डीयू में EWS कोटे में आरक्षण को लेकर कई समस्याएं, पंजीकरण फीस में भी असमानता
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में स्नातक (यूजी) ,उत्तर स्नातक (पीजी) और पीएचडी के लिए नामांकन चल रहे हैं। मंगलवार की दोपहर तक 2.93 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। जिन लोगों ने पंजीकरण कराया है, उनमें 1,12,156 ने सामान्य श्रेणी के तहत 35,096 ने ओबीसी के तहत, 25,376 ने एससी के तहत, 5,148 ने एसटी के तहत और 4,396 ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत आवेदन किया है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी डीयू में देश भर से छात्र बड़ी संख्या में पंजीकरण करा रहे हैं लेकिन इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय ने दाखिले के लिए कुछ नियम बदले हैं और पहली बार ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आरक्षण लागू कर रहा है। जिसको लेकर कई तरह की समस्या आ रही हैं। इसके साथ ही पंजीकरण की फीस में भी असमानता है। यही नहीं कई कॉलेज में फीस वृद्धि भी की गई है, जिससे नाराज़ छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (एसएफआई) ने डीयू प्रवेश पंजीकरण शुल्क में असमानता के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से संबंधित छात्रों के लिए पंजीकरण शुल्क 300 रुपये जबकि ओबीसी वर्ग से संबंधित छात्रों के लिए 750 शुल्क का विरोध किया। यह पंजीकरण फीस सभी प्रवेश परीक्षा के लिए है। एसएफई का कहना है कि दोनों वर्गों में इतना अंतर शुल्क लेने का मापदंड मनमाना है, और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
एसएफआई दिल्ली के उपाध्यक्ष सुमित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए यह सवाल उठाया कि दोनों श्रेणियों के लिए आरक्षण के आर्थिक मानदंड एक ही है हैं, फिर इन दोनों के लिए पंजीकरण शुल्क में इतना अंतर क्यों? जबकि एक बात सत्य है कि ईडब्ल्यूएस से आने वाला छात्र केवल आर्थिक रूप से कमजोर है जबकि ओबीसी वर्ग के छात्र आर्थिक के साथ ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं, ऐसे में ओबीसी छात्रों से ईडब्ल्यूएस के छात्रों से दोगुना शुल्क लेना पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने आगे कहा कि हम इसका विरोध करते हैं हमने प्रशासन से अपील की है कि शुल्क मानदंड में भेदभाव को दूर करके छात्र समुदाय के हित में असमानता को तुरंत सही करें और ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की तुलना में ओबीसी समुदाय से संबंधित छात्रों से लिए गए अतिरिक्त शुल्क को रिफंड करें।
इसके अलावा अंतिम समय में डीयू ने कई विषय में नामांकन के लिए बदलाव किये उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और इसको लेकर वकील चरणपाल सिंह बागरी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और डीयू के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के नये नियमों को चुनौती दी थी। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र तथा विश्वविद्यालय का रुख जानना चाहा। अदालत ने कहा कि प्रवेश के लिये पंजीकरण की शुरुआत से महज एक दिन पहले मानदंड में संशोधन किया गया जो बिल्कुल मनमाना है। दायर याचिका में दावा किया गया कि अंतिम समय में मानदंड में संशोधन का विश्वविद्यालय का फैसला नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिये पंजीकरण की 30 मई से शुरू हो गया है। यह प्रक्रिया 14 जून को खत्म होगी। अदालत ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से पेश अधिवक्ता ब्रजेश कुमार और विश्वविद्यालय को अगली सुनवाई के दिन यानी 14 जून तक याचिका के संबंध में अपने-अपने जवाब दाखिल करने को कहा है।
छात्रों ने भी इस पर आपत्ति जताई है, ऐसा देखा गया कि कुछ पाठ्यक्रमों के लिये पात्रता मानदंड में किये गये बदलाव से छात्र अनजान हैं। पिछले साल तक अगर किसी छात्र को गणित में 50 प्रतिशत अंक आते थे तो वह छात्र या छात्रा अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) में आवदेन कर सकता है लेकिन इस साल ‘बेस्ट ऑफ फोर’ के लिये इस विषय को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब है कि गणित शीर्ष चार विषयों में से एक होगा और इनके कुल जोड़ को दाखिले का आधार माना जायेगा।
इसी तरह से बीकॉम (ऑनर्स) में किसी छात्र के लिये गणित/बिजनेस मैथेमैटिक्स के कुल जोड़ 45 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य था। इस साल इस मानदंड में संशोधन किया गया है जिसकी नयी शर्तों के मुताबकि छात्र को गणित/बिजनेस मैथेमैटिक्स में 50 प्रतिशत या अधिक अंक के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए और कुल जोड़ अंक 60 प्रतिशत होना चाहिए। याचिका में संशोधित पात्रता मानदंड को रद्द करने और छात्रों को पूर्व मानदंड के अनुरूप ही आवेदन की इजाजत देने का अनुरोध किया गया है।
प्राप्त खबरों के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक एवं कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने इन नियमों को ‘‘मनमाना’’ और ‘‘अवांछित’’ बताते हुए हाल में कुलपति को पत्र लिखकर इन्हें बदलने की मांग की है। पत्र में कुलपति से ‘‘तत्कालिक आधार’’ पर अकादमिक सत्र के लिये पूर्ववर्ती मानदंड बहाल करने की मांग की गयी है।
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