दूसरे चरण की 94 सीटों का विश्लेषण: एनडीए का रास्ता होगा मुश्किल
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 18 अप्रैल को 97 में से 95 सीटों पर हुए मतदान के बाद ये दिख रहा है बीजेपी के नेत्रत्व वाली एनडीए को 2014 लोकभा चुनावों की तुलना में बड़ा घाटा हो सकता है। दो सीटों- वेल्लोर और त्रिपुरा पूर्व पर हिंसा और नकद ज़ब्ती होने की वजह से चुनाव स्थगित कर दिये गए।
2014 के बाद हुए विधानसभा चुनावों, कांग्रेस के नेत्रत्व वाली यूपीए के द्वारा किए गए राजकीय पार्टियों के साथ महत्वपूर्ण नए गठबंधन के आधार पर न्यूज़क्लिक का विश्लेषण ये दर्शाता है कि 94(पुडुचेरी को छोड़ कर) सीटों में से यूपीए ज़्यादा से ज़्यादा 59 सीटों पर जीत हासिल करेगी। पुडुचेरी की इकलौती सीट का विश्लेषण नहीं हो पाया है, इसलिए 95 में 94 सीटों का विश्लेषण दर्शाया गया है।
2014 में यूपीए ने 18 सीटें जीती थीं। एनडीए को इस बार, पिछली बार की 33 के मुक़ाबले 21 सीटें मिलने का अनुमान है।
तमिलनाडु की 38(कुल 39 में से) सीटों के अनुमान सबसे बड़ा बदलाव पैदा कर रहे हैं। पिछली बार, जयललिता के नेत्रत्व वाली एआईडीएमके ने 37 सीटें जीती थीं, जबकि पीएमके ने 1 सीट जीती थी और 1 सीट बीजेपी को मिली थी। इस बार, अनुमान दर्शाते हैं कि डीएमके के नेत्रत्व वाला गठबंधन(जिसमें कांग्रेस और लेफ़्ट पार्टियाँ शामिल हैं) 28 सीटों पर जीत हासिल करेगा, और एआईडीएमके 10 सीटों पर सिमट कर रह जाएगा। ये सत्ताधारी सरकार एआईडीएमके के साथ सख़्त नाराज़गी, पार्टी में तनाव और जयललिता के मौत के बाद पार्टी में आए बिखराव के आधार पर है।
न्यूज़क्लिक की एनालिसिस टीम द्वारा बनाए गए डाटा टूल्स के आधार पर, हर राज्य के स्विंग का, गठबंधन का विस्त्रत अध्ययन, ज़मीनी स्तर की रिपोर्टों के राजनीतिक ट्रेंड, विभिन्न पार्टियों के प्रदर्शन और 2014 के बाद हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए गणना की गई है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों का मानचित्रण और नए गठबंधन के आधार पर वोट जोड़ कर, एआईडीएमके से डीएमके के नेत्रत्व वाले गठबंधन में 7 प्रतिशत का स्विंग देखा गया है।
बाक़ी राज्यों में वोट-स्विंग इस प्रकार हैं: असम(5%); बिहार(8%); छत्तीसगढ़(2%); कर्नाटक(2%); महाराष्ट्र(5%), मणिपुर(5%); ओडिशा(5%); तमिलनाडु(7%); उत्तर प्रदेश(3%) और पश्चिम बंगाल(5%)
इन सभी अनुमानों में एक समान फ़ैक्टर देखने को मिला है। वो है मोदी सरकार के ख़िलाफ़ स्पष्ट नाराज़गी, जिसकी बड़ी वजह है बेरोज़गारी फसल की गिरती क़ीमतों से परेशान किसानों को राहत देने जैसे मुद्दों पर इस सरकार की विफ़लता, और इसकी सांप्रदायिक राजनीति। रिपोर्ट दर्शाते हैं कि राज्यों में इन मुद्दों और सूखा जैसे विभिन्न मुद्दों की वजह से जनता के मन में बीजेपी के नेत्रत्व वाली एनडीए के ख़िलाफ़ भरी असंतोष की वजह से हर जगह के मतदाता मोदी सरकार से कटते जा रहे हैं।
पहले चरण में एनडीए के ख़राब प्रदर्शन के बाद दूसरे चरण के अनुमान यही दर्शाते हैं कि चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन कमज़ोर रहने वाला है। उत्तरी राज्य, जिन्होंने 2014 में मोदी सरकार को भारी बहुमत दिलवाया था, वो इस बार ऐसा नहीं करेंगे। उत्तर प्रदेश में बीजेपी और सहयोगी दलों को लगने वाले बड़े झटके से ये साफ़ ज़ाहिर होता है।
(डाटा पीयूष शर्मा और मैप्स ग्लेनिसा परेरा द्वारा)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।