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दिल्ली: बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ मज़दूर, महिला, छात्र, नौजवान, शिक्षक, रंगकर्मी एंव प्रोफेशनल ने निकाली साईकिल रैली

देश में लगातार बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ दिल्ली में मज़दूर, महिला, छात्र, नौजवान, शिक्षक, कलाकार, रंगकर्मी, प्रोफेशनल व अन्य जन संगठनों ने संयुक्त रूप से रविवार को एक साईकिल रैली निकली। यह रैली दिल्ली के रामलीला मैदान से शुरु होकर ,अजमेरी गेट होते हुए, तुर्कमान गेट पर पहुंची।
Cycle Rally

"मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरे पांच बच्चे हैं। इस महंगाई में छह लोगों का परिवार चलना इतना मुश्किल है। कोरोना की मार के बाद लगातार बढ़ती महंगाई से ये हाल हो गया है कि बच्चों को सकूल से निकालने के लिए व उनकी पढ़ाई तक बंद करने के लिए मजबूर हो गए।  ऐसे में वो अब गलत दिशा में जा रहे हैं, लेकिन मैं क्या कर सकती हूँ। मकान मालिक एक महीने का भी किराया नहीं छोड़ता है। हालत यह हो गए कि मुझे परिवार का गुज़ारा करने के लिए लोगों से भीख मंगनी  पड़ रही है। लेकिन अब उन्होंने न केवल साथ देना बंद कर दिया है, बल्कि उल्टा जवाब मिलता है 'जब हाथ पांव सही हैं, तो कमा के क्यों नहीं खाती हो।'  आप ही बताओ मैं पूरे महीने भर में मात्र छह हज़ार रूपए कमा पाती हूँ, वो भी समय से नहीं मिलता है। उसमें किराये के मकान में परिवार कैसे चलाऊं? सरसों का तेल 200 रूपए तक पहुँच गया है, कोई भी सब्जी 100 रूये  से कम नहीं है। हम लोग केवल किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।"
 
ये सभी बाते 50 वर्षीय नूरजहां, जो बवाना की जेजे कॉलोनी में रहती हैं, ने न्यूज़क्लिक को बताई । वे कई अन्य मजदूर व अपने पड़ोसियों के साथ महँगाई के खिलाफ सेंट्रल दिल्ली में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने आई थीं। उनके साथ इसी तरह कई महिलाऐं भी आईं थीं, जो अपने रसोई के बजट के बिगड़ने को लेकर गुस्से में थीं।  


 
आपको बता दें कि देश में लगातार बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ दिल्ली में  मज़दूर, महिला, छात्र, नौजवान, शिक्षक, कलाकार, रंगकर्मी, प्रोफेशनल व अन्य जन संगठनों ने संयुक्त  रूप से रविवार, 7 नवंबर को एक साईकिल रैली निकाली।  ये रैली दिल्ली के रामलीला मैदान, ज़ाकिर हुसैन कॉलेज के सामने से  शुरु होकर अजमेरी गेट होते हुए तुर्कमान गेट पर पहुंची। वहाँ इसने एक जनसभा का स्वरूप ले लिया। इसमें साईकिल के साथ मोटर साईकल और कई लोग पैदल भी मार्च कर रहे थे। हालाँकि इस रैली को जंतर-मंतर जाना था, परन्तु पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उधर बढ़ने की अनुमति नहीं दी क्योंकि उसी रुट में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक थीं, जिसमें प्रधानमंत्री को शामिल होना था।  
 
इस मार्च में सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू),जनवादी महिला समिति (जेएमएस), भारत की जनवादी नौजवान सभा (डीवाईएफआई),स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई), दलित शोषण मुक्ति मंच(डीएसएमएम ), डेमोक्रटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ), ऑल इंडिया लॉयर यूनियन( एआइएलयू), जनसंस्कृति मंच, जनवादी नाट्य मंच (जन्म), दिल्ली साइंस फोरम (डीएसएफ), जनवादी लेखक संघ( जलेस) के साथ कई अन्य जनसंगठन भी इस संयुक्त मंच में शामिल थे।
 
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका से साईकिल चलाकर इस विरोध रैली में शामिल होने आए 24 वर्षीय पवन ने न्यूज़क्लिक को बतया कि उन्हें इस प्रदर्शन की जानकारी सोशल मिडिया से मिली। वो इसमें शामिल होने खुद आए क्योंकि महँगाई से वो सीधे तौर पर प्रवाभित हो रहे हैं।

पवन एक छात्र हैं, जो दिल्ली में अपने परिवार से अलग रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि वो पूरी तरह से परिवार से मिलने वाले राशि पर निर्भर हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से वो कम पड़ रही  है क्योंकि महंगाई इतनी बढ़ गई है।  इस कारण उन्हें अपने खाने-पीने से लेकर जरूरी खर्चो में कटौती करनी पड़ रही है।

 
 इसी तरह दिल्ली विश्विविद्यालय की छात्रा और एसएफआई की नेता ऊनिमाया ने हमें बताया, "एक तरफ पीजी से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ छात्रों के परिवारों की आमदनी लगातार घट रही है।"
 
उन्होंने उदहारण देते हुए बताया कि "उनके कैंपस में एक बिरियानी की दुकान थी, जो पहले 50 रूपए की देता था परन्तु महंगाई को देखते हुए उसने अचानक दस रूपए बढ़ा दिए हैं। इसी प्रकार प्याज के महंगे होने से हॉस्टल मेस में प्याज का इस्तेमाल न के बराबर हो गया है।

ऊनिमाया ये आगे बताया कि इसके आल्वा पीजी, रूम और हॉस्टल के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है। यहाँ तक कि कोरोना काल में भी छात्रों से पैसे वसूले गए।"

महिला समिति की दिल्ली अध्यक्ष आशा शर्मा ने कहा कि ये सरकार इतनी बेशर्म है कि उसने इस महंगाई में मज़दूरों को मिलने वाला मुफ़्त राशन भी इस महीने से बंद कर रही है। जबकि इस दौरान उसे और मदद करनी चाहिए थी।

 
सीटू दिल्ली के महासचिव अनुराग सक्सेना ने न्यूज़क्लिक से कहा कि, "रविवार की इस रैली से पूर्व ही मज़दूर संगठन सीटू पूरे दिल्ली में इसी तरह की साईकिल अभियान चला चुकी है। उसमें  भी आसमान छूती मँहगाई, बढ़ती असमानताएं, घटते वेतन और घटते रोज़गार के खिलाफ़ 25 नवम्बर की दिल्ली में होने वाली संयुक्त श्रमिक हड़ताल का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए औद्योगिक इलाकों में 16-31 अक्टूबर के बीच यह साईकल रैली चलाई गई थी। इसमें उन्हें भारी जनसमर्थन मिला, जिसके बाद उन्होंने आज समाज के सभी तबकों को साथ लेकर ये रैली निकाली है।  
 
नोएडा से इस साईकिल रैली में शामिल होने आए श्याम केबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मज़दूर बबलेश ने कहा कि कंपनी दीवाली से पहले 15 से 20 मज़दूरों को अनश्चितकाल के लिए छति दे दी और कहा की जरूरत होगी तो बुला लेंगे।  
 
बबलेश ने कहा उन्हें कंपनी न्यूनतम वेतन से भी कम 8800 रूपए देती थी।  जिसमे परिवार चलाना वैसे ही मुश्किल था ऊपर से अब काम से और हटा दिया।  
उन्होंने कहा कि इस महंगाई में मज़दूर केबल अपनी इच्छाओं को मारकर केबल किसी भी हाल में जी रहा है। वो कहते है मेरी 13 वर्षीय बेटी है जिसे मै पैसे के आभाव में पढ़ा नहीं पा रही हूँ।  


 बबलेश महंगाई से पीड़ित कोई अकेले नहीं थे बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में महँगाई से पीड़ित था।  दिल्ली विश्विद्याल के शिक्षक और डेमोक्रटिक टीचर फ्रंट के उपाध्यक्ष राजीव कुंवर ने कहा इस महंगाई ने हर घर को अपनी चपेट में लिया है।  क्या शिक्षक ,क्या मज़दूर और क्या महिला और क्या छात्र -नौजवान इसलिए आज के इस रैली में सभी शामिल हुए है।  
 
इस रैली को जाते देख रहे एक ऑटो ड्राइवर सलीम ने न्यूज़क्लिक से बात की और कहा "सच में महंगाई ने परेशान कर दिया है। कोई भी सवारी ऑटो में बैठने को तैयार नहीं होती है। वो बस से, मेट्रो से या पैदल ही निकल जाते हैं।  इन लोगों का प्रदर्शन जायज़ है। इस तरह के और भी विरोध प्रदर्शन सब जगह होने चाहिए।"
 
संयुक्त मंच ने अपने बयान में कहा कि, "आज लगातार बढ़ती महंगाई ने आमजन को परेशान किया हुआ है । जहाँ पिछले 2 वर्षों में बेरोज़गारी, छँटनी व तालाबंदी के चलते आम जन के वेतन कम हो रहे हैं, वहीं पैट्रोल-डीज़ल-रसोई गैस, सरसों तेल,सब्ज़ी, दाल समेत आम इस्तेमाल की सभी चीज़ों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। आम परिवारों के लिए जीना तक दूभर हो चुका है। ऐसे हालात में केंद्र सरकार से जिस हस्तक्षेप की उम्मीद की जाती है, वह नहीं किया जा रहा है। सत्ता पर काबिज सरकार के मंत्री सत्ता के नशे में चूर हैं।"
 
उन्होंने आगे बताया, "हाल के चुनावों में कुछ जगह हार के बाद पैट्रोल व डीज़ल की क़ीमतों में मामूली कटौती का भाजपा ज़ोरों से प्रचार तो बहुत कर रही है, पर असल में इस से जनता को कोई राहत नहीं मिली है। पैट्रोल की क़ीमत में जहाँ केंद्र का एक्सआईज टैक्स 33 रु प्रति लीटर है, वहीं डीज़ल में यह 32 रु प्रति लीटर है। ऐसे में 5-10 रु की कमी का ढोल पीटना लफ़्फ़ाजी से अधिक कुछ नहीं है। पैट्रोल-डीज़ल व रसोई गैस की कीमतों का असर हर चीज़ की क़ीमतों पर पड़ता है। "

जन नाट्य मंच के कलाकार भी इस साईकिल रैली में शामिल हुए। सुधन्वा देशपांडे, जो जनम के संस्थापकों में से एक हैं, उन्होंने बताया कि हम हमेशा से ही मज़दूरों के हक़ लिए उनके साथ आवाज उठाते रहे हैं।  इसलिए आज भी हम उनके साथ हैं। परन्तु ये महंगाई का मुद्दा सिर्फ मज़दूरों का ही नहीं है, बल्कि इससे सभी वर्ग के लोग पीड़ित है।  
 
सीटू की राष्ट्रीय अध्यक्षा के. हेमलता भी रैली में शामिल हुईं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मजदूर वर्ग के सामने खड़ी चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि अब संघर्ष को और तीखा करना होगा और 25 नवंबर को हड़ताल के दिन सड़कों पर अपनी एकजुटता का जबरदस्त प्रदर्शन करना होगा, तभी हम सरकार पर दबाव बनाकर अपने अधिकार हासिल कर सकेंगे।

हेमलता ने मँहगाई पर बात रखते हुए और हमारे संघर्षों की बात करते हुए रूसी क्रांति की वर्षगांठ को भी याद किया।
 
मंच से आह्वान किया गया कि मँहगाई के खिलाफ़ और जीविका व रोज़गार की रक्षा में अभियान आगे भी जारी रहेगा। इसके लिए  25 नवंबर की हड़ताल के जरिए पूरी दिल्ली में इन नीतियों के खिलाफ़ मजबूत प्रतिरोध खड़ा किया जाएगा।

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