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‘दि क्विंट’ पर छापा क्या डराने की कार्रवाई है?

“हम पूरी तरह से टैक्स संबंधी शिकायतों का जवाब देने वाली संस्था हैं..., हालांकि कोई भी दूसरा मेल/दस्तावेज़ देखने या उठाने की कोशिश न करें जिसमें गंभीर और संवेदनशील पत्रकारिता से जुड़ी सामग्री के होने की संभावना है।”- राघव बहल
दि क्विंट

समाचार पोर्टल “दि क्विंट” के दफ्तर और उसके मालिक राघव बहल के घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा है। इसकी जानकारी खुद राघव बहल ने दी है। उन्होंने एडिटर्स गिल्ड को लिखे गए एक ट्वीट में इसको विस्तार से बताया है, साथ ही मीडिया घराने पर पड़े इस छापे में हस्तक्षेप की अपील भी की है।

अपने ट्वीट में राघव बहल ने कहा है कि “मेरे पास गिल्ड के साथ साझा करने के लिए एक बेहद गंभीर मामला है। आज सुबह जब मैं मुंबई में था उसी समय एक ‘सर्वे’ के लिए आईटी के अधिकारी मेरे निवास और “दि क्विंट” के दफ्तर में पहुंचे। हम पूरी तरह से टैक्स संबंधी शिकायतों का जवाब देने वाली संस्था हैं और सभी तरह के उचित दस्तावेजों तक हर तरह की पहुंच मुहैया कराई जाएगी। हालांकि, मैंने परिसर में पहुंचे अधिकारियों में से एक श्री यादव से बात की है। और उनसे पूरी मजबूती के साथ निवेदन किया है कि कोई भी दूसरा मेल/दस्तावेज देखने या उठाने की कोशिश न करें जिसमें गंभीर और संवेदनशील पत्रकारिता से जुड़ी सामग्री के होने की संभावना है। अगर वो ऐसा करते हैं तो हम उसके खिलाफ अत्यधिक कठोर कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।

मैं आशा करता हूं कि एडिटर्स गिल्ड इस पर हमें कोई जवाब देगा। और एक ऐसा उदाहरण स्थापित करेगा जिससे भविष्य में इस तरह से किसी पत्रकारिता संस्थान के साथ घटित न हो। उन्हें अपने स्मार्ट फोन को उन सामग्रियों की गैरआधिकारिक कापी नहीं लेनी चाहिए। मैं अब दिल्ली की ओर लौट रहा हूं।”

इस मामले की तीखी प्रतिक्रिया हुई है। दि प्रिंट के संस्थापक संपादक शेखर गुप्ता ने इस पर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने सीधे-सीधे सरकार से इसका जवाब मांगा है। उनका कहना है कि अगर सरकार जवाब नहीं देती है तो इसका मतलब है कि वो मीडिया को अपना निशाना बना रही है।

अन्य कई वरिष्ठ पत्रकारों और कुछ राजनीतिक नेताओं ने भी इस कार्रवाई का विरोध करते हुए इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रवीश कुमार ने भी अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि “अकबर की ख़बर को भटकाने के लिए रास्ता खोजा जा रहा है। पुराना तरीका रहा है कि आयकर विभाग से छापे डलवा दो। ताकि गोदी मीडिया को वैधानिक( legitimate) ख़बर मिल जाए। लगे कि छापा तो पड़ा है और हम इसे कवर कर रहे हैं। ख़बरों को मैनेज करने वालों को कुछ सूझ नहीं रहा है। इसलिए हिन्दी अख़बारों को अकबर की ख़बर से रोक दिया गया है। दूसरी तरफ आयकर के छापे डलवा कर दूसरी खबरों को बड़ा और प्रमुख बनने का अवसर बनाया जा रहा है। हाल के दिनों में quint वेबसाइट ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग की है। अब इसके मालिक राघव बहल के यहां छापे की ख़बर आ रही है। इस तरह से मीडिया में सनसनी पैदा किया जा रहा है। विपक्ष के नेताओं के यहां छापे पड़ेंगे।”

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