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दिल्ली चलो : शिक्षा बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ के नारे के साथ 18 को छात्रों का दिल्ली कूच

पिछले साढ़े चार साल में लगातर देश के सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थानों पर हो रहे हमले के खिलाफ शिक्षा बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, और देश बचाओ नारे के साथ हजारों की संख्या में छात्र दिल्ली के सांसद मार्ग पर मार्च करेंगे |
delhi cholo

पिछले कुछ माह में देश के सभी वर्गों के किसान, मजदूर, दलित, धार्मिक अल्पसंख्यक, शिक्षक और बेरोजगार युवाओं ने ने मोदी के नेतृत्त्व में भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अपना गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए दिल्ली में मार्च किया हैं। इन विरोधों के तर्ज पर ही अब देश के छात्र , स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO), प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स यूनियन (PSU), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स ब्लॉक(AISB) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के सहित कई अन्य छात्र संगठन और छात्रसंघ उच्च शिक्षा में सरकार की  छात्र विरोधी नीतियों और शिक्षा के निजीकरण , व्यावसायीकरण, साम्प्रदायिकरण और पिछले साढ़े चार साल में लगातर देश के सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थानों  पर हो रहे हमले के खिलाफ शिक्षा बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, और देश बचाओ नारे के साथ हजारों की संख्या में छात्र दिल्ली के सांसद मार्ग पर मार्च करेंगे |

इस मार्च को कई मशहूर हस्तियों जैसे कि वरिष्ट इतिहासकार रोमिला थापर और टीएम कृष्णा जैसे नामी कलकारों के साथ ही इन्डियन राइटर फोरम ने अपना समर्थन दिया है| उन्होंने अपने लिखित संदेश में कहा है कि सोमवार को दिल्ली में ऐसी सरकार और विचारधारा के खिलाफ विरोध जताने दिल्ली आ रहे  हैं, जो लगातार शिक्षा के बजट में कटौती कर रही है, परिसर में उठने वाले विरोध के स्वरों को दमन से कुचलकर शिक्षण और अनुसंधान के संस्थानों को नष्ट कर रही है | छात्रों और शिक्षकों को लगातार "देशद्रोही" और "देशद्रोही" होने के आरोपों के साथ घेर घेर कर उनको प्रताड़ित करती है। दरअसल, शिक्षा का उद्देश्य, और सवाल करने और बहस की इस पूरी  प्रक्रिया को तबाह किया जा रहा है।

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इन सभी मांगों को लेकर देश के विभिन्न कैंपसो  से हजारों छात्रों ने 18 फरवरी की चलो दिल्ली रैली के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है और दिल्ली पहुँच रही है |

इस मार्च की मुख्य मांगे -

  •  केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा प्रणाली को लागू  करना: छात्र संगठन ने कहा कि पिछले दो दशकों में सार्वजनिक क्षेत्र की शिक्षा को खत्म किया गया है शिक्षा की पहुँच चंद लोगो तक समिति की जा रही है| भाजपा सरकार द्वारा लगतार फंड कट के कारण लगातर सर्वजनिक शिक्षण संस्थानों में कमी आ रही है |इसलिए हम मांग करते हैं- केजी से पीजी तक की शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए |
  • जीडीपी का 6% और शिक्षा पर केंद्रीय बजट का 10% खर्च : छात्र संगठनो ने कहा  कि  1966 में कोठारी आयोग ने रिपोर्ट प्रस्तावित किया था कि जीडीपी का 6% शिक्षा के लिए आवंटित किया जाना चाहिए लेकिन 50 से अधिक वर्षों बाद आज भी नहीं हुआ है। मोदी सरकार पूरे शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट जो पहले से कम है उसे और कम करने पर तुली हुई है |
  •  सभी को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (BNEGA) लागू करें :   देश में लगातर रोजगार के अवसर घट रहे हैं |करोड़ो की संख्या में नौजवान आज डिग्री लेकर सड़क पर खाली हाथ घुम रहे हैं क्योंकि उनके पास रोजगार का कोई अवसर नही है। कई लोगो ने इस कारण आत्महत्या भी कर रहे है| इसी कारण इस कानून का लागू होना अत्यधिक आवश्यक हो गया है|
  •  शिक्षा का साम्प्रदायीकरण बंद करो: सभी छात्र संगठनो का कहना था कि  हिंदुत्व आरएसएस का मार्गदर्शक सिद्धांत है, शिक्षा का सम्प्रदायीकरण बीजेपी सरकार की नीतियों का हमेशा से एक अभिन्न हिस्सा रहा है | इसका उदहारण दीनानाथ बत्रा जैसे लोगों को स्कूल पाठ्यक्रम बदलने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया है| बीजेपी शासित राज्यों में पहले ही सांप्रदायिक ज़हर से किताबें  दूषित हो चुकी थी. पिछले साढ़े चार सालों में पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था को प्रदूषित करना चाहती है|
  • मौजूदा आरक्षण को ठीक से लागू करना और निजी संस्थानों में भी सामाजिक न्याय को लागू करना : छात्र नेताओं के मुताबिक, हम देख रहे हैं कि किस तरह सामजिक न्याय का मज़ाक बनाया जा रहा है। समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को मिलने आरक्षण पर अलग अलग तरीको से हमले कर रही है, ये साफ दिखाता है कि वे नहीं चाहते हैं कि समाज का सबसे पिछड़ा तबका जो सालो से इन मनुवादियों और ब्रह्मणवादियों के शोषण के कारण आजतक भी बहुत मुश्किल से विश्वविद्यालयो तक पहुँचा है, वो आये और इनसे सवाल करे कि क्यों सैकड़ो वर्ष तक उनका शोषण हुआ|
  • सभी छात्रवृत्ति के लिए धनराशि जारी किया जाए  और फैलोशिप कि राशी में बढ़ोतरी किया जाए :  सभी छात्रों  संगठनो का कहना था कि पिछले चार साल से मोदी सरकार के दौर में  शोध छात्रों के फेलोशिप में किसी भी तरह कि बढ़ोतरी नहीं हुई है जबकि महंगाई अपनी चरम सीमा पर है, बल्कि उसमे लगातार कटौती हुई है कई सारे फेलोशिप जो समाज के पिछड़े तबके से आने वाले छात्रों के लिए हैं उनमें लगातार ऐसे नियम बनाए जा रहे है जिससे छात्रों का एक बड़ा तबका उसके लाभ से बाहर हो जाए।  अभी भारत में छात्रों के स्क्लोर्शिप और फैलोशिप का बजट 8 हज़ार करोड़ से अधिक है, जबकी सरकार केवल 3 हज़ार ही आवंटित कर रही है |
  • शिक्षा के संघीय चरित्र की रक्षा और शिक्षा के केंद्रीकरण के खिलाफ : छात्र संगठनो ने कहा की नवउदारवाद और भाजपा शासन के तहत शक्ति का  लगातर केंद्रीकरण किया जा रहा है जो शिक्षा के लिए बहुत ही खतरनाक है. पिछले चार वर्षों में, सरकार के नीतिगत पक्षाघात ने सभी निर्णय लेने वाले निकायों को तोड़ा है, जिससे लोकतांत्रिक महौल खत्म हुआ है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यूजीसी और विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रशासन द्वारा अकादमिक या विशेषज्ञों के परामर्श के बिना ही नीति स्तर के निर्णय किए जा रहे हैं |
  • महिलाओ कि सुरक्षा कैंपसो में सुनिश्चित कि जाए : एसएफआई के अखिल भरतीय सुयंक्त सचिव दीपसीता धर ने कहा कि हमारी  सरकार नारा तो बेटी बचाओ  और बेटी पढ़ाओ का देती है परन्तु हम देख रहे देश के तमाम कैंपस महिलाओ के लिए खतरनाक होते जा रहे है | अभी हल में जेएनयू में छात्रों के शोषण के आरोपी  प्रोफेसर को छोड़कर पीडिता के खिलाफ ही कार्रवाई हुई ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वो सत्ताधारी दल का समर्थक था ,जो हमें और डरा रहा है.

 

 

 

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