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एनजीटी की समिति ने दिल्ली जल बोर्ड को सीवर इंटरसेप्टर की जानकारी देने को कहा

भाषा |
निगरानी समिति ने कहा कि डीजेबी को यह भी बताना चाहिए कि किस कॉलोनी के गंदे पानी को किस जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि डीजेबी ‘‘इंटरसेप्टर सीवर’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में है जो यमुना नदी में प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। अधिकारियों का कहना है कि इसका 97 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
दिल्ली जल बोर्ड

 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त यमुना निगरानी समिति ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को इंटरसेप्टर सीवर परियोजना (आईएसपी) के तहत शामिल नहीं की गई आबादी वाली अनधिकृत कॉलोनियों की सूची 15 जुलाई तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
समिति ने चेतावनी दी कि अगर डीजेबी ऐसा करने में विफल रहा, तो मामला एनजीटी के समक्ष उठाया जाएगा।


 निगरानी समिति ने कहा कि डीजेबी को यह भी बताना चाहिए कि किस कॉलोनी के गंदे पानी को किस जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि डीजेबी ‘‘इंटरसेप्टर सीवर’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में है जो यमुना नदी में प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। अधिकारियों का कहना है कि इसका 97 फीसदी काम पूरा हो चुका है।


इससे पहले, अनधिकृत कॉलोनियों का गंदा पानी शहर के तीन मुख्य नालों नजफगढ़, सप्लीमेंट्री और शाहादरा के जरिए सीधे यमुना नदी में प्रवाहित होता था।
आईएसपी अनधिकृत कालोनियों से गंदे पानी को रोककर इसे पास के एसटीपी में भेजता है जो इस पानी को साफ कर उसे मुख्य नालों में भेजता है। 

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