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COVID-19 : डब्ल्यूएचओ और चीन के संयुक्त मिशन ने माना कि महामारी से निपटने के लिए चीन की नीतियाँ अभूतपूर्व हैं

इस मिशन का मानना है कि दुनिया में अन्य प्रभावित देशों को भी इसी तरह अपनी तैयारियों के स्तर को बढ़ाने में लग जाना चाहिए। इस महामारी से कैसे निपटा जाए, इसके लिए हमें चीन के उदाहरण से सीखना चाहिए।
WHO joins china
चित्र सौजन्य: सिन्हुआ.नेट

एक ऐसे समय में जब बड़ी तेजी से कई नए देशों में नवीनतम कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है और दुनियाभर के लोग दहशत में हैं, ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और चीन के संयुक्त मिशन की ओर से पेश की गई समीक्षा एक नई आशा के किरण की तरह है। संयुक्त मिशन ने चीन की अपनी नौ दिवसीय यात्रा के समापन पर 24 फरवरी को बीजिंग में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के समक्ष अपनी समीक्षा पेश की। 

25 सदस्यीय इस दल का नेतृत्व कर रहे डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने बताया है कि इस वायरस से लड़ने के लिए जिस दवा या वैक्सीन की जरूरत थी, उसकी अनुपलब्धता के बावजूद चीन ने जिस प्रकार से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध मानक स्वास्थ्य साधनों का सहारा लिया है, जैसे कि केस खोजने और संपर्क करने में जिस प्रकार की दृढ़ता और का तरीका कठोरता और नवीनतम तौर-तरीकों को अपनाया है और उसे “जिस व्यापक स्तर पर लागू किया, उसे आजतक इतिहास में नहीं देखा गया है।"

हुबेई प्रांत और विशेषकर इसके शहर वुहान, जो इस बीमारी के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा था। लेकिन दूसरे प्रांतों में इस प्रकोप के फैलने के दौरान यह रोग विभिन्न मार्गों से होकर वहाँ पहुँचा। चीन की केन्द्रीय सरकार ने जहाँ पूरे देश के लिए नियम निर्धारित कर दिए थे, वहीँ प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के पास इस स्थिति से निपटने के लिए ज़रूरी लचीलेपन की स्वतंत्रता भी उपलब्ध थी।

संयुक्त-मिशन टीम ने उन तौर-तरीकों का भी अवलोकन किया, जिनको अपनाकर चीन इस प्रकोप से निपट सका।  इसमें सरकारी मशीनरी को बिलकुल नए उद्देश्य के लिए तैयार करना, भारी भरकम डाटा उपकरण और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना शामिल था। उदाहरण के लिए इसका इस्तेमाल भारी संख्या में उपलब्ध डाटा के जंजाल के बीच संपर्क साधने के रूप में इस्तेमाल किये जाने में पाया गया। 

इसके साथ ही डॉक्टर आयलवर्ड ने यह भी बताया है कि चीनी प्रतिक्रिया बेहद चुस्त-दुरुस्त और वैज्ञानिक थी। पता चला है कि इस दौरान जब रिपोर्ट के संकलन का काम किया जा रहा था, तब तक चीनी सरकार ने रोग के बारे में अपने मार्गदर्शन को छह बार अपडेट कर लिया था, क्योंकि इस बीच वायरस और बीमारी के बारे में नई-नई खोजें सामने आ रही थीं।

डॉ. आयलवर्ड के अनुसार कड़े उपायों को अपनाया गया, जैसे कि शहरों से आवाजाही को पूरी तरह से सील कर देना, और लोगों को अपने घरों में रहने के आदेश जैसे उपायों के ज़रिये इस विभीषिका की दिशा को मोड़ने में सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि जैसी की उम्मीद थी, उससे कहीं जल्दी इसमें कमी आ रही है।

इस गिरावट के आकलन के लिए टीम के सदस्यों की ओर से कई तरीके अपनाए गए थे।  जैसे कि वुहान में इस विभीषिका से लड़ रहे डॉक्टरों से उनके विचार जानने का प्रयास किये गए, और उनसे जो जानकारी मिली है उसमें पता चला है कि बुखार क्लीनिकों में जाँच के लिए प्रतीक्षा लाइनों में लगने के समय को शून्य करा दिया गया था, और अस्पतालों में भर्ती होते ही बिस्तर की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया है। चीनी शोधकर्ताओं ने दवा उपचार परीक्षणों में रोगियों के अपेक्षित नामांकन की तुलना में कम रोगियों के नामांकन कराने को चिन्हित किया है।

डॉ आयलवर्ड ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि दुनिया अभी तक इस महामारी से निपटने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकी है, लेकिन चीन ने जो मॉडल अपने यहाँ तैयार कर लिया है, उसके ज़रिये इस प्रक्रिया को तेज़ किया जा सकता है। महामारी की कगार पर खड़े देशों से उन्होंने अनुरोध किया है कि वे अपने यहाँ तत्काल कठोर और आक्रामक कार्यक्रमों को अपनाएं, जिसमें उन्होंने भारी संख्या में अस्पतालों की उपलब्धता, जिनमें वेंटिलेटर जैसे साँस सम्बन्धी उपकरणों की उपलब्धता के साथ ऐसे रोगियों से तत्काल संपर्क साधने के लिए भारी मात्रा में कर्मचारियों की तैनाती जैसे उपाय गिनाए हैं।

मुख्य चिंताओं में से सबसे प्रमुख चिंता इस बात को लेकर है कि ढेर सारे केस ऐसे होते हैं जो पकड़ में ही नहीं आ पाते। इस दल ने पाया कि चीन के मामले में यह संख्या काफी अधिक नहीं रही है। चीन ने दो नए सीरोलॉजी (सीरम) परीक्षणों को भी मंजूरी दी है, जो इस मामले के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होंगे। 

डब्ल्यूएचओ और चीन के इस संयुक्त मिशन का मानना है कि सभी देशों को इस मामले में अपनी मुस्तैदी को बढ़ाना आज बेहद अहम है, क्योंकि इससे प्रभावित होने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यदि मीडिया में आ रही रिपोर्टों को देखें तो संख्या के मामले में यूरोप में इटली सबसे आगे है, जहाँ पर इसके 300 मामले प्रकाश में आये हैं और पहले ही दस लोगों की मौत हो चुकी है। ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया और स्विट्जरलैंड ऐसे देश हैं, जहाँ पर नए मामले देखने को आ रहे हैं। इसी प्रकार दक्षिण कोरिया में इस संक्रमण के 100 मामले हैं और दस से अधिक मौत हो चुकी हैं, जबकि ईरान में इस प्रकार के मामलों के आँकड़े 100 के पार जा चुके हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID-19: WHO-China Joint Mission Says China’s Handling of the Disease is Historic

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