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दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का ABVP के हमलों के खिलाफ मार्च

“ABVP 14 फरवरी से ही SFI कार्यकर्ताओं और उन सभी छात्रों को चुनकर हमला कर रही है जो ‘वी ट्री पूजा’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शमिल थे।”
SFI protest

छात्र संगठन एसएफआई (SFI) कार्यकर्ताओं पर एबीवीपी (ABVP) के हमले के खिलाफ छात्रों ने आज शनिवार को मार्च निकाला।आज जब एसएफआई के लोग प्रदर्शन कर के वापस जा रहे थे , उसी दौरान अखिल भरतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोगों ने हमला किया जिसमे एसएफआई के अखिल भरतीय केन्द्रीय कमेटी सदस्य नितेश गंभीर रूप से घयल हो गए है | इसको लेकर उन्होंने जान से मारने की कोशिश का आरोप लगया और इसको लेकर पुलिस में भी मामला दर्ज कर दिया है |

दरअसल एसएफआई का एक समूह शुक्रवार, 15 फरवरी को विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन पर शिक्षा के निजीकरण और शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ 18 फरवरी को होने वाले अखिल भारतीय मार्च 'चलो दिल्लीके लिए पर्चे बांट रहा था,तभी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपीकार्यकर्ताओ ने उन पर लाठी-डण्डों के साथ हमला कर दिया जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं।

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इस हमले के  खिलाफ आज दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने आर्ट्स फैकल्टी से मोरिस नगर थाने तक विरोध मार्च किया। इस मार्च में एसएफआईआइसा एआईडीएसओएआईएसएफ और पिंजरा तोड़ जैसे संगठन ने हिस्सा लिया। सभी ने एबीवीपी द्वारा किये जा रहे हमलों की निंदा की और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई कि मांग की।

लेकिन मोरिस नगर पुलिस थाने के SHO से न्यूज़क्लिक से बात करते हुए इसे हमला मानने से साफ इंकार किया। उनके मुताबिक ये दो समूह की झड़प थी। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इस तरह कि घटनाएँ आम बात हैं  एबीवीपी और एसएफआई की विचारधार नहीं मिलती है, इसलिए झड़प हो जाती है।

एसएफआई का कहना है कि पुलिस भी एबीवीपी को बचाने की कोशिश कर रही है जबकि वहाँ मौजूद कई लोगो ने इसे देखा और मोबाइल से शूट भी किया। इसके अलावा मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 4 पर लगे सीसीटीवी में भी सबकुछ रिकॉर्ड हुआ है,  जिसमें साफ दिख रहा है किस तरह से एबीवीपी से जुड़े लोगों  ने दो पुलिसकर्मियों के सामने हमारे लोगों पर हमला किया जब वो चुपचाप ‘दिल्ली चलो’के लिए पर्चा बाँट रहे थेअगर यह हमला नहीं तो क्या थाइसका जबबा SHO साहब को देना चाहिए।

उनका कहना था कि पुलिस को बाहना छोड़कर आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दायर कर  आरोपियों की गिरफ्तारी करनी चाहिए। एसएफआई का यह भी कहना है कि एबीवीपी से जुड़े लोग हमारी महिला साथियों को लगातार रेप की धमकियाँ तक दे रहे हैं।

सवाल उठता है कि अचानक ये हमले क्यों किये जा रहे हैं। इस पूरे मामले की शुरुआत 14 फरवरी  से ही होती है। इस दिन से  दोनों छात्र संघठन एबीवीपी और एसएफआई आमने सामने हैं।

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एसएफआई के राज्य अध्यक्ष विकास भौदरिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि एबीवीपी कार्यकर्ता 14 फरवरी से ही हमारे कार्यकर्ताओं  और उन सभी छात्रों को चुनकर हमला कर रहे है जो उस दिन वी ट्री पूजा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल थे।कालेज में हिंसा करने के बाद भी वो नहीं रुके हैं। एबीवीपी के कार्यकर्ता नॉर्थ कैंपस के आसपास के हर उस  छात्र पर हमला कर रहे है जिनके बारे में उन्होंने लगता है कि वो  वी-ट्री पूजा का विरोध कर रहे थे।

पिंजरा तोड़ के अनुसार उनके कार्यकर्तापर भी एबीवीपी ने हमला किया और लगातार उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।

इसके बाद 15 फरवरी को विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले हिंदू कॉलेज के छात्र कल  कॉलेज नहीं गए क्योंकि एबीवीपी के लोग गेट पर खड़े थे

अब तक आप समझ गए होंगे कि ये पूरा बवाल 14 फरवरी के दिन वी ट्री की पूजा से जुड़ा है लेकिन ये कौन सी पूजा है और इसको लेकर इतना बवाल क्यों हो रहा हैआइए जानते हैं कि ये पूजा क्या है।

वी ट्री पूजा

हिंदू कॉलेज में पिछले काफ़ी समय से ये प्रथा है कि  हर साल 14 फ़रवरी को एक  पेड़ को सजाया जाता है। इसे कहते हैं वी ट्री यानी वर्जिन ट्री। इसपर गुब्बारे और कॉन्डम लगाए जाते हैं जिनमें पानी भरा होता है। इसके साथ ही  साथ ही पेड़ पर एक सुंदर महिला की फोटो लगाई जाती है। अधिकतर वो कोई फ़िल्म की हिरोइन होती है। उसका बड़ा सा पोस्टर लगाया जाता है। उसको ये  दमदमी माई कहते हैं। इसके लिए बकायदा एक मीटिंग होती है कि इसबार दमदमी मैं किस अदाकारा को चुना जाए। इस पूजा में भाग लेने वाले छात्रों का मानना है कि जो भी लड़के दमदमी माई को पूजेंगेउनको अगले छह महीने में वैसी ही गर्लफ्रेंड मिल जाएगी और यही नहीं उसको एक साल के अंदर उस लड़की से  सेक्स करना नसीब होगा

इस पूरी पूजा को हिन्दू कालेज के पुरुष छात्रों का एक धड़ा और उनके साथ कई अन्य कालेज के छात्र भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। कथित तौर पर खुद को ‘संस्कारी’ कहने वाले एबीवीपी से जुड़े छात्र भी इसमें शामिल होते हैं। मुख्य पूजा जो करता है वो  कॉलेज फ्रेशर जीता हुआ लड़का होता हैउसको किसी पंडा की तरह जनेऊ पहनाया जाता है और वो  फिर पेड़ और दमदामी माई की आरती होती है  ज़रा आरती के बोल ख़ुद पढ़िए और सोचिए कि ये कैसी पूजा है :- जय दमदमी माता

मैया जय दमदमी माता

तुमको दिनभर देखूं - 2

रात भर सो नहीं पाता

मैया जय दमदमी माता

 

36-24-36 ये तेरी काया....

 

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ये सब बेहूदगी यहीं नहीं रुकती। इसके बाद प्रसाद बाँटा जाता है। प्रसाद के नाम पर कॉन्डम में भरा पानी छिड़का जाता है और यह कहा जाता है कि जिस पर यह पानी गिरा उसे दमदमी माई का आशीर्वाद मिल जाता है।

इस पूजा का विरोध

ये बेतुकी बेहूदी प्रथा कई सालो से चल रही है लेकिन पिछले कुछ समय में इसका विरोध बढ़ा है। इसके विरोध की शुरुआत लड़कियों ने की थी, लेकिन आज के समय कई पुरुष छात्र भी इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।  आज भी विरोध करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है।

विरोध कर रहे छात्रों का साफ कहना है कि  ये प्रथा सेक्सिस्ट है और ब्राह्मणवाद पितृसत्ता को बढ़ावा देती हैं  इस का विरोध इसलिए भी क्योंकि  इस में लड़कियों को एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में देखा जाता है। पुरुष ये पूजा सिर्फ इसलिए करते हैं कि उन्होंने भी कोई दिखने में सुंदर गर्लफ्रेंड मिल जाए जिसके साथ वो सेक्स कर सकें। आरती के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे शब्द भी कुछ ऐसे ही होते हैं।

इस पूजा में अधिकतर पुरुष होते है वो चिल्लाते हैंशोर मचाते हैं और सेक्स करने की कामना करते हैं। ये पूरा कार्यक्रम एक प्रकार से महिलाओ के प्रति एक हिंसक भीड़ को उकसने जैसा है। आप जानते हैं कि आज भी हमारे समाज में महिलाओं को बराबरी के दर्जे के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है और सरकारी संस्थानों में इस तरह का जाहिलपन किस हद तक ठीक है ये आप खुद सोचिए।

18 फरवरी को देश भर से छात्र कैंपसों में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और ऐसी ही कई मांगों को लेकर दिल्ली के मंडी हॉउस से संसद मार्ग तक मार्च करेंगे।

 

 

 

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