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हज़ारों पॉवर सेक्टर कर्मचारीयों ने दिल्ली में निजीकरण से खिलाफ किया प्रदर्शन

यह लोग Electricity(Amendment) Bill 2014 के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि इस बिल से बिजली आवंटन का निजीकरण हो जायेगा और इसके आलावा उनका विरोध प्रदर्शन योगी सरकार के बिजली के निजीकरण के खिलाफ भी है I
power sector protest

3 अप्रैल को देशभर से आये हज़ारों पॉवर सेक्टर कर्मचारी Electricity(Amendment)Bill 2014 के खिलाफ दिल्ली के संसद मार्ग पर जमा हुए I यह बिल बिजली के आवंटन में निजीकरण को लाने के पक्ष में है I

इस रैली में विभिन्न कर्मचारी यूनियनों के कर्मचारी और इंजीनियर National Coordination Committee of Electricity Employees and Engineers (NCCOEEE)  के दिल्ली चलो के आव्हान पर दिल्ली पहुँचे I

हाथों में बैनर लिए और निजीकरण के खिलाफ नारे लगाते हुए 25,000 लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए I

रैली में इस साल मानसून सत्र के दौरान अगस्त में संसद में पेश होने वाले अमेंडमेंट बिल के खिलाफ एक दिन की हड़ताल का आवाहन किया गया I

Electricity (Amendment)Bill 2014 के अंतर्गत बिजली के आवंटन को दो हिस्सों यानी infrastucture (संरचना) और supply (content) में बांटा जायेगा I इसका अर्थ ये होगा कि जहाँ एक तरफ सरकार बिजली की तारें बिछाने का काम करेगी वहीँ दूसरी तरफ निजी कंपनियां बिजली बेचने के लिए और मुनाफा कमाने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करेंगी I

इस रैली में उत्तर प्रदेश सरकार के बिजली को निजी हाथों में दिए जाने के खिलाफ भी विरोध जताया गया I

16 मार्च को उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ और मुरादाबाद में बिजली आवंटन को निजी हाथों में देने का निर्णय लिया I

इससे पहले फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी कंपनियों को निमंत्रण देते हुए 7 जिलों - इटावा, कन्नौज, ओराई, रायबरेली, सहारनपुर, मऊ और बलिया के लिए टेंडर निकाले I इन  टेंडरों के अंतर्गत जहाँ एक तरफ सरकार बिजली तारों की नेटवर्क संरचना का ख्याल रखेगी वहीँ दूसरी तरफ बिजली के आवंटन निजी कंपनियों द्वारा किया जायेगा I ये निर्णय Electricity(Amendment)Bill 2014 के समान ही है I

ये निजी कंपनियाँ “Integrated Service Providers” कहलाई जायेंगी और ये  नए पॉवर कनेक्शन लगाने, मीटर लगाने, मीटर पढने, मीटर बदलने , बिल जारी करने और रकम इकटठा करने का काम करेंगी I

उत्तर प्रदेश में पॉवर सेक्टर कर्मचारी इस निर्णय के खिलाफ 28 मार्च से वर्क टू रूल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं I वह 9 अप्रैल को 72 घंटों की हड़ताल करेंगे I

कुछ राज्य स्तरीय यूनियनों के आलावा दिल्ली चलो रैली में Electricity Employees Federation of India ( जो Centre Of Indian Trade Unions से सम्बंधित है) , All India Federation Of Electricity Employees ( जो All India Trade Union Congress से जुड़ी हुई है ) , the Indian National Federation Electricity Workers ( जो Indian National Trade Union Congress से जुड़ी हुई है ) , the All India Federation of Power Diploma Engineers, All India Power Men’s Federation, the All India Power Engineers’ Federation भी शामिल थे I

रैली में बोलते हुए Electricity Employees Federation of India के अधक्ष के.ओ हबीब ने कहा कि जिस बिल को लाया जा रहा है उसका मकसद बिना किसी निवेश के निजी कंपनियों को सरकारी क्षेत्र में व्यपार करने के लिए बढ़ावा देना है I वितरण के व्यापार को दो हिस्सों में बांटने से निजी कंपनियों को मुनाफा कमाने का बहुत मौका मिलेगा क्योंकि इसमें नेटवर्क फैलाने का कार्य खुद सरकार द्वारा किया जायेगा I

All India power Engineers Federation (AIPEF) के शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फ्रेंचाइज़ दिए जाने का निर्णय पॉवर सेक्टर को निजी हाथों में देने की शुरुवात है और इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में इंजिनियर और कर्मचारी लगातार लड़ रहे हैं I

उन्होंने कहा कि पूर्व उर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने 2015 और 2016 में ये कहा था कि संसद में ये बिल लाने से पहले वह इंजीनियरों, कर्मचारीयों और कर्मचारी यूनियनों और संगठनों से बात की जाएगी I प्रदर्शनकारियों कि ये माँग है कि बीजेपी सरकार Privatisation amendments को हटा दे और बिल के बारे में सबसे राय ली जाए I

उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सरकार को ये चेतावनी दी कि अगर उत्तर प्रदेश में विरोध कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ यदि कोई भी कार्यवाही की जाएगी  तो वह देश भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और अपने आन्दोलन को और तेज़ करेंगे I

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