Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 के रहस्य को समझिये

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर सूचीबद्ध है, लेकिन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने सोमवार को इसे लोकसभा में पेश किया है।
crime
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

बिल कार्यकारी अधिकारियों को बायोमेट्रिक माप इकट्ठा करने की अनुमति देता है, भले ही संबंधित व्यक्ति ने अपने नमूने देने से इनकार कर दिया हो, और उन व्यक्तियों के दायरे का विस्तार करता है जिनके माप लिए जा सकते हैं, जो प्रदर्शनकारी नागरिकों की पहचान और उन्हे जांच के दायरे में लाने के लिए पर्याप्त है। 

——-

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन सोमवार को इसे लोकसभा में गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्रा टेनी ने कड़े विरोध के बीच पेश किया है। विधेयक पुलिस या जेल अधिकारियों को उन लोगों का बायोमेट्रिक 'माप' लेने के लिए अधिकृत करता है जिन्हें दोषी ठहराया गया है, गिरफ्तार किया गया है, हिरासत में लिया गया है, और कोई भी वह व्यक्ति यह माप ले सकता है जिसे न्यायिक या कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने निर्देशित किया है। 

यह विधेयक किस बारे में है?

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पुलिस को आईरिस और रेटिना स्कैन, तस्वीरें,  उंगलियों के निशान, हथेली के निशान, पैरों की चिन्ह, भौतिक और जैविक नमूने और उनका  विश्लेषण करने की अनुमति देने के मामले एमिन 'माप' को फिर से परिभाषित करता है। विधेयक पुलिस को हस्ताक्षर और लिखावट, या दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 53 या 53 ए के तहत संदर्भित किसी भी अन्य जांच सहित व्यवहार संबंधी विशेषताओं को एकत्र करने की अनुमति देता है।

इसके अलावा, पेश किए गए विधेयक में "व्यक्तियों के दायरे" को भी व्यापक बना दिया है,  मजिस्ट्रेट, जोकि उक्त माप लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को शामिल करने का निर्देश दे सकता है, और पुलिस और जेल अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति का माप लेने का अधिकार देता है, उनका भी जो माप देने का विरोध करते हैं। मापों को देने से इनकार करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधित करना) के तहत अपराध माना जाएगा।

कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920, जिसे इस विधेयक के ज़रीए निरस्त कर बदला जाना है, उसमें केवल सब इंस्पेक्टर या उससे ऊपर रैंक के पुलिस अधिकारियों को 'माप' लेने के लिए अधिकृत किया गया था। लेकिन इस बिल इसमें संशोधन करके माप लेने के लिए उस पुलिस अधिकारी को अधिकृत करता है, जो हेड कांस्टेबल और जेल अधिकारी से नीचे का न हो, जो हेड वार्डन के पद से नीचे का न हो।

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पुलिस को आईरिस और रेटिना स्कैन, तस्वीरें, उंगलियों के निशान, हथेली के निशान, पदचिह्न छाप, भौतिक और जैविक नमूने और उनके विश्लेषण की अनुमति देने के लिए 'माप' को फिर से परिभाषित करता है। विधेयक पुलिस को हस्ताक्षर और लिखावट सहित व्यवहार संबंधी विशेषताओं को एकत्र करने की भी अनुमति देता है। इसके अलावा, यह पुलिस और जेल अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति का माप लेने का अधिकार देता है जो माप देने का विरोध करता है। 

यह विधेयक भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो [एनसीआरबी] द्वारा किए जाने वाले रिकॉर्ड के साझाकरण, प्रसार, विनाश और निपटान के साथ-साथ माप के भंडारण और संरक्षण के लिए भी निर्देशित करता है। इन मापों को एनसीआरबी के डेटाबेस में कम से कम 75 वर्षों तक रखा जा सकता है।

सरकार ने इस विधेयक को क्यों पेश किया?

कैदियों की पहचान अधिनियम एक मजिस्ट्रेट के आदेश पर दोषियों और कुछ अन्य श्रेणियों के व्यक्तियों के केवल उंगलियों के निशान और पैरों के निशान को रिकॉर्ड करने के लिए अधिकृत करता है, जिस पर केंद्र का तर्क है कि इससे सीमित श्रेणी के व्यक्तियों और सीमित दायरे तक पहुंच मिलती है और कैप्चर करने योग्य डेटा को सीमित करता है। 

विधेयक के उद्देश्यों के बयान में यह तर्क दिया गया है कि प्रौद्योगिकी और आधुनिक तकनीकों के विकास के कारण, किसी भी अपराध में शामिल व्यक्ति की विशिष्ट पहचान के लिए शरीर के माप को कैप्चर करने और रिकॉर्ड करने का प्रावधान करना आवश्यक है, जिससे आपराधिक मामलों को सुलझाने में जांच एजेंसियां को अन्य "उन्नत देशों" के बराबर खड़ा कर देगा। 

टेनी ने लोकसभा में तर्क दिया कि विधेयक से आरोपी व्यक्तियों की पहचान आसान हो जाएगी और जांच अधिक कुशल और तेज हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि इससे अदालतों में अभियोजन और दोष साबित करने की दर भी बढ़ेगी।

विधेयक के ऐसे कौन से प्रावधान हैं जो विवादास्पद हैं?

विपक्षी दलों और नागरिक समाज द्वारा विधेयक का विरोध मुख्य रूप से उन प्रावधानों के बारे में है जो अधिकारियों को उनके बायोमेट्रिक नमूने देने के लिए संबंधित व्यक्ति के इनकार की परवाह किए बिना माप एकत्र करने की अनुमति देते हैं, और उन व्यक्तियों के दायरे का विस्तार करने का प्रावधान है जिनके 'माप' लिए जा सकते हैं जो की पहचान और जांच के लिए नागरिक प्रदर्शनकारियों को शामिल करने के लिए काफी व्यापक प्रावधान है।

इसके अतिरिक्त, 'माप' लिए जाने के लिए, नया विधेयक इस जरूरत को भी समाप्त करता है कि इसके लिए अपराध में कम से कम एक वर्ष के कारावास की सजा होनी चाहिए।

विधेयक को निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जा रहा है, विशेष रूप से स्पष्टता की कमी के कारण, कि प्रशासन कैसे तय करेगा कि एकत्र किए गए डेटा के किसी भी हिस्से का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। 

विधेयक के विरोधियों के विचार क्या हैं?

लोकसभा में विपक्षी दल के सदस्यों ने तर्क दिया है कि विधेयक असंवैधानिक है क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का पालन करने में विफल हो जाता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को उसके खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, और कि यह सदन की विधायी "क्षमता" से बाहर चला जाता है

उन्होंने आगे कहा कि बिल में माप लेने के लिए बल का निहित उपयोग सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की श्रेणी में निर्धारित कैदियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, जैसे कि ए.के. गोपालन (1950), खड़क सिंह (1962), चार्ल्स शोभराज (1978), शीला बरसे (1983) और प्रमोद कुमार सक्सेना (2008), और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में गारंटीकृत भूल जाने के अधिकार का भी उल्लंघन करते हैं, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के 2017 के पुट्टस्वामी फैसले में व्याख्या की गई है।

तिवारी ने जैविक नमूनों के विश्लेषण पर भी चिंता व्यक्त करते हुए दावा किया कि वे नार्को-विश्लेषण और मस्तिष्क मानचित्रण का कारण भी बन सकते हैं।

लोकसभा सांसद मनीष तिवारी के अनुसार, विधेयक में माप लेने के लिए बल का निहित उपयोग सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की श्रेणी में निर्धारित कैदियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के अनुसार, विधेयक पुलिस और अदालतों को उन लोगों का माप लेने का अधिकार देता है जो जांच के दायरे में हैं या केवल एक मामले में शामिल होने का उन पर संदेह है, यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है जो अनुच्छेद जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने वास्तविक मांग के साथ एक राजनीतिक प्रदर्शनकारी के जैविक नमूने एकत्र करने के लिए कार्यकारी को अत्यधिक अधिकार देने वाले विधेयक पर सवाल उठाया, जिसके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट शुरू की गई हो सकती है।

आगे क्या छिपा है? यदि विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में अधिनियम बन जाता है तो उस पर चिंताएं क्या हैं?

जबकि विपक्ष की मतों के विभाजन की मांग के बाद विधेयक शुरूआत में हार गया, क्योंकि विधेयक को इसके प्रस्ताव के पक्ष में केवल 120 और विपक्ष में 58 मत मिले। 

चूंकि आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम की धारा 29 आपराधिक जांच के लिए एकत्रित बायोमेट्रिक डेटा को साझा करने पर रोक लगाता है, इसके लिए कानून प्रवर्तन के उद्देश्य के लिए एक विशिष्ट कानूनी अपवाद का मसौदा तैयार किया जाएगा और पेश किया जाएगा।

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 को एनसीआरबी डेटाबेस के व्यापक निर्माण और विकास के मद्देनजर पेश किया गया है, जैसे कि अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम [सीसीटीएनएस] में एकीकरण के लिए उंगलियों के निशान का डिजिटलीकरण करने का लक्ष्य है, जिसके तहत कानून प्रवर्तन के लिए बायोमेट्रिक डेटा हासिल करने के लिए अधिकारियों को सशक्त बनाना है।

विधेयक के लागू होने की स्थिति में, सीसीटीएनएस को न केवल सात साल से अधिक की सजा वाले दोषियों के विस्तृत बायोमेट्रिक माप के साथ एकीकृत किया जाएगा, बल्कि सभी दोषी व्यक्तियों, निवारक हिरासत में लिए गए और मजिस्ट्रेट द्वारा उनके 'माप' के लिए निर्देशित व्यक्तियों के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिनके पास अधिकारियों को उनके माप प्रदान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

सौजन्य: द लीफ़लेट

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

Decoding the Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest