाट्सऐप बिज़नेस पर भी हो सकता है।

फ़ेसबुक आपका वाट्सऐप डेटा कैसे इस्तेमाल करेगा?

आपने कभी गौर किया हो तो फ़ेसबुक सरफिंग के समय आपको आपकी पुरानी सर्च की हुई चीज़ें जैसे ड्रेसेज या किसी अन्य सामान के विज्ञापन दिखाई देते हैं। आपको आपकी पसंद के हिसाब से वीडियो या पेज के सुझाव आते हैं, आपके लोकेशन जोन और आस-पास के दोस्तों को अपनी लिस्ट में शामिल करने का सुझाव भी आता है। ये सब आपके द्वारा दी गई जानकारियां ही हैं जो फेसबुक इस्तेमाल कर रहा है।

वाट्सऐप ने भारत में पेमेंट सेवा शुरू कर दी है और ऐसे में अगर आप इसका पेमेंट फ़ीचर इस्तेमाल करते हैं तो वाट्सऐप आपके पेमेंट अकाउंट और ट्रांज़ैक्शन से जुड़ी जानकारियाँ भी साझा कर सकता है।

इसके अलावा आपके डेटा का इस्तेमाल फेसबुक अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिलीवरी सिस्टम को सुधारने के लिए, अपने प्रोडक्टस को ज्यादा सेफ़ और सिक्योर बनाने के लिए ताकि स्पैम और दूसरी गतिविधियों से बचा जा सके, आपकी पसंद के हिसाब से फ़ेसबुक पर कॉन्टेन्ट दिखाने के नाम पर कर सकता है।

आख़िर फ़ेसबुक या किसी थर्ड पार्टी को आपके डेटा की ज़रूरत क्यों है?

इस संबंध में फ्री सॉफ्टवेयर मूवमेंट से जुड़े और न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ बताते हैं कि दुनिया का करीब 50 प्रतिशत ऐड रिवेन्यू अब डिजीटल प्लेटफॉम कमाने लगे हैं, जिसमें गूगल और फेसबुक सबेस बड़े प्लेटफॉर्म हैं, जो इसका सबसे ज्यादा लाभ उठा रहे हैं।

प्रबीर के अनुसार वो डेटा जिसमें जानकारी है कि आप किससे बात कर रहे हैं, आप क्या खरीद रहे हैं, आपको क्या पसंद है, आपकी लोकेशन क्या है, आप कौन से ऐप इसतेमाल करते हैं, बैटरी या फोन संबंधित जानकारी का सीधा कनेक्शन फेसबुक की कमाई से जुड़ा हुआ है। यूज़र डेटा के जरिए इन कंपनियों को विज्ञापन हासिल करने में बहुत बड़ी मदद मिलती है। चुनाव में भी जो टारगेटेड ऐड होते हैं, उसमें फेसबुक सबसे ज्यादा सफल होता है,क्योंकि ये अपने यूजर्स को बेहतर तरीके से जानते हैं।

प्रबीर बताते हैं कि यूएस में 46 स्टेट गवर्नमेंट्स ने एक साथ मिलकर फेसबुक के खिलाफ निज़ता नियमों के उल्लंघन मामले में एक मुकदमा दर्ज कराया है। इसमें मुख्य तौर पर एकाधिकार के गलत इस्तेमाल की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे फेसबुक का एकाधिकार बढ़ता गया फेसबुक ने अपने उपभोक्ताओँ के प्राइवेसी नियमों को कमज़ोर करना शुरू कर दिया।

क्या फ़ेसबुक आपकी निजता में दख़ल दे रहा है?

बीबीसी से बातचीत में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और ‘वाट्सऐप लॉ’ किताब के लेखक पवन दुग्गल ने कहते हैं कि वाट्सऐप की नई पॉलिसी न सिर्फ़ भारतीयों की निजता का संपूर्ण हनन है बल्कि भारत सरकार के क़ानूनों का उल्लंघन है। हालाँकि वो ये भी कहते हैं कि भारत के मौजूदा क़ानून वाट्सऐप के नियमों पर रोक लगाने में पूरी तरह कारगर नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “वाट्सऐप जानता है कि भारत उसके लिए कितना बड़ा बाज़ार है। साथ ही वाट्सऐप ये भी जानता है कि भारत में साइबर सुरक्षा और निजता से जुड़े ठोस क़ानूनों का अभाव है। भारत में एकमात्र एक क़ानून है जो पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा पर कुछ हद तक नज़र रखता है। वो है- प्रोद्यौगिकी सूचना क़ानून (आईटी ऐक्ट), 2000। दुर्भाग्य से भारत का आईटी ऐक्ट (सेक्शन 79) भी वाट्सऐप जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए काफ़ी लचीला है।”

हालांकि कई लोगों का कहना है कि कुछ मामलों में सरकार खुद भी इन कंपनियों के डेटा का इस्तेमाल करती है। इसलिए सरकार खुद भी इन कानूनों को लचीला बनाए रखना चाहती है। जिससे समय आने पर वो इसका इस्तेमाल अपने हक़ में कर सके।

साइबर मामलों के जानकार अमित सचदेवा कहते हैं कि क्योंकि भारत फेसबुक और ऐसे दूसरे ऐप्स के लिए एक बड़ा बाजार है और यहां प्राइवेसी से सम्बन्धित कड़े क़ानूनों का अभाव है इसलिए वाट्सऐप के लिए भारत जैसे देशों को टारगेट करना आसान हो जाता है। जिन देशों में प्राइवेसी और निजता से जुड़े कड़े क़ानून मौजूद हैं, वहां वाट्सऐप को उनका पालन करना ही पड़ता है। जैसे वाट्सऐप यूरोपीय क्षेत्र, ब्राज़ील और अमेरिका, तीनों के लिए अलग-अलग नीतियाँ अपनाता है।

WhatsApp is a privacy nightmare. Because you deserve to talk to your… | by  Javier Corvillo ?? | Prototypr

वाट्सऐप का इस पर क्या कहना है?

इस पूरे विवाद पर वाट्सऐप का कहना है कि उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी से आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बिज़नेस यूजर्स के लिए कारोबारियों के लिए अपने ग्राहकों तक पहुँचना और उनसे बातचीत करना आसान हो जाएगा।

अंग्रेज़ी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार वाट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, "ज़्यादातर लोग वाट्सऐप का इस्तेमाल अपने परिजनों और दोस्तों से बात करने के लिए करते हैं लेकिन अब बहुत से लोग बिज़नस के लिए भी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। ये पूरी तरह यूज़र पर है कि वो बिज़नस वाले अकाउंट्स से वाट्सऐप पर बात करे या नहीं।

प्रवक्ता ने कहा, "हमारे पॉलिसी अपडेट से फ़ेसबुक के साथ यूज़र्स का डेटा शेयर करने के तरीकों में कोई बदलाव नहीं होगा। वाट्सऐप और फ़ेसबुक दोनों ही अपने यूज़र्स की निजता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

गौरतलब है कि 2016 के अमेरिकी चुनावों में फ़ेसबुक का कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल सबके सामने आया था। इसके बाद 2019 में इसराइली कंपनी पेगासस के वॉटसऐप के ज़रिए हज़ारों भारतीयों की जासूसी की खबरें सुर्खियां बनी थी। हाल ही में देश में फ़ेसबुक की भूमिका पर सवाल उठे हैं। ऐसे में अब जब वाट्सऐप सार्वजनिक तौर पर फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों से यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात कह रहा है तो निश्चित ही सरकार और सोशल मीडिया यूजर्स को इसे गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। 

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