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दक्षिण कोरिया ने व्यापक जांच और आइसोलेशन की मदद से COVID-19 को नियंत्रित किया

दक्षिण कोरिया में प्रति मिलियन 5,200 जांच होने के उलट भारत की प्रति मिलियन जनसंख्या पर जांच की संख्या मार्च की शुरुआत में केवल 4 और 5 के बीच ही रही थी।
south Korea

COVID-19 (नोवेल कोरोनावायरस संक्रमण) की महामारी का यूरोप में एक नया केंद्र बन गया है। इटली में बिगड़ती स्थिति और मौतों की बढ़ती संख्या व्यापक रूप से सामने आई है। न केवल इटली में बल्कि स्पेन, फ़्रांस और जर्मनी जैसे कई अन्य यूरोपीय देशों में भी नए संक्रमण के साथ-साथ बढ़ती मौतों के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन सभी देशों में बढ़ते मामलों के बीच चीन के बाद दक्षिण कोरिया COVID-19 मामलों में कम होने की प्रवृत्ति के साथ दूसरे देश के रूप में सामने आया है। दक्षिण कोरिया जिसकी कुल आबादी लगभग 50 मिलियन है वहां 18 मार्च को (WHO के अनुसार) केवल 84 नए मामले सामने आए हैं। यहां 29 फरवरी को 909 नए मामले दर्ज किए गए थे।

इससे निपटने के लिए दक्षिण कोरिया का तरीक़ा चीन से बिल्कुल अलग रहा है। चीन के विपरीत कोरिया ने पूरे शहर का लॉकडाउन नहीं किया बल्कि जो तरीका अपनाया वह काफ़ी व्यापक और सुव्यवस्थित जांच प्रणाली है। वास्तव में, इसकी जांच प्रणाली दुनिया की सबसे अधिक विस्तृत जांच प्रणाली है। नतीजतन, ये पूर्वी एशियाई देश काफ़ी सफल तरीक़े से पता लगाने और अलग थलग करने में कामयाब रहा। जांच के बाद पॉज़िटिव पाए जाने वाले लोगों को पूरी तरह से आइसोलेट कर दिया गया था इनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाया गया, उनकी जांच हुई और उनकी निगरानी की गई।

कथित तौर पर दक्षिण कोरिया ने 2,70,000 से अधिक लोगों का जांच किया है जो कि प्रति दस लाख जनसंख्या में 5,200 जांच है। वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के अनुसार जो दुनिया भर में COVID-19 के सभी मामलों का ताज़ा रिकॉर्ड देता है उसने बताया है कि दक्षिण कोरिया की जांच बहरीन को छोड़कर किसी भी देश से ज़्यादा है। साइंस के अनुसार, अमेरिका ने 17 मार्च तक प्रति मिलियन (दस लाख) जनसंख्या में 74 परीक्षण ही किए हैं। साइंस की रिपोर्ट के अनुसार ये डाटा यूएस सीडीसी (सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन) द्वारा पेश किया गया है।

सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के अध्ययन से जुड़े एक स्कॉलर रैना मैकइंटायर ने कहा, “दक्षिण कोरिया का अनुभव बताता है कि बड़े पैमाने पर जांचने की क्षमता महामारी नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है। महामारी नियंत्रण में (एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से) संपर्क में आए लोगों का पता लगाना भी बहुत प्रभावशाली होता है।“

लेकिन, यह नहीं कहा जा सकता है कि ये देश अभी ख़तरे से बाहर है। जांच करना, आईसोलेट करना और क्वारिंटीन के लिए उठाए गए क़दमों का प्रमुख हिस्सा शिनचियोनजी चर्च से जुड़ा हुआ है। 5,000 से अधिक मामलों का एक विशाल समूह और देश के कुल मामलों का 60% इस चर्च से जुड़ा हुआ है। लेकिन इस क्षेत्र में व्यापक सक्रियता से देश के दूसरे हिस्सों की अनदेखी हो सकती है। अब नए क्लस्टर सामने आ रहे है जो राजधानी सियोल को घेर सकते हैं।

अन्य कोरोनोवायरस जैसे MERS से निपटने में दक्षिण कोरिया के अनुभव किसी महामारी से निपटने के कई पहलुओं को लेकर शिक्षा देते हैं। साल 2015 में जब MERS ने इस देश में तबाही मचाई थी तो कोरियाई अधिकारियों ने 17,000 लोगों का जांच किया,पता लगाया और क्वारेंटाइन किया था और ये महामारी इसके फैलने के दो महीने के भीतर नियंत्रण में आ गई थी।

कोरिया विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग विशेषज्ञ किम वू-जू ने कहा, "अनुभव से पता चला है कि उभरती संक्रामक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रयोगशाला परीक्षण आवश्यक है।" सियोल विश्वविद्यालय के एक अन्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ ओह म्योंग-डॉन ने भी कहा, “MERS के अनुभव ने निश्चित रूप से हमें अस्पताल संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण में सुधार करने में मदद की। अब तक, दक्षिण कोरियाई स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों में COVID-19 के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं है।”

कोरिया सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (केसीडीसी) ने 7 फरवरी को ही पहली परीक्षण किट की मंजूरी दे दी थी। इस वक्त देश में कुछ ही मामले सामने आए थे। फिर इस किट को क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्रों में बांटा गया। जांच के लिए किट बनाने वाले के साथ सहयोग करके केसीडीसी ने उन किटों को उपलब्ध कराया।

बीमारी के साथ अधिक जोखिम वाले मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करने के लिए पहली प्राथमिकता दी गई थी और सामान्य लक्षणों वाले लोगों को सार्वजनिक संस्थानों द्वारा प्रदान किए गए री-पर्पस़्ड कॉर्पोरेट प्रशिक्षण परीसरों और स्थानों पर भेजा गया था, जबकि जो लोग दो बार जांच के बाद बेहतर पाए गए उन्हें छोड़ दिया गया। मामूली लक्षणों वाले वे लोग जो खुद से तापमान माप सकते थे और उन्हें कोई पुरानी बीमारी नहीं थी उन्हें दो सप्ताह के लिए सेल्फ़ क्वारेंटाइन के लिए कहा गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक स्थानीय निगरानी टीम दिन में दो बार सेल्फ़ क्वारेंटाइन लोगों को यह कह रही थी कि वे घरों के अंदर रहें और लक्षणों के बारे में भी बताएं।

रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां जांच की स्थिति सबसे बदतर रही है। मार्च की शुरुआत में भारत की प्रति मिलियन जनसंख्या पर परीक्षणों की संख्या 4 और 5 के बीच ही रही थी।

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दुनिया भर में और विशेष रूप से दक्षिण कोरिया में अपनाए गए उपायों को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि बेहतर और बड़े पैमाने पर जांच की व्यवस्था इस तरह के संक्रामक रोगों को नियंत्रण करने में प्रमुख योगदान देता है। अब तक, भारत में चिकित्सा अधिकारी कह रहे हैं कि देश में सामुदायिक पैमाने पर प्रसार (कम्यूनिटी ट्रांसमिशन) होना बाकी है। लेकिन जांच के इतने निचले स्तर के साथ कोई भी निष्कर्ष संदिग्ध है। इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए भारत को तुरंत अपने जांच करने की प्रणाली को बढ़ाना और बेहतर करना होगा।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Expansive Testing and Extensive Isolation Helped South Korea Contain COVID-19

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