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हाई कोर्ट ने कहा गौरव यात्रा के दौरान नहीं किये जा सकते सरकारी कार्यक्रम

राजस्थान हाई कोर्ट ने बीजेपी सरकार के खिलाफ एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा में सरकारी कार्यक्रम नहीं किये जा सकते।
vasundhara raje
image courtesy: NDTV.com

राजस्थान हाई कोर्ट ने बीजेपी सरकार के खिलाफ एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा में सरकारी कार्यक्रम नहीं किये जा सकते। कोर्ट ने यह फैसला अधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह के द्वारा दायर की गयी जन हिट याचिका पर दिया है। इसे वसुंधरा राजे के लिए एक बड़े झटके की तरह देखा जा रहा है क्योंकि इस रैली में बीजेपी का प्रचार बड़ा ज़ोर शोर से किया जा रहा था। 

इस रैली की शुरुवात 4 अगस्त को उदयपुर संभाग के राजसमंद में चारभुजा मंदिर से हुई। यात्रा के अंतर्गत मुख्यमंत्री राजे को 165 विधानसभा क्षेत्रों से गुज़रना है और यात्रा 40 दिन की है। लेकिन बताया जा रहा है कि उदयपुर और जोधपुर संभाग की ज़मीनी हालत को देखते हुए लग रहा है कि जिस 'गौरव' की राजे बात कर रहीं हैं वह सिर्फ उनके ख्यालों में है। यह सच है कि कई सभाओं में भीड़ दिखाई पड़ी लेकिन यह समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं है कि ऐसा क्योक हुआ। कोर्ट के आदेश में ही इसका जवाब है। 

दरअसल बीजेपी ने इस यात्रा को बड़ा और सफल बनाने के लिए सरकारी तंत्र का भरपूर इस्तेमाल किया। यात्रा के दौरान कई जगह सरकारी योजनाओं को शुरू किया गया , सरकारी योजनाओं से लाभार्थियों को कार्यक्रमों में बुलाया गया, नए कामों का शिलान्यास किया गया। इसके आलावा जनहित याचिका के अनुसार इन कार्यक्रमों में मंच, साउंड सिस्टम, पेट्रोल और बाकी चीज़ों के इस्तेमाल में सरकारी पैसा लगाया गया और सरकारी अधिकारों को भी इस काम में लगाया गया। इसका प्रमाण यह है कि इसके लिए अधिकारियों को आधिकारिक आदेश दिए गए थे , जिन्हे विवाद बढ़ने पर वापस लिया गया था। 

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि वसुंधरा सरकार पीडब्लूडी ने 14 अगस्त को 23 लाख रुपये का टेंडर निकाला था। यह टेंडर इस यात्रा के दौरान 23 रुपये का काम कराने के लिए निकाला गया था। इससे बीजेपी सरकार का भ्रष्टाचार सामने आता है। इससे भी पल्ला झड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। 

इस पूरे प्रकरण में बीजेपी की भूमिका दिलचस्प रही है। पहले बीजेपी कहती रही कि यह गौरव यात्रा एक सरकारी कार्यक्रम है। लेकिन इस मामले के तूल पकड़ने के बाद बीजेपी ने अपना स्टैंड बदल लिया है। बीजेपी बाहर और कोर्ट दोनों में यह कहने लगी है कि यह बीजेपी की रैली है और इसमें सरकारी तंत्र का इस्तेमाल नहीं हुआ है। कोर्ट के द्वारा खर्च का ब्यौरा माँगने पर बीजेपी का कहना है कि इस यात्रा में अब तक 1 करोड़ 10 लाख रुपये खर्च हुए हैं। उनका कहना है कि यह पूरा पैसा बीजेपी का है सरकार का नहीं। लेकिन द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक इस ब्योरे के साथ कोई बिल नहीं पेश किया गया है। इसके साथ ही बीजेपी का कहना है कि सरकारी खर्च और तंत्र का इस्तेमाल सिर्फ मुख़्यमंत्री सुरक्षा और प्रोटोकॉल की वजह से हुआ। 

लेकिन इसके बावजूद भी बीजेपी अपनी चुनावी प्रचार की यात्रा में योजनाओं का उद्घाटन और सरकारी पैसे और तंत्र का इस्तेमाल कैसे कर सकती है? अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके पुख्ता सबूत क्यों नहीं पेश किये गए ? इसके साथ ही जानकारों का मानना है कि बताई गयी राशि से कई गुना ज़्यादा पैसा इस यात्रा में खर्च हुआ है। 

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