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वेनेजुएला के विपक्षी भी मानते हैं, असेंबली चुनाव को वैध

राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार ने अपने इस विश्वसनीय विपक्ष के साथ अनेक मौकों पर विचार-विमर्श किया है।
वेनेजुएला

वेनेजुएला में नेशनल असेंबली चुनाव के बाद 10 दिसंबर को विपक्षी पार्टी सीओपीईआइ (COPEI)  ने  एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।  उनके गठबंधन ने नेशनल असेंबली की 17 फीसद सीटों पर विजय हासिल की थी।  उनके बैनर के ऊपर लिखा, “मतों के जरिए संघर्ष”, इस प्रक्रिया में धुर-दक्षिणपंथ के बहिष्कार की अभिव्यक्ति थी। फोटो : सीओपीईआइ

वेनेजुएला में असेंबली चुनाव के पहले 6 दिसंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने इस प्रक्रिया को अवैध बनाने की मुहिम शुरू कर दी थी। अमेरिकी सरकार ने नेशनल इलेक्शन काउंसिल (सीएनई) और विरोधी पक्ष के उन सदस्यों को, जिन्होंने चुनाव में भाग लेने का फैसला किया था, उनको मंजूरी दी थी। पर चुनाव के ठीक कुछ घंटे पहले, अमेरिकी सरकार और यूरोपियन यूनियन के साथ-साथ लैटिन अमेरिका के उनके सहयोगियों ने घोषणा कर दी कि पूरा-पूरा चुनाव कपटपूर्ण है। उन्होंने अपनी इस घोषणा के समर्थन में कोई साक्ष्य देने की जरूरत नहीं समझी। उन्हें केवल इस लाइन पर जोर देने के अलावा और कुछ करने की जरूरत ही नहीं थी कि एक ऐसे देश में जिसकी सरकार अमेरिकी प्रभुसत्ता को चुनौती देने की हिमाकत करे, उसकी चुनाव प्रक्रिया को तो किसी भी तरीके से वैध नहीं ठहराया जा सकता।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि चुनाव ‘राजनीतिक पाखंड” है, “नाटक” है और  यह कि “विश्वसनीयता के न्यूनतम पैमाने पर भी विफल” रहा है। यूरोपियन यूनियन के शीर्ष प्रतिनिधि ने पॉम्पियो के वक्तव्य के मुहावरे की हूबहू नकल उतारते हुए कहा कि वेनेजुएला एक “विश्वसनीय प्रक्रिया के लिए अपेक्षित न्यूनतम अंतर्राष्ट्रीय मानकों को भी अपनाने में विफल” रहा है।

इन बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ये चुनाव से कुछ ही दिनों पहले लिखे गए थे। इसलिए कि जमीन पर होने वाली वास्तविक घटनाओं के पूरे ब्योरे का उनमें लेश मात्र नहीं था। न तो अमेरिका का और न ही यूरोपीय यूनियन का कोई चुनाव पर्यवेक्षक चुनाव के दौरान मौजूद था। (रिकॉर्ड के लिए बता दूं : मैं सीएनई की तरफ से वेनेजुएला में एक चुनाव पर्यवेक्षक था)

पोंपियो ने कहा कि “वेनेज़ुएला की अधिकतर स्वतंत्र राजनीतिक पार्टियों और नागरिक समाज संगठनों ने इस लज्जाजनक चुनावों को खारिज कर दिया है”। यह एक अधिकारी का वक्तव्य था, खास कर जब बात “स्वतंत्र राजनीतिक पार्टियों” की चुनाव में भागीदारी को लेकर की जाती है।

चुनाव के दिन से पहले, मैंने पांच सबसे बड़ी विरोधी राजनीतिक पार्टियों की ऑन द रिकॉर्ड बैठक में हिस्सा लिया था, जिन्होंने चुनाव में बाकायदा भागीदारी की थी। इनमें से दो पार्टियां-एक्सीन डेमोक्रेटिका (एडी) और कॉमिट डे ऑर्गनिज़िकॉन पोलिटिका इलेक्टोरल इंडिपेंडेंट (सीओपीईआइ)-प्राचीन राजनीतिक संस्थापार्टडोक्रेशिया से संबंधित थीं, जिन्होंने देश की सरकार में 1959 से लेकर 1999 तक राज किया था। एडी और सीओपीईआइ, दोनों पार्टियों के नेताओं, क्रमश : पेड्रो जोस रोजस (एडी) और जुआन कार्लोस अल्वाराडो ने कहा कि चुनाव में सामान्य अनियमितताएं हो सकती हैं, लेकिन  उसमें किसी धांधली का कोई प्रमाण नहीं है।

ब्रूनो गैलो (अवंज़ादा प्रोग्रेसिस्ता) ने मुझसे कहा कि उन्होंने सीएनई की तरफ से चुनाव में धांधली पर पिछले 10 सालों से काफी करीब से नजर रखते आए हैं, लेकिन उन्हें एक भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला है, जिससे धांधली की पुष्टि होती हो। जहां तक चुनावों का संबंध है, तो यह चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष है।

अंतरिम सरकार ठप

कम्बिएमोस मूवीमिएंटो सिउडाडानो के एक नेता टिमोटो ज़ांब्रानो ने मुझसे कहा कि नई नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनाव का अव्वल नतीजा “वेनेजुएला में सत्ता के दोहरेपन का खात्मा” है। इन सभी पार्टियों के नेताओं ने कहा कि वे "चरमपंथी विपक्ष" की नाराज़गी से तंग आ गए थे, जिसके केंद्र में जुआन गुएडो और लियोपोल्डो लोपेज़ (अब स्पेन में रहने वाले) की वॉलंटैड पॉपुलर पार्टी है। गैलो ने कहा यह समूह गंदे तिकड़मों का सहारा लेता है। गुएडो और लोपेज़ वेनेजुएला के लोगों  का कम और अमेरिकी सरकार का प्रतिनिधित्व अधिक करते हैं।

“दोहरी सत्ता के समापन” का मतलब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वेनेज़ुएला के लोगों पर थोपी गई गुएडो सरकार का अंत है। 6 दिसंबर को हुए असेंबली चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद, विपक्ष  की तरफ से राष्ट्रपति के लिए दो बार दावेदार रहे हेनरिक कैप्रिल्स ने बीबीसी को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका से कहा कि वह जुआन गुएडो को अपना समर्थन देने से बाज आए। कैप्रिल्स ने  जोए बाइडेन को उद्धृत करते हुए कहा, “नये प्रशासन को यह समझना चाहिए कि यह योजना श्रांत-क्लांत हो गई और यथास्थितिवाद यानी अंतरिम (सरकार) को जारी नहीं रहने दिया जा सकता।” कराकास में रहने वाले कैप्रिल्स ने कहा कि “वेनेजुएला के 25 मिलियंस नागरिकों को भरोसे में लिए बिना कोई भी राजनीतिक हल नहीं निकाला जा सकता।”

दूसरे शब्दों में, वेनेजुएला का राजनीतिक भविष्य वाशिंगटन से तय नहीं किया जा सकता।  लेकिन कैप्रिल्स ने यह माना कि विपक्षी दलों में अव्यवस्था है। उन्होंने अपने साथी विपक्षी दलों के बारे में कहा, “हम रेगिस्तान में पहुंच गए हैं। यथास्थितिवाद को समाप्त न करने की इच्छा के साथ, हम इस देश में एक विकल्प के रूप में गायब होते जा रहे हैं।”

मीडिया की विफलता

नॉर्थ अटलांटिक वर्ल्ड में मीडिया इकाइयों ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपियन यूनियन के वक्तव्यों की नकल की। उन्होंने इतना कहा कि चुनाव फर्जी था और 5 जनवरी 2021 में गठित होने वाली नेशनल असेंबली अवैधानिक होगी। बस यही उनके कवरेज का सार है।

उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क टाइम्स के जूली तुर्कविट्ज़ की लिखी स्टोरी में दो मुख्य पार्टियां (एडी और सीओपीईआइ) समेत समूचे भरोसेमंद विपक्ष को नजरअंदाज किया। उनका शीर्षक था, “चुनाव में वेनेजुएला ने मतदान किया, विपक्ष ने इसे नाटक करार दिया”,  इसमें जिसे “विरोधी” बताया गया था,  वह अमेरिकी विदेश विभाग की मुहिम चलाने वाले गुएडो के बारे में था।

रियो डे जेनेरियो से ‘द गार्डियन’ के लिए लिखने वाले टॉम फिलिप्स ने जुआन गुएडो के एक वक्तव्य  के आधार पर ही अपनी स्टोरी लिख  मारी। जिसका शीर्षक था, “कांग्रेस वोट के बहिष्कार के साथ मादुरो ने वेनेजुएला पर अपनी पकड़ मजबूत की”। सवाल है किसने वोट का बहिष्कार किया। न तो एडी अथवा सीओपीईआइ, न ही ईसाई सिद्धांतों पर आधारित मुख्य पार्टी एसपोरांज पोर एल कंबियो ने और न मुख्य उदारवादी पार्टी कैंबिमोस मूवीमिएंटो स्यूदादानो ने ही चुनाव का बहिष्कार किया था। फिलिप्स ने केवल गुएडो को रेखांकित किया था जबकि विपक्षी पार्टियों पर उनका प्रभाव एकदम शून्य था

न तो टर्कविट्स ने और न ही फिलिप्स ने वेनेजुएला में मुख्यधारा के विपक्षी दलों पर कोई कवरेज नहीं दिया, जिन्होंने वाशिंगटन डीसी के हस्तक्षेप के बगैर वेनेजुएला में एक राष्ट्रीय विमर्श की मांग रखी।

राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार ने इस विश्वसनीय विपक्ष के साथ अनेक बार विचार विमर्श किया है। जामब्रानो ने कहा कि वेनेजुएला के लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों-या नाकाबंदी, जैसा कि सीओपीईआइ के जुआन कार्लोस अल्वाराडो कहते हैं, का अध्ययन करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। वेनेजुएला के लोगों के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं की एकता-अखंडता, जिस पर लोपेज और गुएडो के साथ अमेरिकी सरकार ने हमला कर दिया था, कि पुनर्निर्मिति के लिए ऐसी मुहिमें जरूरी हैं। 6 दिसंबर के चुनाव और 5 जनवरी 2021 को नई नेशनल असेंबली का उद्घाटन वेनेजुएला के भीतर राजनीतिक दुनिया के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का एक प्रारंभ है। मादुरो की सरकार और विश्वसनीय विपक्ष दोनों की तरफ से दिया गया संदेश एक समान है: हमारे राजनीतिक जीवन में वाशिंगटन हस्तक्षेप न करे। 

इस आलेख को ग्लोबट्रॉटर ने प्रस्तुत किया था। विजय प्रसाद भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह ग्लोबट्रॉटर में मुख्य संवाददाता और राइटिंग फेलो हैं। वह लेफ्टवर्ल्ड बुक्स के मुख्य संपादक हैं और ट्री कॉन्टिनेंटल : इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। वह चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय के चोंगयांग वित्तीय अध्ययन संस्थान में वरिष्ठ गैर-अप्रवासी अध्येता हैं। वह ‘द डार्कर नेशंस’ और ‘द पुअर नेशंस’ समेत 20 से अधिक किताबों के लेखक हैं। उनकी ताजा किताब वाशिंगटन बुलेट्स है, जिसकी प्रस्तावना इवो मोरालेस आयमा ने लिखी है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Even the Opposition Believes Venezuela’s Election Was Legitimate

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